essay on मेरा प्रिय लेखक
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मेरे प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म वाराणसी के निकट लमही नामक गांव में 31 जुलाई 1880 में हुआ था उनके पिता का नाम अजायब राय और माता का नाम आनंदी देवी था प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय था उन्हें नवाब राय के नाम से भी जाना जाता था इनका बचपन अभावों में बिता 10वीं परीक्षा पास कर के इन्होंने 12वीं की परीक्षा में असफल हो जाने पर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी विद्यार्थी जीवन में इनका विवाह हो गया था पत्नी के अनुकूल ना होने के कारण उन्होंने दूसरा विवाह किया था जिसका नाम शिवरानी देवी था मैट्रिक तक होने के बाद एक विद्यालय में अध्यापक हो गए थे उन्होंने स्वधाई रूप में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करके शिक्षा विभाग में डिप्टी इंस्पेक्टर हो गए थे। असहयोग आंदोलन प्रारंभ होने पर इन्होंने नौकरी छोड़ दी थी इसके बाद उन्होंने साहित्य जीवन में प्रवेश करने पर सर्वप्रथम मर्यादा पत्रिका के संपादक रहे फिर इन्होंने प्रेस खोली लंबी बीमारी के बाद सन 1936 ई. में इनका निधन हो गया।
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मुंशी प्रेमचंद ने 1898 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। B.A करने के बाद मुंशी प्रेमचंद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हो गए| मुंशी प्रेमचंद का पहला विवाह उन दिनों की परंपरा के अनुसार 15 साल की उम्र में हुआ जो सफल नहीं रहा 1926 में इन्होंने विधवा विवाह का समर्थन करते हुए बाल विधवा शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया| उनसे तीन संताने हुई श्रीपत राय अमृतराय और कमला देवी श्रीवास्तव 1910 में उनकी रचना सोजे वतन के लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने तलब किया तो जीवन की सभी प्रतियां जब्त कर नष्ट कर दी गई इस समय तक प्रेमचंद नवाब राय नाम से उर्दू में लिखे थे उर्दू में प्रकाशित होने वाली जमाना पत्रिका के संपादक और उनके दोस्त मुंशी दया नारायण निगम ने उन्हें प्रेमचंद नाम से लिखने की सलाह दी इसके बाद वे प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे।
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मुंशी प्रेमचंद रचनाओं में सबसे पहले आते हैं उनके उपन्यास गोदान 1936 गबन 1931 सेवा सदन 1918 कर्मभूमि 1920 वरदान 1921 प्रेमाश्रम 1921 रंगभूमि 1925 निर्मला 1927 प्रतिज्ञा कायाकल्प 1926 मंगलसूत्र 1948 में लिखा था।
प्रेमचंद की कहानियां इस प्रकार से है पंच परमेश्वर, कफन, नमक का दरोगा, बूढ़ी काकी, नशा, परीक्षा, ईदगाह, बड़े घर की बेटी, सुजान भगत, शतरंज के खिलाड़ी, माता का हृदय, मिस पदमा, बलिदान, दो बैलो की कथा, तथा पूस की रात, सौत कजाकी, प्रेमचंद की पहली कहानी संसार का अनमोल रत्न 1960 में जमाना पत्रिका में प्रकाशित की गयी थी|
प्रेमचंद के उपन्यास भारत और दुनिया की कई भाषाओं में अनुदित कोई खास कर उनका सर्वाधिक चर्चित उपन्यास गोदान सेवा सदन एक नारी के वेश्या बनने की कहानी है| प्रेमाश्रम किसान जीवन पर लिखा हिंदी का संभवत पहला उपन्यास है यह अवध के किसान आंदोलनों के दौर में लिखा गया रंगभूमि में प्रेमचंद एक अंधे विकारी सूरदास को कथा का नायक बनाकर हिंदी कथा साहित्य में क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात कर चुके थे गोदान का हिंदी साहित्य ही नहीं विश्व साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान है प्रेमचंद ने सेवा सदन 1918 उपन्यास से हिंदी उपन्यास की दुनिया में प्रवेश किया यह मूल रूप से उन्होंने बाजार ए हुस्न नाम से पहले उर्दू में लिखा इसका हिंदी रूप सेवा सदन पहले प्रकाशित कराया|
साहित्यिक विशेषताएं इनकी रचनाओं में भारत के दर्शन होते हैं मुंशी प्रेमचंद के साहित्य पर गांधीवाद का प्रभाव दिखाई देता है साहित्य को समाज का दर्पण नहीं मशाल में होना चाहिए यह बोलते थे प्रेमचंद