Essay on disaster management in hindi about 200 words
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आपदा का अर्थ है, अचानक होने वाली एक विध्वंसकारी घटना जिससे व्यापक भौतिक क्षति होती है, जान-माल का नुकसान होता है। यह वह प्रतिकूल स्थिति है जो मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक कार्यकरण को व्यापक तौर पर प्रभावित करती है। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में- आपदा से तात्पर्य किसी क्षेत्र में हुए उस विध्वंस, अनिष्ट, विपत्ति या बेहद गंभीर घटना से है जो प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से या दुर्घटनावश या लापरवाही से घटित होती है और जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में मानव जीवन की हानि होती है या मानव पीड़ित होता है या संपत्ति को हानि पहुंचती है या पर्यावरण का भारी क्षरण होता है। यह घटना प्रायः प्रभावित क्षेत्र के समुदाय की सामना करने की क्षमता से अधिक भयावह होती है।
भारत में प्रमुख आपदाएं –
1. जल एवं जलवायु से जुड़ी आपदाएं, चक्रवात, बवण्डर एवं तूफान, ओलावृष्टि, बादल फटना, लू व शीतलहर, हिमस्खलन, सूखा, समुद्ररक्षण, मेघगर्जन व बिजली का कड़कना;
2. भूमि संबंधी आपदाएं, भूस्खलन एवं कीचड़ का बहाव, भूकंप, बांध का टूटना, खदान में आग;
3. दुर्घटना संबंधी आपदाएं, जंगलों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का फैलाव, प्रमुख इमारतों का ढहना, एक साथ कई बम विस्फोट, बिजली से आग लगना, हवाई, सड़क एवं रेल दुर्घटनाएं,
4. जैविक आपदाएं, महामारियां, कीटों का हमला, पशुओं की महामारियां, जहरीला भोजन;
5. रासायनिक, औद्योगिक एवं परमाणु संबंधी आपदाएं, रासायनिक गैस का रिसाव, परमाणु बम गिरना।
6. नागरिक संघर्ष, सांप्रदायिक एवं जातीय हिंसा, आदि भी आज प्रमुख आपदाएं हैं।
आपदा प्रबंधन में शामिल तत्व
आपदा प्रबंधन वह प्रक्रिया है जो आपदा के पूर्व की समस्त तैयारियों, चेतावनी, पहचान, प्रशासन, बचाव राहत, पुनर्वास, पुनर्निर्माण तथा आपदा से बचने के लिए अपनायी जाने वाली तत्पर अनुक्रियाशीलता इत्यादि के उपायों को इंगित करती है। आपदा प्रबंधन की खास विशेषताएं अग्रलिखित हैं-
आपदा प्रबंधन आपदा आने की चेतावनी से लेकर उसके पश्चात्, पुनर्वास, पुनर्निर्माण एवं भविष्य के लिए आपदा रोकथाम एवं बचाव इत्यादि कृत्यों तक विस्तारित है।
यह संपूर्ण लोक प्रशासन की एक ऐसी विशेषीकृत शाखा है जो प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से उत्पन्न आपदाओं के नीति नियोजन, नियंत्रण, समन्वय, रहत, बचाव एवं पुनर्वास इत्यादि का अध्ययन करती है।
आपदा प्रबंधन एक जटिल तथा बहुआयामी प्रक्रिया है अर्थात् केंद्र, राज्य एवं स्थानीय शासन के साथ-साथ बहुत सारे विभाग, संस्थाएं एवं समुदाय इसमें अपना योगदान देते हैं।
यह प्राथमिक रूप से सरकारी दायित्व को इंगित करता है किंतु सामुदायिक एवं निजी सहयोग के बिना यह कार्य अधूरा है।
आपदाएं सार्वभौमिक एवं सर्वकालिक घटनाएं हैं इसलिए आपदा प्रबंधन का कार्य भी अंतरराष्ट्रीय समन्वय से जुड़ा हुआ है।
इसके अतिरिक्त आपदा प्रबंधन के कई आयाम हैं जिनके तहत जोखिम विश्लेषण, चेतावनी एवं वैकल्पिक व्यवस्था, बचाव एवं राहत कार्य, बहुउद्देशीय निर्णयन, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण, इत्यादि आते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत स्थापित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान को मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रलेखन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नीति की वकालत के लिए नोडल राष्ट्रीय जिम्मेदारी सौंपी गई है। 16 अक्टूबर, 2003 को भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के आपदा प्रबंधन राष्ट्रीय केन्द्र से उन्नत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, सभी स्तरों पर रोकथाम और तैयारियों की संस्कृति को विकसित कर व बढ़ावा देकर आपदा के प्रति सहिष्णु भारत निर्मित करने के अपने मिशन को पूरा करने हेतु तेजी से अग्रसर है।
