Essay on Garibi ek manodasha
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भारत में गरीबी एक गंभीर और दीर्घकालिक मुद्दा रहा है। यह चरम स्थिति है जब किसी व्यक्ति को आश्रय, पर्याप्त भोजन, कपड़े, दवाएं इत्यादि जैसे जीवन को जारी रखने के लिए जरूरी आवश्यक वस्तुओं की कमी महसूस होती है। गरीबी के कुछ सामान्य कारण अतिसंवेदनशील, घातक और महामारी रोग, प्राकृतिक आपदाओं, कम कृषि उत्पादन, रोजगार की कमी, देश में जातिवाद, निरक्षरता, लिंग असमानता, पर्यावरणीय समस्याएं, देश में अर्थव्यवस्था के रुझान बदलना, उचित शिक्षा की कमी, अस्पृश्यता, सीमित या अपर्याप्त पहुंच, उनके अधिकारों, राजनीतिक हिंसा, संगठित अपराध , भ्रष्टाचार, प्रेरणा की कमी, आलस्य, पुरानी सामाजिक मान्यताओं आदि। प्रभावी समाधानों का पालन करके भारत में गरीबी को कम किया जा सकता है, हालांकि सभी नागरिकों के व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता है।
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हम निर्धनता को भोजन, उचित घर, कपड़े, दवाईयाँ, शिक्षा और एक जैसे मानवाधिकार की कमी के रुप में परिभाषित कर सकते हैं।
गरीबी इंसान को लगातार भूखे रहने, घर के बिना, कपड़ों के बिना, शिक्षा और उचित अधिकारों के बिना रहने को मजबूर करता है।
देश में गरीबी के बहुत सारे कारण हैं हालाँकि समाधन भी है लेकिन इन परिस्थितियों में लिये भारतीय नागरिकों के बीच उचित एकता की कमी के कारण, गरीबी दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। किसी भी देश में संक्रामक रोगों का फैलना निर्धनता का एक कारण है क्योंकि गरीब लोग अपने स्वास्थ्य और स्वास्थ्यकर स्थिति का ध्यान नहीं रख सकते।
गरीबी उचित चिकित्सा, स्कूल जाने के लिये, ठीक से बोलने के लिये, तीन वक्त का भोजन खाने के लिये, जरुरी कपड़े पहनने के लिये, खुद का घर खरीदने के लिये, काम के लिये उचित तरीके से पैसा प्राप्त करने आदि के लिये लोगों को अक्षम बनाता है।
बीमारी की ओर जाने के लिये एक व्यक्ति को निर्धनता मजबूर करती है क्योंकि वो गंदा पानी पीते हैं, गंदी जगह पर रहते हैं और अपर्याप्त भोजन खाते हैं। गरीबी के कारण शक्तिहीनता और आजादी की कमी होती है।
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meet5193:
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