Hindi, asked by JaisAK47BAHUBALI, 1 year ago

essay on dowry system in hindi​

Answers

Answered by nosumittiwari3
8
 \huge{DOWRY-SYSTEM }
→→→→→→→→→→→→→→→→→→→→

 दहेज - प्रथा



समाज में रीति रिवाज धीरे-धीरे प्रथा बन जाते हैं। समाज में किसी सभ्रांत वर्ग द्वारा अपनाई गई कोई भी रीति, रिवाज बनकर परम्परा के द्वारा प्रथा का रूप धारण कर लेती है। अन्य लोग भी उन प्रथाओ को उसी रूप में अपनाने लगते हैं। परंतु कभी- कभी कुछ प्रथाओ मे विकार पैदा होने लगते हैं। जो बाद में समाज के लिए एक अभिशाप बनकर रह जाती हैं। दहेज प्रथा भी उन्हीं प्रथाओ मे से एक है जो आज पूरे समाज के लिए एक अभिशाप है ओर जिसके कारण ना जाने कितनी मासूम बहन बेटियाँ अपनी जान गवा रही हैं।

दहेज क्या है? अपनी इच्छा व यथाशक्ति के अनुकूल शादी में अपनी कन्या को दिए गए धन व वस्तुओं को उपहार कहना चाहिए। जब यह धन अपनी सामर्थ्य से अधिक व वरपक्ष के प्रभाव में देना आवशयक हो जाता है, उसको देना एक सामाजिक प्रथा या मर्यादा बन जाती है तो वह दहेज कहलता है। प्रारम्भ में इस प्रथा का विकास उपहार के रूप में हुआ। समाज का हर वर्ग अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुकूल खुशी से अपनी कन्या को कुछ देता था। बाद में धीरे-धीरे सम्पन्न घरों में दी गई वस्तुओं की तरह अन्य लोगों ने भी लड़की पक्ष से मांग करना शुरू कर दिया। कन्या पक्ष गरीब भी हो तो उसको एक बनी हुई प्रथा के अनुसार वरपक्ष को इतना दहेज देना पड़ता हैं कि वह जीवन भर कर्ज में फंस जाता है और उसकी स्थिति जर्जर जो जाती है। 

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम- आज दहेज प्रथा में इतने विकार पैदा हो गए हैं कि उन्हें निभाना सबके के लिए असंभव हो गया है। वरपश स्वार्थवाश अधिक से अधिक कीमती वस्तुओं, नकद व जेवर आदि की मांग करने लग गया है। बहुत से लोग जो समर्थ है अधिक से अधिक दहेज देकर अपने सिर का बोझ हल्का कर लेते है, परंतु जो लोग वरपश की मांगे पूरी नहीं कर पाते वो या तो कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं या फिर उनकी लड़कियों का विवाह ही नहीं हो पाता। दूसरी ओर तृष्णा कभी पूरी नहीं होती, लालच ख़बी ना खत्म होने वाली बीमारी है इसलिए कम दहेज लाने वाली लड़कियो को कई प्रकार के शारीरिक व मानसिक कष्ट उठाने पड़ते, कई घरो मई बहुओं को जला दिया जाता हैं, या अन्य प्रकार से उनकी हत्या कर दी जाती है। इस प्रकार दहेज रूपी दानव ना जाने कितनी मासूम लड़कियों को निगल चुका है। 

दहेज प्रथा में सुधार- आधुनिक युग में दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए शिक्षित युवाओं को आगे आना पड़ेगा। सम्पन्न घरों के युवकों को भी दहेज की राशि स्वीकार नहीं करनी चाहिए। सरकार ने दहेज प्रथा पर रोक लगाने के लिए कानून तो बना दिया परन्तु वह समाज में वयवहारिक रूप से लागू नहीं हो पा रहा हैं क्योंकि समाज अभी इस प्रथा को अपनाने में स्लंग्न है। जब तक समाज स्वयं इसको समाप्त नहीं करेगा तब तक कानून भी कुछ नहीं कर सकता।

____________________________

 <marquee > hope its help you

JaisAK47BAHUBALI: THANKS
nosumittiwari3: my pleasure
nosumittiwari3: my answer mark as brainlist
Similar questions