प्रबंधन संरचना
केंद्रीय गृह मंत्री इस संस्थान के अध्यक्ष होते हैं जो 42 सदस्यों का एक सामान्य निकाय है जिनमें प्रख्यात विद्वानों, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के अलावा भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न नोडल मंत्रालयों और विभागों के सचिव और राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी संगठनों के प्रमुख शामिल होते हैं। इस संस्थान का 16 सदस्यीय शासी निकाय होता है जिसके अध्यक्ष राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष होते हैं। कार्यकारी निदेशक इस संस्थान का दिन-प्रतिदिन का प्रशासन संचालित करते हैं।
दृष्टि
भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन पर प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता का एक प्रमुख संस्थान होना और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी संस्थाओं में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त करना।
सभी स्तरों पर रोकथाम और तैयारियों की संस्कृति को विकसित करने और बढ़ावा देकर एक आपदा मुक्त भारत बनाने की दिशा में लगातार प्रयास करना।
मिशन
नीति निर्माण और सहायता प्रदान करके सरकार के लिए एक थिंक टैंक के रूप में काम करना और इनके माध्यम से आपदाओं के प्रभाव को कम करने में सुविधा प्रदान करना।सामरिक सीखने सहित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सेवाओं का नियोजन एवं उन्हें बढ़ावा देना।राष्ट्रीय स्तर की जानकारी का अनुसंधान, प्रलेखन और विकास।प्रभावी आपदा तैयारियों और शमन के लिए प्रणाली का विकास और विशेषज्ञता को बढ़ावा देना।सभी हितधारकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ावा देना और जागरूकता बढ़ाना।सभी हितधारकों के सभी स्तरों पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत बनाना।नेटवर्किंग और जानकारी,अनुभव और विशेषज्ञता के आदान – प्रदान की सुविधा प्रदान करना।
भारत में प्रमुख आपदाएं –
1. जल एवं जलवायु से जुड़ी आपदाएं, चक्रवात, बवण्डर एवं तूफान, ओलावृष्टि, बादल फटना, लू व शीतलहर, हिमस्खलन, सूखा, समुद्ररक्षण, मेघगर्जन व बिजली का कड़कना;
2. भूमि संबंधी आपदाएं, भूस्खलन एवं कीचड़ का बहाव, भूकंप, बांध का टूटना, खदान में आग;
3. दुर्घटना संबंधी आपदाएं, जंगलों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का फैलाव, प्रमुख इमारतों का ढहना, एक साथ कई बम विस्फोट, बिजली से आग लगना, हवाई, सड़क एवं रेल दुर्घटनाएं,
4. जैविक आपदाएं, महामारियां, कीटों का हमला, पशुओं की महामारियां, जहरीला भोजन;
5. रासायनिक, औद्योगिक एवं परमाणु संबंधी आपदाएं, रासायनिक गैस का रिसाव, परमाणु बम गिरना।
6. नागरिक संघर्ष, सांप्रदायिक एवं जातीय हिंसा, आदि भी आज प्रमुख आपदाएं हैं।
आपदा प्रबंधन में शामिल तत्व
आपदा प्रबंधन वह प्रक्रिया है जो आपदा के पूर्व की समस्त तैयारियों, चेतावनी, पहचान, प्रशासन, बचाव राहत, पुनर्वास, पुनर्निर्माण तथा आपदा से बचने के लिए अपनायी जाने वाली तत्पर अनुक्रियाशीलता इत्यादि के उपायों को इंगित करती है। आपदा प्रबंधन की खास विशेषताएं अग्रलिखित हैं-
आपदा प्रबंधन आपदा आने की चेतावनी से लेकर उसके पश्चात्, पुनर्वास, पुनर्निर्माण एवं भविष्य के लिए आपदा रोकथाम एवं बचाव इत्यादि कृत्यों तक विस्तारित है।
