Hindi, asked by rahul112342, 11 months ago

essay on guru nanak jayanthi in hindi​

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Answered by kishu636
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सिख धर्म के पहले गुरु नानक जी के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। Guru Nanak Jayanti पर सिख समुदाय के लोग सुबह- सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं गुरुद्वारे में नगर कीर्तन करते हैं, रुमालें चढ़ाते हैं। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार गुरुद्वारों में दान करते हैं। गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व और गुरुपूरब नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है “गुरुओं का उत्सव”। प्रकाश पर्व की दिन सिख लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन होता है। आज हम इस आर्टिकल से आपको गुरु पर्व के बारे में, गुरु पर्व क्यों मनाया जाता है कि पूरी जानकारी बतायेंगे। इस आर्टिकल से आपको गुरु पर्व की पूरी जानकारी हिंदी में प्राप्त होगी।गुरु नानक देव जी का जन्म गांव तलवंडी, शेडखुपुरा डिस्ट्रिक, पंजाब में हुआ था। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का दिन गुरुनानक दिवस के रुप में मनाया जाता है। गुरु नानक जी अपने कई महान कार्यों के लिए जाने जाते हैं। गुरु नानक जी को विश्व भर में सांप्रायिक एकता, सच्चाई, शांति, सदभाव के ज्ञान को बांटने के याद किया जाता है। साथ ही सिख समुदाय की नीव को रखने का क्षेय में गुरु नानक जी को दिया जाता है। गुरु नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर, 1539 को करतारपुर, मुगल साम्राज्य, पाकिस्तान में हुई थी।

Answered by jitendrapatil9764
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सिख धर्म के पहले गुरु नानक जी के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। Guru Nanak Jayanti पर सिख समुदाय के लोग सुबह- सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं गुरुद्वारे में नगर कीर्तन करते हैं, रुमालें चढ़ाते हैं। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार गुरुद्वारों में दान करते हैं। गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व और गुरुपूरब नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है “गुरुओं का उत्सव”। प्रकाश पर्व की दिन सिख लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन होता है। आज हम इस आर्टिकल से आपको गुरु पर्व के बारे में, गुरु पर्व क्यों मनाया जाता है कि पूरी जानकारी बतायेंगे। इस आर्टिकल से आपको गुरु पर्व की पूरी जानकारी हिंदी में प्राप्त होगी।

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गुरु नानक जयंती पर निबंध / Guru Nanak Jayanti Essay

गुरु नानक जयंती निबंध पर 400 words

गुरु नानक देव जी का जन्म गांव तलवंडी, शेडखुपुरा डिस्ट्रिक, पंजाब में हुआ था। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का दिन गुरुनानक दिवस के रुप में मनाया जाता है। गुरु नानक जी अपने कई महान कार्यों के लिए जाने जाते हैं। गुरु नानक जी को विश्व भर में सांप्रायिक एकता, सच्चाई, शांति, सदभाव के ज्ञान को बांटने के याद किया जाता है। साथ ही सिख समुदाय की नीव को रखने का क्षेय में गुरु नानक जी को दिया जाता है। गुरु नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर, 1539 को करतारपुर, मुगल साम्राज्य, पाकिस्तान में हुई थी।

गुरु नानक जी का जीवन हमेशा महान कार्यों के लिए जाना जाता है और आज भी लोग उनकी दी गई सीख पर चलने की कोशिश करते हैं। गुरु नानक जी के पिता का नाम बाबा कालूचंद बेदी और माता का नाम त्रिपती था। इनके माता – पिता जी ने ही इनका नाम नानक रखा था। नानक जी के पिता गांव में स्थानीय राजस्व प्रशासन के अधिकारी थे। गुरु नानक जी बचपन से ही बुद्धिमान थे। बचपन में ही नानक जी ने कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। छोटे से ही नानक जी को फारसी और अरबी भाषा का बहुत अच्छा ज्ञान था। साल 1485 में नानक जी ने दौलत खान लोधी के स्टोर में अधिकारी के रुप में नियुक्ति ली। नानक जी का विवाह साल 1487 में हुआ था। शादी के बाद उनके उनको दो पुत्र हुए। पहला पुत्र उनका 1491 में हुआ और दूसरा पुत्र उन्हें 1496 में हुआ।

