Hindi, asked by kuku76, 1 year ago

essay on हमारी शिक्षा नीति-सफल या असफल ​

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Answered by LOKESHLOVER786
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जब हम शिक्षा की बात करते हैं तो सामान्य अर्थो में यह समझा जाता है कि इसमें हमें वस्तुगत ज्ञान प्राप्त होता है तथा जिसके बल पर कोई रोजगार प्राप्त किया जा सकता है । ऐसी शिक्षा से व्यक्ति समाज में आदरणीय बनता है ।

समाज और देश के लिए इस ज्ञान का महत्व भी है क्योंकि शिक्षित राष्ट्र ही अपने भविष्य को सँवारने में सक्षम हो सकता है । आज कोई भी राष्ट्र विज्ञान और तकनीक की महत्ता को अस्वीकार नहीं कर सकता, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका उपयोग है । वैज्ञानिक विधि का प्रयोग कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में करके ही हमारे देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति लाई जा सकी है ।

अत: वस्तुपरक शिक्षा हर क्षेत्र में उपयोगी है ।परंतु जीवन में केवल पदार्थ ही महत्वपूर्ण नहीं हैं । पदार्थो का अध्ययन आवश्यक है, राष्ट्र की भौतिक दशा सुधारने के लिए तो जीवन मूल्यों का उपयोग कर हम उन्नति की सही राह चुन सकते हैं । हम जानते हैं कि भारत में लोगों के बीच फैला भ्रष्टाचार किस तरह से विकास की धार को भोथरा किए हुए है ।

हम देखते हैं कि मूल्यों में ह्रास होने से समाज में हर प्रकार के अपराध बढ़ रहे हैं । हम यह भी देखते हें कि मूल्यविहीन समाज में असंतोष फैल रहा है । बेकारी के बढ़ने से युवक असंतोष जैसी कई प्रकार की चुनौतियाँ खड़ी दिखाई देती हैं । छोटे से बड़े नौकरशाह निकम्मेपन और भ्रष्टाचार के अंधकूप में डुबकियाँ लगा रहे हैं, उन्हें समाज या राष्ट्र की कोई परवाह नहीं है ।

इन परिस्थितियों में आत्ममंथन अनिवार्य हो जाता है । क्या हमारी शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है ? यदि शिक्षा व्यवस्था त्रुटिहीन है तो निश्चित ही व्यक्तियों में दोष है ? आखिर कहीं ना कहीं तो शीर्षासन चल ही रहा है जो गलत को सही और सही को गलत ठहरने पर आमादा है ।

यदि शिक्षा प्रणाली पर गहराई से दृष्टिपात करें तो सरकारी तौर पर ही इसकी कमियाँ परिलक्षित हो जाएँगी । हमारे देश के आधे से अधिक शिक्षित व्यक्तियों के सामने कोई लक्ष्य नहीं है, उनके सामने अँधेरा ही अंधेरा है ।

जिसने अपने जीवन के पंद्रह बेशकीमती वर्ष शिक्षा में लगा दिए, जिसने इतना समय किसी कार्य के प्रति समर्पित कर दिया, उसके दो हाथों को कोई काम नहीं है । पंद्रह वर्षो के श्रम का कोई प्रतिफल नहीं तो ऐसी शिक्षा बेकार है ।


kuku76: kaffi jada boring nd bada h ... but padhna to padega ... tqq
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