यह संपूर्ण लोक प्रशासन की एक ऐसी विशेषीकृत शाखा है जो प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से उत्पन्न आपदाओं के नीति नियोजन, नियंत्रण, समन्वय, रहत, बचाव एवं पुनर्वास इत्यादि का अध्ययन करती है।
आपदा प्रबंधन एक जटिल तथा बहुआयामी प्रक्रिया है अर्थात् केंद्र, राज्य एवं स्थानीय शासन के साथ-साथ बहुत सारे विभाग, संस्थाएं एवं समुदाय इसमें अपना योगदान देते हैं।
यह प्राथमिक रूप से सरकारी दायित्व को इंगित करता है किंतु सामुदायिक एवं निजी सहयोग के बिना यह कार्य अधूरा है।
आपदाएं सार्वभौमिक एवं सर्वकालिक घटनाएं हैं इसलिए आपदा प्रबंधन का कार्य भी अंतरराष्ट्रीय समन्वय से जुड़ा हुआ है।
इसके अतिरिक्त आपदा प्रबंधन के कई आयाम हैं जिनके तहत जोखिम विश्लेषण, चेतावनी एवं वैकल्पिक व्यवस्था, बचाव एवं राहत कार्य, बहुउद्देशीय निर्णयन, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण, इत्यादि आते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत स्थापित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान को मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रलेखन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नीति की वकालत के लिए नोडल राष्ट्रीय जिम्मेदारी सौंपी गई है। 16 अक्टूबर, 2003 को भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के आपदा प्रबंधन राष्ट्रीय केन्द्र से उन्नत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, सभी स्तरों पर रोकथाम और तैयारियों की संस्कृति को विकसित कर व बढ़ावा देकर आपदा के प्रति सहिष्णु भारत निर्मित करने के अपने मिशन को पूरा करने हेतु तेजी से अग्रसर है।
प्रबंधन संरचना
केंद्रीय गृह मंत्री इस संस्थान के अध्यक्ष होते हैं जो 42 सदस्यों का एक सामान्य निकाय है जिनमें प्रख्यात विद्वानों, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के अलावा भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न नोडल मंत्रालयों और विभागों के सचिव और राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी संगठनों के प्रमुख शामिल होते हैं। इस संस्थान का 16 सदस्यीय शासी निकाय होता है जिसके अध्यक्ष राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष होते हैं। कार्यकारी निदेशक इस संस्थान का दिन-प्रतिदिन का प्रशासन संचालित करते हैं।
दृष्टि
भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन पर प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता का एक प्रमुख संस्थान होना और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी संस्थाओं में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त करना।
सभी स्तरों पर रोकथाम और तैयारियों की संस्कृति को विकसित करने और बढ़ावा देकर एक आपदा मुक्त भारत बनाने की दिशा में लगातार प्रयास करना।
मिशन
नीति निर्माण और सहायता प्रदान करके सरकार के लिए एक थिंक टैंक के रूप में काम करना और इनके माध्यम से आपदाओं के प्रभाव को कम करने में सुविधा प्रदान करना।सामरिक सीखने सहित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सेवाओं का नियोजन एवं उन्हें बढ़ावा देना।राष्ट्रीय स्तर की जानकारी का अनुसंधान, प्रलेखन और विकास।प्रभावी आपदा तैयारियों और शमन के लिए प्रणाली का विकास और विशेषज्ञता को बढ़ावा देना।सभी हितधारकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ावा देना और जागरूकता बढ़ाना।सभी हितधारकों के सभी स्तरों पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत बनाना।नेटवर्किंग और जानकारी,अनुभव और विशेषज्ञता के आदान – प्रदान की सुविधा प्रदान करना।
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