Hindi, asked by dakshisj6329, 1 year ago

Essay on ishwar ki maya kahin dhup kahin chhaya

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Answered by Nikitatiwari
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Ishwar ki Maya Kahin dhoop kanhi chaya
अक्सर लोगों के मुंह से सुनने को मिल जाता है – ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया. इसको और स्पष्ट करने के लिए एक दृष्टान्त का जिक्र करना लाजिमी हो जाता है.

Ishwar ki Maya Kahin Dhoop Kahin Chhaya

पिछले दिनों एक सज्जन अपने एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने गए थे. उस परिवार की गिनती शहर के अमीर और संपन्न लोगों में होती है. उनका फलता-फूलता व्यवसाय ही उनकी सम्पन्नता का कारण है. उनके घर में शहर के नामी-गिरामी लोगों का आना-जाना लगा रहता है.

शादी वाले दिन तो उनके घर की प्रत्येक चीज से उनकी सम्पन्नता झलक रही थी. उनकी शानो-शौकत देखते ही बन रही थी. पूरे बंगले को फूलों और रंग-बिरंगी बत्तियों से सजाया गया था. मेहमानों को लाने और ले जाने के लिए मँहगी-मँहगी कारों का काफिला लगा था. जो लोग इस शादी में शामिल होने के लिए शहर के बाहर से आये थे, उनके ठहरने के लिए डीलक्स होटलों में व्यवस्था की गयी थी. उनके बंगले की ओर जो भी जाता था वह कुछ पल के लिए भौचक्का रह जाता था. दूर-दूर तक इसी शादी के चर्चे थे.

खान-पान की भी व्यवस्था किसी पाँच सितारा होटल से कम नहीं थी. लोग जितना खा रहे थे उससे ज्यादा बरबाद कर रहे थे. मेहमानों की विदाई मँहगे उपहारों से की जा रही थी.

रात काफी हो चुकी थी, इसलिए वे सज्जन भी सभी से इजाजत लेकर अपने घर की ओर चल पड़े . दिसम्बर का महीना था, रात को ठंड थोड़ी बढ़ गई थी. उन्होंने ओला का कैब मंगाया और घर की ओर बढ़ चले.रास्ते में टैक्सी में कुछ खराबी आ गई और उसकी मरम्मत में थोड़ा समय लग गया. ड्राइवर खराबी को ठीक करने में लगा हुआ था. इस बीच में उस सज्जन ने सड़क के किनारे एक छोटी सी चाय की दुकान पर गए और चाय की चुस्कियाँ लेने लगे. वहीं पास में उनकी नजर एक माँ-बच्चे पर पड़ी जो भूखे-प्यासे ठंडी रात में ठिठुर रहे थे.

उनके तन पर कपड़ों के नाम पर चिथड़े लिपटे हुए थे. माँ बच्चे को सीने से लगाकर उसे ठंड से बचाने की कोशिश कर रही थी. उसने अभिलाषा भरी नजरों से उस सज्जन की और देखा और अपने बच्चे को खिलाने के लिए उनसे कुछ याचना की. उसके लिए कुछ खाने को माँगा. उनका मन करुणा से भर गया और उन्होंने उसे कुछ पैसे दे दिए.

इस बीच ड्राईवर आया और बोला कि साहब टैक्सी ठीक हो गई. टैक्सी पर सवार होते हुए उन्होंने कुछ समय के ही अंतराल की दोनों घटनाओं को याद किया और उनके मुँह से अनायास ही निकल पड़ा- ‘ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया’.

इस तरह की कई घटनाएं रोज हमारे आस- पास घटित होती हैं. यदि आपने भी कुछ इस तरह का अनुभव किया है तो कमेंट बॉक्स में लिख कर हमारे साथ जरुर शेयर करें. धन्यवाद!
Answered by rsscreation123
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Answer:

रुद्रपुर गांव में दो भाई रहते थे जीवन सिंह तथा चरण सिंह ।

उन दोनों की पैतृक संपत्ति वह भूमि थी , जिस पर वे दोनों खेती किया करते थे । विवाह के पश्चात दोनों की पत्तियों में खटपट रहने लगी । पंचायत के हस्तक्षेप से दोनों में बटवारा हो गया। जीवन सिंह के दो लड़के थे। चैन सिंह की दो लड़कियां और एक लड़का था। लड़का सबसे छोटा था।

दोनों परिवार भरसक परिश्रम करते थे। जीवन सिंह के खेतों में सोना बरस रहा था परंतु चरण सिंह के खेत उसे तथा उसके परिवार का भरण पोषण करने में भी असमर्थ थे । जीवन सिंह के लड़के पढ़ने जाते थे जबकि चरण सिंह की लड़कियां घर में तथा खेतों में काम करती थी और उसका छोटा बेटा भेड़ बकरियां चराने जाने लगा।चरण सिंह की पत्नी निराशा व बहुत दुख में बड़बड़ाना करती कि उन्हें धोखे से ऐसी भूमि दे दी गई है जिस पर अच्छी फसल उपज नहीं हो सकती । चरण सिंह मन मसोसकर रह जाता ।

रुद्रपुर गांव के पास एक रियासत थी चंदनपुर । उसका राजा कलाओ प्रदर्शनीयो व खेल तमाशा में व्यस्त रहता था । वह तरह-तरह की शर्तें भी लगाया करता था । एक दिन उसने शर्त की घोषणा करवाई थी जो उसकी दोनों बकरियों को भरपेट चारा खिला कर लाएगा उसे आदि संबंधी वह अपनी कन्या का हाथ सौंप देगा। दूर-दूर तक लोगों ने इस घोषणा को सुना और अपने अपने भाग्य को आजमाने का प्रयास किया। किसी के भी हाथ में सफलता नहीं लगी।

THANK YOU....

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