गुरु नानक जी अपने महान उद्देश्य के ज्ञान के कारण भी जाने जाते है। क्या आपको यह पता है कि पूरी दुनिया को अपने उद्देश्य के बारे में बताने के लिए गुरु नानक जी ने अपना घर छोड़ दिया था। घर छोड़कर गुरु नानक जी अपने सिद्धांत और नियमों का प्रचार करने के लिए निकल गए थे। और एक सन्यासी का रुप धारण कर लिया था। अपने उद्देश्य से गुरु नानक जी ने कमजोर लोगों की मदद के लिए खूब प्रचार किया। साथ ही गुरु नानक जी ने भेद, मूर्ति पूजा और धार्मिक विश्वासों के खिलाफ अपने प्रचार को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने विचारों को फैलाने के लिए कई हिंदू और मुसलिम धर्म के स्थानों पर यात्रा की।

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गुरु नानक जी की जीवन की यात्रा 25 साल तक चली। इन 25 सालों में गुरु नानक जी ने अपने उद्देश्य का बढ़ चढ़कर प्रचार किया। और आखिरी में श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्रा 25 साल खत्म कर दी। और नानक जी करतारपुर नाम के गांव जो पंजाब में स्थित है, वहां पर रहने लगे। और बाद में इसी जगह गुरु नानक जी ने अपनी आखिरी सांस ली। गुरु नानक जी की मृतयु के 12 साल बाद भाई गुरुदास का जन्म हुआ। जो अपने बचपन से ही सिख मिशन से जुड़ गए। इन्होंने सिख समुदाय के लिए काफी कुछ किया। जैसे कि जगह – जगह सिख समुदाय बनाए और धर्मशालाएं भी खोली।

गुरु नानक जयंती निबंध पर 200 words

गुरु नानक जी के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व मनाया जाता है। गुरु नानक पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को राय भोई की तलवंडी में हुआ था जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब में है। ननकाना साहिब गुरुद्वारा भी इस जगह पर स्थित है जो सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। प्रत्येक वर्ष गुरु पर्व पर ननकाना साहिब में लोगों की भारी तदद देखने को मिलती है। ननकाना साहिब के अलावा भारत में अनेकों गुरुद्वारों में नगर कीर्तन करवाये जाते हैं लंगर करवाये जाते हैं। गुरुद्वारों की सजावट भी देखने लयाक होती है।

सिख समुदाय के प्रथम गुरु नानक देव जी थे। गुरु नानक देव जी ने सिख समुदाय की नींव रखी थी। गुरु नानक देव जी को बाबा नानक और नानकशाह के नाम से पुकारा जाता था। गुरु नानक जी निहित नैतिकता, कड़ी मेहनत और सच्चाई का संदेश देते हैं। सिख धर्म की प्रार्थना जपजी साहिब गुरु नानक देव जी द्वारा लिखी गई थी जिसका लोग सिमरन करते हैं और गुरु नानक देव जी से घर में सुख शांति की कामना करते हैं। सिख धर्म के गुरुओं में प्रथम गुरु- नानक देव, दूसरे गुरु – गुरु अंगद देव, तीसरे गुरु – गुरु अमर दास, चौथे गुरु – गुरु राम दास, पाचंवे गुरु – गुरु अर्जुन देव, छठे गुरु – गुरु हरगोबिन्द, सातवें गुरु – गुरु हर राय, आठवें गुरु – गुरु हर किशन, नौवें गुरु – गुरु तेग बहादुर, और दसवें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह जी हैं।

गुरु नानक जयंती पर 10 लाइनें

गुरु नानक जंयती भारत और विदेशों में सिखों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है।

गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।

गुरु नानक जयंती के शुभ अवसर पर स्कूलों, कॉलेजों और इंस्टीट्यूड में छुट्टी होती है।

गुरु नानक जयंती का त्यौहार नानकशाही कैलेंडर के अनुसार ’कटक’ महीने में आता है।

गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पाकिस्तान के लाहौर के पास तलवंडी में हुआ था।

प्रथम गुरु नानक देव जी के जन्म की खुशी के रुप में मनाया जाता है।

16 साल की उम्र में गुरु नानक देव जी ने दौलत खान लोदी के अधीन काम करना शुरु किया था।

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