Essay on ka barsha jab krishi sukhane
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काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होएगी, बहुरि करोगो कब’ इस संदर्भ में यह दोहा सर्वोत्तम है क्योंकि दोनों ही बातें हमें समय का सदुपयोग करने की प्रेरणा दे रहे हैं और यह निर्देशित कर रहे हैं कि किसी भी कार्य को करने की उपयोगिता उसके निश्चित समय पर करने से ही अधिक है न कि समय पश्चात्।
समय के मूल्य को पहचान कर उसके अनुकूल कार्य करके ही मनुष्य अपने जीवन को सार्थक बना सकता है तथा उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकता है। समय को ही सर्वोच्च धन की संज्ञा भी दी गई जिसे अंग्रजी भाषा में ‘Time is money’ कहकर सम्बोधित किया गया है। समय की उपयोगिता इस प्रकार समझी जा सकती है जब मात्र दो सेकेण्ड के अंतराल से (दौड़ में) एक एथेलिट को विजेता और दूसरे को पराजित घोषित कर दिया जाता है। उस विद्यार्थी की दुविधा से समझी जा सकती है जिसने पूरे वर्ष मेहनत करी और मात्र दो अंकों की कमी के द्वारा असफल रहा। उस मां की पीड़ा समझी जा सकती है जो अपने शिशु को नौ माह गर्भ में रखती हे और जन्मोपरान्त किसी कारणवश वह स शिशु को खो देती है। ‘समय’ की बहुत बड़ी भूमिका किसी व्यक्ति की सफलता और असफलता के रूप में देखी जा सकती है। समय के अनुकूल चलने वाला व्यक्ति जीवन में सदैव सफलता और अवसरों का सदुपयोग करता हुए आगे बढ़ता रहता है, उसके लिए कोई भी कार्य उसके साहस से बड़ा नहीं होता है। समय की महत्ता जीवन में कई रूपों में देखी जा सकती है, एक शिशु का जन्म फिर उसकी बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवास्था और वृद्धावस्था तक उसके जीवन में बहुत सी घटनाओं का आमना-सामना कराते हैं जिनसे उसे विभिन्न समस्याओं से जूझना, कठिन परिस्थितियों में विचलित न होना, दृढ़ता से अपने व्यक्तित्व को निखारने का अवसर प्राप्त होता है। इस अवस्थाओं के दौरान व्यक्ति अपने समक्ष जीवन के कई कटु सत्यों से भी रूबरू होता हे और उनका पहचान कर अपने भावी जीवन के लिए अभिाप्रेरित भी होता है। ‘समय’ के संबंध में महान पुरुषों ने कहा कि समय इतना बलवान होता है कि वह सभी के समक्ष उसके द्वारा किये गये अच्छ-बुरे कर्मों का फल देताहै, यदि कोई व्यक्ति सत्कर्म करता है तो यह निश्चित है कि उसका परिणाम भी उसे सकारात्मक ही प्राप्त होता है न कि नकारात्मक और दुर्जन को उसके द्वारा किये गये दुर्गुणों को परिणाम भी प्राप्त होता है। इस प्रकार सभी मनुष्यों को यह कह कर सचेत किया जाता है कि समय का सदुपयोग करें एवं सत्कर्मों द्वारा जीवन का उद्वार करें, यदि समय के अनुसार ही किसी बालक को शिक्षित किया जाए तो उसमें शिक्षा के प्रति उत्साह जागृत होगा और वह शिक्षा ग्रहण करने के लिए उत्साहित रहेगा,इसी प्रकार यदि किसी बीज को समय से सिचिंत किया जाए खाद दी जाए तो वह निश्चित ही भविष्य में एक छायादार विशाल वृक्ष के रूप में परिवर्तित होगा, इसी प्रकार यदि समय पर ही अध्ययन कर लिया जाए तो परीक्षा में उच्च अंकों का प्राप्त करना भी तय हो जाता है।