Hindi, asked by amishka, 1 year ago

essay on jai prakash narayan in 500 words

Answers

Answered by kvnmurty
2
                                         स्वर्गीय लोक नायक  जया प्रकाश नारायण 
 
       जयप्रकाश नारायण एक आदर्शवादी कार्यकर्ता थे जिसने भारतीय स्वतन्त्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया ।  नारायण जी ने 11 ओकूबर 1902 को बिहार राज्य में जनम लिया।   उनके पिताजी सरकार नौकरी कराते थे। नारायण अपने नौवीं साल के आयु में ही सात वीं कक्षा में पढ़ाई करने पाटना शहर गए थे।  उनहों ने सांप्रदायिक शिक्षा पायी। पढ़ाई के मामले में बहुत अच्छे थे।  मेट्रिक के बाद उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली आगे पढ़ने के लिए।

 
   उन्हों ने राजपूत राजाओं के पराक्रम के कथाएं और भगवद गीता पढ़ी और उनसे बहुत प्रभावित हुए ।  उन्हों ने पढ़ाई में अच्छे अंक पाये और अमेरिका में पढ़ाई की । अगर चाहते तो बहुत धन कमा सकते थे। पर लोगों की सेवा में जीवन बिताया।  

 
     नारायण ने एक स्वतंत्र योद्धा प्रभावती देवी से शादी की।   अमेरिका से वापस आने के बाद नारायण जी जवाहरलाल नेहरू जी के पुकार सुनकर आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए।  भारत राष्ट्रिय कॉंग्रेस में 1929 में भर्ती हुए।  गांधीजी के शिष्य बने।  अनेक बार जेल गए। 

   उनहों ने  सामाजिक समस्याओं के खिलाफ भी लड़ा। उन्हों ने स्त्रियों की और उनकी राय की इज्जत की । उन्हों ने राजनीति का सही मतलब बताई कि राजनीति वो है जो लोगों की खुशी बढ़ाए। वे  लोगों की भलाई करने वाली सोशलिसम चाहते थे।  वे चाहते थे कि जनता की हक जो होते हैं लोकतन्त्र में उनका उल्लंघन न हो।  राजनैतिक पक्षों से लोगों की भलाई हो ।

    
राम मनोहर लोहिया, मीनू मसानी , अशोक मेहता और यसुफ देसाई इत्यादी देशभक्तोंके साथ आजादी के लिए अनेक तरीकों से अंग्रेजों से विरोध करते थे।  1932 में ग्णाधीजी के पुकार के अनुसार  सिविल-डिस-ओबीड़िएन्स (सहायता से इंकार) में भाग लिए और जेल गए।
 

     
वे सोषलिस्म पर अधिक भरोसा करते थे।  इसी लिए कॉंग्रेस के अंदर होकर एक पार्टी “कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी” स्थापित किया और उसका मुख्य सचिव (जनरल सेक्रेटरी) बने।  राजनीति का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए , उनके मत में , लोगों की खुशी में उद्धार ।   आजादी के बाद स्वार्थ में पैसे कमाने के काम नहीं किया । सिर्फ लोगों के सेवा में जीवन बिताया।  इस से पता लगता है कि वे निस्वार्थ योद्धा थे आजादी के, जैसे गांधीजी ।

      1942
में गांधीजी के क्विट-इंडिया (भारत छोड़ो) आंदोलन में एक नायक के रूप में खास भूमिका निभाई।  गांधीजी  के मरने के बाद उन्हों ने इस पार्टी को कांग्रेस से अलग किया और लोगों की भलाई के लिए काम किया।

     1960
के बाद  में उन्हों ने बिहार राज्य  के राजनीति में भाग लिया।  1970 के बाद गुजरात के राजनीति में भाग लिया । 1975 में देश में फैला हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को आवाज दी।  और “एमर्जेंसी” के खिलाफ उन्हों ने अन्य विरोधी दल के लोगों को इकट्ठा किया। जेपी के नेतृत्व में राजनैतिक नेता लोग चले, जेल गए। लोगों के जागरूकता लायी ।  इसको जेपी आंदोलन कहते हैं।  जे पी जी का निधन 8 अकतूबर 1979 को हुआ।

     
उन्हों ने अगर चाहा तो बड़े पद पर राज कर सकते थे। लेकिन सच्चे नायक जैसे सिर्फ लोगों की भलाई और खुशी चाही । इसी लिए वे लोकनायक बने।


kvnmurty: click
kvnmurty: click on thanks button above plse.. select best answer
Similar questions