Hindi, asked by Mukulkinker5766, 1 year ago

essay on jab sara din bijli na aayi

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Answered by Aryan290104
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Answer:

सुसंध्या दोस्त, यहाँ तुम्हारा जवाब है।

Explanation:

जब सारा दिन बिजली न आई

आजकल हम बिजली पर किस हद तक निर्भर हो गये हैं इसका पता मुझे उस दिन चला जब हमारे शहर में सारा दिन बिजली नहीं आई । जून का महीना था । सूर्य देव ने उदय होते ही गर्मी बरसानी शुरू कर दी थी । आकाश में धूल सी चढ़ी हुई थी । लगभग सात बजे होंगे कि बिजली चली गई । बिजली जाने के साथ ही पानी भी चला गया । घर में बड़े बुजुर्ग तो स्नान कर चुके थे पर हम तो अभी सोकर ही उठे थे इसलिए हमारा नहाना बीच में ही लटक गया । घर के अंदर इतनी तपश थी कि खड़ा न हुआ जाता था। बाहर निकलते तो वहाँ भी चैन ना था। एक तो धूप की तेज़ी और ऊपर से हवा भी बन्द थी। ज्यों-ज्यों दिन चढ़ता गया | गमी की प्रचंडता और भी बढ़ने लगी । हमने बिजली घर के शिकायत केन्द्र को फोन किया तो पता चला कि बिजली पीछे से ही बंद है। कोई भरोसा नहीं कि कब आएगी । गर्मी के मारे सब का बुरा हाल था । छोटे बच्चों की हालत तो देखी न जाती थी । गर्मी के कारण माता जी को खाना पकाने में भी बड़ा कष्ट झेलना पड़ा । गला प्यास के मारे सूख गया था । खाना खाने से पहले तक कई गिलास पानी पी चुके थे । इसलिए खाना भी ठीक ढंग से नहीं खाया गया । उस दिन हमें पता चला कि हम किस हद तक बिजली पर निर्भर चुके हैं। मैं बार-बार सोचता था कि जिन दिनों बिजली नहीं थी तब लोग कैसे रहते होंगे बिजली आ जाने पर घर में हाथ से चलाने वाले पंखे भी नहीं थे । हम अखबार या कापी के गत्ते को ही पंखा बना कर हवा ले रहे थे । सूर्य छिप जाने पर गर्मी की प्रचण्डता में कुछ कमी तो हुई किन्तु हवा बन्द होने के कारण बाहर खड़े होना भी कठिन लग रहा था । हमें चिंता हुई कि यदि बिजली रात भर न आई तो रात कैसे कटेगी । बिजली आने पर लोगों ने घरों के बाहर या छत पर सोना छोड़ दिया था। सभी कमरों में ही पंखें या कूलर लगाकर ही सोते थे । बाहर सोने पर मच्छरों के प्रकोप को भी तो सहना पड़ता था रात के लगभग नौ बजे बिजली आई और मुहल्ले के हर घर में बच्चों ने जोर से आवाज़ लगाई–आ गई आ गई । हम सब ने सुख की सांस ली। गर्मी के दिनों में बिजली के बिना हम ने सारा दिन कैसे काटा हम ही जानते हैं ।

उम्मीद है की यह मदद करेगा।

धन्यवाद।

Answered by ishwarichaudhari52
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