Hindi, asked by shreya26, 1 year ago

essay on humanity in hindi

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Answered by AafiyaQureshi
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आज हमारे मानव समाज में जो भी धर्म प्रचलित हैं वें अपने वास्तविक उद्देश्य को पूरा नहीं कर रहे हैं. किसी भी धर्म का उद्देश्य होता है मानव को मानव और ईश्वर के निकट लाना और शांति स्थापित करना पर आज धर्म हमें एक करने की बजाय हमें बाँट रहे हैं. एक धर्म ही कई हिस्सों में बंटा हुआ है. जब धर्म खुद ही इतने हिस्सों में बंटे हुए हैं तो वह हमें एकता और शांति का पाठ कैसे पढ़ायेंगे. कई लोगों के लिए तो धर्म मात्र एक व्यवसाय बन गया है. धर्म विशेष के प्रति कट्टरता व्यक्ति को संकीर्ण विचारों वाला बना देती है और वह सत्य को स्वीकार नहीं कर पाता. धार्मिक कट्टरपंथियों ने तो हिंसा को ही धर्म का हिस्सा बना दिया है और धर्म के नाम पर अशांति फैला रहे हैं और हमारी स्वतंत्रता और खुशियों को तबाह कर रहे हैं. 


ऐसे समय में यह बहुत जरुरी है कि हम एक ऐसे धर्म को अंगीकार करे जो सभी धर्मों का सार हो और हम सभी को एकता के सूत्र में बाँध सके. मानवता ही एक मात्र ऐसा धर्म है जो इस संसार को रहने योग्य और शांतिपूर्ण बना सकता है और धर्म के वास्तविक उद्देश्य को पूरा भी कर सकता है. 


धर्म ने मानव को नहीं बनाया बल्कि मानव ने धर्म को बनाया हैं और सत्य तो यहीं है कि संसार के सभी प्राणी पञ्च तत्वों से मिलकर बने हैं. हमारी मंजिल भी एक ही है तो फिर इतनी अलग अलग धारणाएं अपनाने का क्या औचित्य है ?


एक नवजात शिशु सिर्फ प्यार की भाषा जानता है. जन्म के साथ वह किसी भी जाति, धर्म या सम्प्रदाय का हिस्सा नहीं होता बल्कि जिस घर में और जिन लोगों के बीच उसका लालन पालन होता है उन्हीं के धर्म, परम्पराओं आदि को स्वीकार करने को वो बाध्य होता है. अगर उसी बच्चे का पालन-पोषण किसी और घर में होता तो वह उस घर के धर्म और जाति को अपनाता. इससे यह सिद्ध है कि कोई भी मनुष्य किसी धर्म या जाति विशेष के साथ पैदा नहीं होता. 


मानवता धर्म की सबसे अच्छी बात यह है कि यह सभी लोगों को चाहे वे आस्तिक हो या नास्तिक हो को एक कर सकता है. ईश्वर है या नहीं इसकी चिंता करने की बजाय हमें एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए. अगर हम एक अच्छे इंसान है तो फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम ईश्वर में विश्वास करते हैं या नहीं. अगर हम प्यार शांति और ख़ुशी के बीज बोयेंगे तो बदले में हमें भी ढेर सारा प्यार, ख़ुशी और शांति मिलेगी. 


मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जो अहंकार, ईर्ष्या, क्रोध और निर्दयता से भरे होते है पर फिर भी धार्मिक अनुष्ठानों में निर्लिप्त दिखाई देते हैं. इनमे से कई ऐसे होते हैं जो ईश्वर की भक्ति को सभी बुरे कार्यों को करने का लाइसेंस मानते है. क्या ऐसे लोग सच में धार्मिक है ? कुछ धर्मों में पशुओं की बलि दी जाती है . मुझे आज तक समझ नहीं आया कि किसी की हत्या के द्वारा हम ईश्वर को खुश कैसे कर सकते हैं ? कुछ लोग सामने खड़े कुत्ते या भूखे इंसान को खाना नहीं देंगे और गाय का इंतज़ार करेंगे. ये कैसा धर्म है जो हमें बस भेदभाव और पक्षपात पूर्ण रवैया सिखाता है. 


अगर आप मानवता का अनुसरण करेंगे तो सभी भेदभावों से परे और खुले विचारों वाले बनेंगे. सभी प्राणी आपके लिए सामान होंगे और जरुरत मंद की सहायता ही आपका धर्म होगा. इससे आप खुद को ईश्वर के ज्यादा निकट पाएंगे और सच्चे अर्थों में ख़ुशी और शांति पा सकेंगे. 

Answered by bhatiamona
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इनसानियत व मानवता सबसे बड़ा धर्म है । जिस इंसान में इंसानियत नही उसका जीवन व्यर्थ है। अगर आप किसी जरूरतमंद इंसान की सहायता करते हो, भूखे को खाना खिलाते हो, प्यासे को पानी पिलाते हो तो आप अपना इंसानियत धर्म निभा रहे हो। लोगों को हिंदु मुस्लिम आदि धर्मों को भूलकर मानवता का धर्म अपनाना चाहिए । हमें अपने बच्चों को शुरू से ही मानवता का पाठ पढ़ाना चाहिए ताकि वो हमेशा दुसरों की सहायता करें और एक आदर्श जीवन व्यतीत करें। हमे हमशा सबकी मदद करेनी चाहिए  । इंसानियत का प्रतीक है । मानवता हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह दूसरों को उन्हें समझने में मदद करने के बारे में है।

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