Hindi, asked by Kartikeyasharma1910, 10 months ago

essay on if I was a bird in Hindi​

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Answered by ArinSaxena
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यदि मैं पक्षी होता तो खुले आकाश में विचरण करता, भूमंडल में विचरण करता, इच्छानुसार भोजन करता और वृक्षों की शाखाएं मेरी शय्या होती। मेरा जीवन स्वतंत्र और स्वच्छंद होता। मानव देश-विदेश के भ्रमण के लिए तरसता है। पासपोर्ट बनवाने के लिए और वीजा के लिए रात-दिन एक कर देता हैं फिर भी वह भ्रमण का पूरा आनंद नहीं ले पाता है और न ही वह संसार की विविधता को पूरी तरह से देख पाता है। यदि मैं पक्षी होता तो मैं देशों की सीमाओं से न बंधा होता। बिना किसी पासपोर्ट और वीजा के ही मैं दुनिया घूमता।

यदि मानव पर कोई विपत्ति आ जाए तो आज उसके दुःख दर्द में कोई शामिल नहीं होता परन्तु यदि मैं पक्षी होता तो मेरी एक आवाज पर सैकड़ों पक्षी एकत्र होकर मेरे सुर में सुर मिलाकर इतना शोर मचा देते की मेरा दुःख-दर्द और मुसीबतें सब उड़न छू हो जातीं। यदि मैं पक्षी होता तो मनुष्य मेरे रंग-बिरंगे शरीर की आकृतियाँ अपने वस्त्रों पर बनाते मेरी मिट्टी, प्लास्टिक आदि की मूर्तियाँ बनाते और अपने घरों में सजाते। बच्चे मेरे जैसे दिखने वाले खिलौने से खेलते और मुझे बहुत ही ख़ुशी होती।

अगर मैं भी पक्षी होता तो मैं भी पेड़ों पर बैठकर चिल्लाता और अपने मधुर गान से हर किसी को मोहित कर देता।एक इंसान सिर्फ चल सकता है दौड़ सकता है लेकिन वह उड़ नहीं सकता क्योंकि भगवान ने उसे उड़ने के लिए पंख नहीं दिए हैं पक्षी उड़ कर कहीं भी आ जा सकते हैं अगर मैं पक्षी होता तो किसी भी अपने करीबी रिश्तेदार से आसानी से मिल सकता था।

जिस प्रकार काव्य तथा साहित्य में मोर की सुन्दरता तथा मीठी वाणी वाले को कोकिला की उपमा दी जाती है। लोभी को गिद्ध, ढोंगी को बगुला भगत, नीलकंठ को शिव, कबूतर को शान्ति का, बाज को वीरता तथा शौर्य का प्रतीक माना जाता हैं उसी प्रकार प्रकार मेरे लिए भी किसी न किसी उपमा का प्रयोग किया जाता और निश्चित ही यह मेरे लिए गर्व की बात होती।

यदि मैं पक्षी होता तो मैं मानव से मित्रता स्थापित कर उसका हित करता। छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों को खाकर फसल की रक्षा करता। परन्तु मैं पिंजड़े की कैद में कभी न आता। मुझे आजादी अत्यंत प्रिय है और सभी को होती है इसलिए मैं मनुष्यों को समझाता की किसी को भी कैद रखना गलत है। पक्षी बनने के पीछे एक प्रमुख वजह यह भी है की कुछ पक्षियों को देवताओं के वाहन होने का गौरव भी प्राप्त है। कितनी प्रसन्नता होती मुझे गरुड़ बनकर भगवान् विष्णु का, उल्लू बनकर देवी लक्ष्मी का, मोर बनकर कुमार कार्तिकेय का या फिर हँस बनकर ज्ञान की देवी माता सरस्वती का वाहन बनने में।

Answered by suhanigupta007
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Answer:

यदि मैं पक्षी होता तो खुले आकाश में विचरण करता, भूमंडल में विचरण करता, इच्छानुसार भोजन करता और वृक्षों की शाखाएं मेरी शय्या होती। मेरा जीवन स्वतंत्र और स्वच्छंद होता। मानव देश-विदेश के भ्रमण के लिए तरसता है। पासपोर्ट बनवाने के लिए और वीजा के लिए रात-दिन एक कर देता हैं फिर भी वह भ्रमण का पूरा आनंद नहीं ले पाता है और न ही वह संसार की विविधता को पूरी तरह से देख पाता है। यदि मैं पक्षी होता तो मैं देशों की सीमाओं से न बंधा होता। बिना किसी पासपोर्ट और वीजा के ही मैं दुनिया घूमता।

छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों को खाकर फसल की रक्षा करता। परन्तु मैं पिंजड़े की कैद में कभी न आता। मुझे आजादी अत्यंत प्रिय है और सभी को होती है इसलिए मैं मनुष्यों को समझाता की किसी को भी कैद रखना गलत है। पक्षी बनने के पीछे एक प्रमुख वजह यह भी है की कुछ पक्षियों को देवताओं के वाहन होने का गौरव भी प्राप्त है। कितनी प्रसन्नता होती मुझे गरुड़ बनकर भगवान् विष्णु का, उल्लू बनकर देवी लक्ष्मी का, मोर बनकर कुमार कार्तिकेय का या फिर हँस बनकर ज्ञान की देवी माता सरस्वती का वाहन बनने में।

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