essay on e -rickshaw in hindi
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ई-रिक्शा एक अच्छा विकल्प
सो, दिल्ली के रिक्शावालों वालों के दिन बदलने की कोई उम्मीद है? ई-रिक्शा इसका विकल्प हो सकता है. यह न तो गोल्फ गाड़ी होती है और न ही रिक्शा होता है. इसमें स्टील और मज़बूत प्लास्टिक के फ्रेम से बना इलेक्ट्रिक मोटर है जो बैटरी से चलता है.
बैटरी को छोड़कर इसकी सभी चीज़ें रीसाइकिल की जा सकती हैं. इनमें पैडल भी लगे होते हैं जिससे पैर नहीं थकते.
दिल्ली की गलियों में ई-रिक्शा आने ही वाला है. ईको-गाड़ी के तौर पर इसे बेचा जा रहा है लेकिन शायद यह मौज मस्ती के लिए नहीं है. लोगों की प्रतिक्रिया कैसी होगी, 300 साल पुराने बाज़ार में 21वीं शताब्दी की चीज़ को लोग कैसे स्वीकार करेंगे?
लेकिन मुझे यकीन है कि यह बाज़ार में पकड़ बना लेगा. ई-रिक्शा पर मुहम्मद इलियास जैसे लोग अपनी उम्मीद से कहीं अधिक वर्षों तक लोगों को सवारी करा सकेंगे. इलियास बिहार के अपने गांव वापस लौटने के पहले पर्याप्त पैसा कमा चुके होंगे. लेकिन अभी ये एक सपना ही है.
सो, दिल्ली के रिक्शावालों वालों के दिन बदलने की कोई उम्मीद है? ई-रिक्शा इसका विकल्प हो सकता है. यह न तो गोल्फ गाड़ी होती है और न ही रिक्शा होता है. इसमें स्टील और मज़बूत प्लास्टिक के फ्रेम से बना इलेक्ट्रिक मोटर है जो बैटरी से चलता है.
बैटरी को छोड़कर इसकी सभी चीज़ें रीसाइकिल की जा सकती हैं. इनमें पैडल भी लगे होते हैं जिससे पैर नहीं थकते.
दिल्ली की गलियों में ई-रिक्शा आने ही वाला है. ईको-गाड़ी के तौर पर इसे बेचा जा रहा है लेकिन शायद यह मौज मस्ती के लिए नहीं है. लोगों की प्रतिक्रिया कैसी होगी, 300 साल पुराने बाज़ार में 21वीं शताब्दी की चीज़ को लोग कैसे स्वीकार करेंगे?
लेकिन मुझे यकीन है कि यह बाज़ार में पकड़ बना लेगा. ई-रिक्शा पर मुहम्मद इलियास जैसे लोग अपनी उम्मीद से कहीं अधिक वर्षों तक लोगों को सवारी करा सकेंगे. इलियास बिहार के अपने गांव वापस लौटने के पहले पर्याप्त पैसा कमा चुके होंगे. लेकिन अभी ये एक सपना ही है.
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