Essay on Fire in hindi
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आग दहनशील पदार्थों का तीव्र ऑक्सीकरण है, जिससे उष्मा, प्रकाश और अन्य अनेक रासायनिक प्रतिकारक उत्पाद जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और जल उत्पन्न होते हैं। ऑक्सीकरण से उत्पन्न गैस आयनीकृत होकर प्लाज्मा पैदा करते हैं। दहनशील पदार्थ में सन्निहित अशुद्धि के कारण ज्वाला के रंग और आग की तीव्रता में अंतर हो सकता है। सामान्य रूप में आग दाह पैदा करता है जिसमें भौतिक रूप से पदार्थों को क्षतिग्रस्त करने की क्षमता है।
आग बुझाने के लिए साधारणत सबसे अच्छी रीति पानी उड़ेलना है। बालू या मिट्टी डालने से भी छोटी आग बुझ सकती है। दूर से अग्नि पर पानी डालने के लिए रकाबदार पंप अच्छा होता है। छोटी-मोटी आग को थाली या परात से ढककर भी बुझाया जा सकता है।
आरंभ में आग बुझाना सरल रहता है। आग बढ़ जाने पर उसे बुझाना कठिन हो जाता है। प्रारंभिक आग को बुझाने के लिए यंत्र मिलते हैं। ये लोहे की चादर के बरतन होते हैं, जिनमें सोडे (सोडियम कारबोनेट) का घोल रहता है। एक शीशी में अम्ल रहता है। बरतन में एक खूँटी रहती है। ठोंकने पर वह भीतर घुसकर अम्ल की शीशी को तोड़ देती है। तब अम्ल सोडे के घोल में पहुँचकर कार्बन डाइआक्साइड गैस उत्पन्न करता है। इसकी दाब से घोल की धार बाहर वेग से निकलती है और आग पर डाली जा सकती है।
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