Hindi, asked by Saina7nayak, 1 year ago

essay on kar bhala so ho bhala

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Answered by gurjeet15
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संसार में हम लोगों के साथ जैसा व्यवहार करते हैं उसी प्रकार का व्यवहार लोग हमारे साथ करते हैं। इसलिए यदि हम चाहते हैं कि दूसरे लोग संकट के समय हमारी सहायता करें तो हमें भी संकट की घड़ी में उनकी सहायता करनी चाहिए। चींटी और कबूतर की कहानी इसी तय को प्रकट करती है।

एक बार एक चींटी किसी वृक्ष की शाखा पर चल रही थी। वह वृक्ष नदी के तटपर था। अचानक तेज़ हवा के झोकें से चींटी नदी में गिर पड़ी ओर बहने लगी। चींटी ने बचने का प्रयास किया, लेकिन असफल रही। अब वह सहायता के लिए इदर-उधर देखने लगी। उस चींटी की यह स्थिति अचानक पेड़ पर बैठी एक चिड़िया ने देख ली। उस चिड़िया ने तुरंत ही पेड़ की डाल से एक पत्ता तोडा ओर उसे पानी में चींटी के समीप डाल दिया। चींटी उस पत्ते पर बैठ गई। ओर वह चिड़िया पत्ते को पुंन: चोंच पर उठाकर ले गई। इस प्रकार चींटी के जीवन की रक्षा चिड़िया ने कर ली।

अब कुछ दिनों बाद उस जंगल में एक शिकारी आया और उसने उसी पेड़ के पास आकर पेड़ पर बैठी उस चिड़िया को निशाना बनाना चाहा। चिड़िया को इस बात का ज्ञान नहीं था कि शिकारी उसकी जान लेना चाहता है। अत: वह चुपचाप बैठी रही। तब उस चींटी, जो उस वृक्ष के तने पर बैठी थी, की नज़र शिकारी पर पड़ी। उसने देखा कि उसके प्राणों की रक्षा करने वाली चिड़िया का जीवन अब संकट में है तो उसने तुरन्त ही तने से उतरना आरम्भ कर दिया। वह शिकारी के पास गई और उसकी बाँह तक चढ़ गई। अब उसने उसकी बांह पर जोर से डंक मारा। इस प्रकार शिकारी का निशाना चूक गया और तीर दूसरे पत्तों पर से टकरा कर निकल गया। चिड़िया ने नीचे देखा कि शिकारी उसकी जान लेना चहता था। चींटी ने उस चिड़िया की जान बचा ली। चिड़िया के भले व्यवहार के बदले उसके भी प्राणों की रक्षा हो गई।

शिक्षा- कर भला हो भला, अन्त भले का भला।


Saina7nayak: Thanks
gurjeet15: wlcm
Answered by rupalisingh260
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एक प्रसिद्द राजा था जिसका नाम रामधन था | अपने नाम की ही तरह प्रजा सेवा ही उसका धर्म था | उनकी प्रजा भी उन्हें राजा राम की तरह ही पुजती थी | राजा रामधन सभी की निष्काम भाव से सहायता करते थे फिर चाहे वो उनके राज्य की प्रजा हो या अन्य किसी राज्य की | उनकी ख्याति सर्वत्र थी | उनके दानी स्वभाव और व्यवहार के गुणगान उसके शत्रु राजा तक करते थे | उन राजाओं में एक राजा था भीम सिंह,जिसे राजा रामधन की इस ख्याति से ईर्षा थी | उस ईर्षा के कारण उसने राजा रामधन को हराने की एक रणनीति बनाई और कुछ समय बाद रामधन के राज्य पर हमला कर दिया | भीम सिंह ने छल से युद्ध जीत लिया और रामधन को जंगल में जाना पड़ा | इतना होने पर भी रामधन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं थी | हर जगह उन्ही की बाते चलती थी | जिससे भीम सिंह को चैन न था उसने राजा रामधन को मृत्युदंड देने का फैसला किया |उसने ऐलान किया कि जो राजा रामधन को पकड़ कर उसके सामने लायेगा वो उसे सो सोने की दीनार देगा |

दूसरी तरफ, राजा रामधन जंगलों में भटक रहे थे | तब उन्हें एक राहगीर मिला और उसने कहा – भाई ! तुम इसी जगह के लगते हो | क्या मुझे राजा रामधन के राज्य की तरफ का रास्ता बता सकते हो ? राजा रामधन ने पूछा – तुम्हे क्या काम हैं राजा से ? तब राहगीर ने कहा – मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं उसके इलाज में सारा धन चला गया | सुना हैं राजा रामधन सभी की मदद करते हैं सोचा उन्ही के पास जाकर याचना करूँ | यह सुनकर राजा रामधन राहगीर को अपने साथ लेकर भीमसिंह के पास पहुँचे | उन्हें देख दरबार में सभी अचंभित थे |

राजा रामधन ने कहा – हे राजन ! आपने मुझे खोजने वाले को सो दीनार देने का वादा किया था | मेरे इस मित्र ने मुझे आपके सामने पैश किया हैं | अतः इसे वो सो दीनार दे दे | यह सुनकर राजा भीम सिंह को अहसास हुआ कि राजा रामधन सच में कितने महान और दानी हैं | और उसने अपनी गलती का स्वीकार किया | साथ राजा रामधन को उनका राज्य लौटा दिया और सदा उनके दिखाये रास्ते पर चलने का फैसला किया | दोस्तों इसी को कहते हैं “कर भला तो हो भला |”

कहाँ एक तरफ भीमसिंह राजा रामधन को मारना चाहता था और अंत में राजा रामधन की करनी देखे वो लज्जित हुआ और उन्हें उनका राज्य लौटा दिया और स्वयं को उनके जैसा बनाने में जुट गया |

महान लोग सही कहते हैं “कर भला तो हो भला”| रामधन की करनी का ही फल था जो वो हारने के बाद भी जीत गया | उसने जिस तरह सभी की मदद की उसकी मदद अंत में उसी के काम आई |

इसलिए कहते हैं मनुष्य को अपने कर्मो का ख्याल करना चाहिये | अगर आप अच्छा करोगे तो अच्छा ही मिलेगा | मानाकि कष्ट होता हैं लेकिन अंत सदैव अच्छा होता हैं |

कर भला तो हो भला यह कहानी आपको कैसी लगी ? ऐसी ही मुहावरों की कहानी अपने बच्चों को सुनाये जिससे उन्हें इन मुहावरों के अर्थ याद रहेंगे और उन्हें इन मुहावरों का सही अर्थ पता चलेगा और वे अपने जीवन में अच्छे मार्ग पर चलने योग्य होंगे |

please make me the brailiest.

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