Hindi, asked by rajandubey35, 1 year ago

essay on gramin aur shehri jeevan in hindi language

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Answered by abhi8278
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शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर निबंध

आजादी के  कई दशक बाद भी भारत इतनी असमानताओं से भरा पड़ा है कि अक्सर यह कहा जाता है कि यहां दो देश हैं — एक भारत एवं एक इंडिया। यह देश के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों की दो अलग-अलग वास्तविकताओं को दर्शाता है। लेकिन यह आवश्यक है कि ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों के निवासी एक दूसरे के साथ सद्भाव पूर्वक रहें। राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन के अनुसार वर्ष वर्ष 2009-10  में  देश के ग्रामीण इलाकों में औसत प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 1054 रुपए था,  जबकि शहरी क्षेत्रों में यह में 1984 रूपए था, जिसका मतलब है कि शहरी निवासियों का प्रति व्यक्ति खर्च गांवों में रहने वाले लोगों की तुलना में 88 % प्रतिशत अधिक था। गांवों में एवं शहर में रहने वाले लोगों के जीवन में सिर्फ इतना ही फर्क नहीं है। यहाँ हम शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन विषय पर बहुत ही सरल एवं आसान भाषा में छात्रों के लिए निबंध प्रदान कर रहे हैं और वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इनमें से किसी भी निबंध का चयन कर सकते हैं।

शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर निबंध (सिटी लाइफ वस विलेज लाइफ एस्से)

You can find below some essays on City Life vs Village Life in Hindi language for students in 100, 150, 200, 250, 300, and 400 words.

शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर निबंध 1 (100 शब्द)

भारत गांवों का देश कहलता है। देश की आबादी का सड़सठ प्रतिशत अभी भी गांवों में रहती है। जो  लोग गांवों में रहते हैं उनके लिए शहरी क्षेत्र का जीवन कठिनाइयों से भरा है। उन्हें शहरों में बड़े पैमाने पर वाहनों से होने वाला प्रदूषण, लगातार होता हुआ शोर, भीड़ और धुआं असहज महसूस कराता है।

लेकिन शहरों में रहने वाले लोगों को उनके जीवन की व्यस्त गति से प्यार है। वे धन, शक्ति और अच्छी सामाजिक स्थिति प्राप्त करने के अपने सपनों का पीछा करना प्रिय है। प्रत्येक दिन जीवित रहने के लिए जीवन की भागदौड़ में उन्हें नई-नई समस्याओं और जटिलताओं से जूझना पड़ता है।

निश्चित रूप से गांवों और शहरों में रहने वाले लोगों की जीवन शैली में एक बड़ा अंतर है। दोनो ही जीवनशैलियों में एक दूसरे के अच्छे पहलुओं को शामिल करके संतुलन स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।



शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर निबंध 2 (150 शब्द)

आगे बढ़ने के लिए सुविधाओं और अवसरों की उपलब्धता ग्रामीण जीवन की अपेक्षा शहरी जीवन में अधिक होती है। लेकिन शहरों में प्रदूषण, शोर, पर्याप्त पानी की अनुपलब्धता है और साथ ही वहां ट्रैफिक जाम, भीड़भाड़ और अपराध भी एक गंभीर समस्या है। इसी तरह, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं की कमी है, लेकिन स्वच्छ हवा और शांति वहाँ रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।

गांवों भारतीय संस्कृति और विरासत का दर्पण है। वहां भारत की सदियों पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं। आप गांवों में आज भी धूप, हरियाली और शांति का आनंद प्राप्त कर सकते हैं और यहां के लोग बहुत ही गर्मजोशी से मिलते हैं और उनका व्यवहार भी दोस्ताना होता है।

वहीं दूसरी तरफ शहरी जीवन कठिन चुनौतियों से भरा होता है। ज्यादातर, शहरों में रहने वाले लोगों के पास नवीनतम एवं अत्याधुनिक सुख- सुविधाओं के साधन उपलब्ध होते हैं लेकिन वे हमेशा किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रहते हैं और अफसोस की बात है कि  वे अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। इस प्रकार, ग्रामीण एवं शहरी दोनो ही क्षेत्रों के जीवन की अपनी अलग-अलग विशेषताएं एवं कमियां हैं।

शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर

भारत मोटे तौर पर एक कृषि आधारित देश है। किसान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वे अपने खेतों में अनाज और सब्जियां उगाने के लिए कड़ा परिश्रम करते हैं। वे फसलों की सिंचाई के लिए तालाबों और नहरों में पानी के संरक्षण करते हैं। किसानों का शहरों की भागदौड़ एवं हलचलों से दूर एवं प्रकृति के करीब होता है। वहां यदि भूमि और जाति के पूर्वाग्रहों एवं प्रचलित वर्ज्य एवं अंधविश्वासों पर होने वाले संघर्षों को अगर छोड़ दे तो हर जगह शांति और सौहार्द होता है।

दूसरी ओर, शहरों में लोग हमेशा समय को पकड़ने के लिए दौड़ते रहते हैं। वहाँ हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने का जबरदस्त तनाव बना रहता है और व्यस्त शहरी जीवन की वजह से स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानियां भी हो जाती हैं। शहरी निवासियों को अपने मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, या यहां तक कि अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए भी काफी कम समय होता है। जैसे-जैसे शहरों में रहने वाले लोगों की आवश्यकताएं एवं उनकी लागत बढ़ती जा रही हैं पैसे के पीछे भागने की प्रवृत्ति भी शहरों में लगातार बढ़ती जा रही है और यह उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। धन जमा कर लेने के बावजूद शांति अभी भी शहरी निवासियों से कोसों दूर है।

लेकिन गांवों में भी जीवन की अपनी समस्याएं हैं। वहाँ अक्सर भूमि के मालिकाना हक एवं जाति से संबंधित झड़पें होती रहती हैं। कई गांवों में भी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली जैसी  बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। हालांकि आप चाहे गांव में रहे या शहर में आपको अपने जीवन में सही संतुलन और उद्देश्य बहाल करने की जरूरत है।

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Answered by 10119
3

Answer:nahi pata

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