Essay on fog in Hindi
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क्या है और कैसे बनता है कोहरा? / क्या है और कैसे बनता है कोहरा?
क्या है और कैसे बनता है कोहरा?
क्या है कोहरा?
जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती है। कभी-कभी अनुकूल परिस्थितियों में हवा के बिना ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की नन्हीं बूंदों में बदल जाती है तब हम इसे कोहरा कहते हैं। तकनीकी रूप से बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है। यह वायुमंडल में जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर ही फैला रहता है। किसी घने कोहरे में दृश्यता एक किमी से भी कम हो जाती है। इससे अधिक दूरी पर स्थिति चीजें धुंधली दिखाई पड़ने लगती हैं।
कैसे बनता है कोहरा?
सापेक्षिक आर्द्रता शत प्रतिशत होने पर हवा में जलवाष्प की मात्रा स्थिर हो जाती है। इससे अतिरिक्त जलवाष्प के शामिल होने से या तापमान के कम होने से संघनन शुरू हो जाता है। जलवाष्प से संघनित छोटी पानी की बूंदे वायुमंडल में कोहरे के रूप में फैल जाती हैं।
धुंध
जब कोहरे का धुएं के साथ मिश्रण होता है तो उसे धुंध (स्मॉग) कहते हैं। कुहासा या धुंध भी एक तरह का कोहरा ही होता है बस दृश्यता का अंतर होता है। यदि दृश्यता की सीमा एक किमी या इससे कम हो तो उसे कुहासा या धुंध कहते हैं।
कोहरा और कुहासा में अंतर
कोहरा और कुहासा दोनों हवा के निलंबित कणों पर जल की सूक्ष्म बूंदों से बने होते हैं। इनमें जल की सूक्ष्म बूंदों के घनत्व के कारण अंतर होता है। कुहासे की तुलना में कोहरे में जल की सूक्ष्म बूंदें अधिक होती हैं। कोहरे की एक परिभाषा के अनुसार कोहरे में दृश्यता सीमा 1,000 मीटर से कम रह जाती है। यह सीमा हवाई यातायात व्यवस्था के लिए उचित है लेकिन आम जनता और वाहनों के लिए दृश्यता की 200 मीटर अधिकतम सीमा अधिक महत्वपूर्ण है। दृश्यता के 50 मीटर के कम हो जाने पर यातायात संबंधी अनेक अवरोध उत्पन्न होते हैं।
ड्यू प्वाइंट
तापमान की वह अवस्था जिस पर हवा में मौजूद जल वाष्प संतृप्त होकर संघनित होना शुरू करती है। हवा में जलवाष्प की कुछ मात्रा मौजूद रहती है जिसे आर्द्रता या नमी कहा जाता है। हवा में जलवाष्प की यह मात्रा ताप और वायुदाब पर निर्भर करती है। एक निश्चित वायुदाब और ताप पर हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा निर्धारित होती है।
अन्य प्रभाव
केवल आर्द्रता, ताप और दाब ही कोहरे के निर्माण के लिए काफी नहीं होते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि गैस से द्रव में बदलने के लिए पानी को गैसरहित सतह की जरूरत होती है। और यह सतह इनको मिलती है पानी के एक बूंद के सौवें भाग से। इन शूक्ष्म हिस्सों को संघनन न्यूक्लियाई या क्लाउड सीड कहते हैं। धूल मिट्टी, एरोसाल और तमाम प्रदूषक तत्व मिलकर संघनन न्यूक्लियाई या क्लाउड सीड का निर्माण करते हैं। यदि वायुमंडल में ये शूक्ष्म कण बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं तो सापेक्षिक आर्द्रता 100 फीसदी से कम होने के बावजूद जलवाष्प का संघनन होना शुरू हो जाता है।
उत्तर भारत में कोहरे की चादर
दिल्ली, उत्तरी हरियाणा, दक्षिणी पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी बिहार देश के सबसे कोहरा प्रभावित क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में प्रदूषण, भू प्रयोग तरीके और कोहरे की आवृत्ति में सीधा संबंध स्पष्ट दिखाई देता है। दिल्ली जैसे शहरी परिवेश में हवा के अंदर भारी मात्रा में प्रदूषक तत्व संघनन के बाद जलवाष्प को कोहरा निर्माण के लिए प्रचुर सतह मुहैया कराते हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में खेतों की सिंचाई कोहरे के लिए जरूरत से ज्यादा नमी उपलब्ध कराती है। भौगोलिक और मौसमीय दशाओं के अलावा इलाके में भारी प्रदूषण कोहरे और धुंध के लिए सहायक साबित होता है।