Hindi, asked by Destroyer6299, 1 year ago

essay on jan bachi toh lakho paye

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Answered by 17122006
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यह कहावत ऐसे समय को उजागर करती है, जब मनुष्य को समझ में आता है कि जान से बढ़कर इस संसार में कोई नहीं है। जान है, तो मनुष्य कुछ भी दोबारा पा सकता है। यदि वह जीवित नहीं है, तो लाखों पाकर भी व्यर्थ हो जाता है।
मनुष्य के जीवन में कभी न कभी ऐसी घटना घट जाती है कि वह किसी मुसीबत में फंस जाता है और उसकी जान पर बन आती है। ऐसे में उसका प्रयास होता है कि वह किसी भी तरह स्वयं को किसी सुरक्षित स्थिति में ले आए। हमें चाहिए कि ऐसे कार्य ही न करें कि किसी मुसीबत में फंस जाएँ। यदि किसी तरह ऐसी स्थिति बन भी जाए, तो धैर्य का साथ न छोड़े। धैर्य का हाथ पकड़कर मनुष्य स्वयं को किसी भी संकट से निकाल सकता है। ऐसे में उसे बस अपनी जान की चिंता होनी चाहिए।
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