Hindi, asked by Pampa1234, 1 year ago

essay on मेरे दादाजी

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Answered by priti56
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दादा-दादी और पोता-पोती के बीच के संबंध शब्दों में वर्णित नहीं किए जा सकते हैं। दादा-दादी न केवल बच्चों में अच्छी आदतें और नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं बल्कि असीमित आनंद उठाने के लिए उनके सबसे अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं। जहाँ तक माता-पिता की बात है तो वे अपने बच्चों के लिए सभी प्रकार की सहूलियतें उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके दादा-दादी के बिना यह सारी कोशिशें अधूरी हैं।

ऐसा अक्सर देखा जाता है कि पोता-पोती के अन्दर अपने दादा-दादी से मिलते जुलते कई गुण पाए जाते हैं। आपने कई बार उन्हें उसी तरीके से बर्ताव करते हुए देखा भी होगा। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा सिर्फ उन लोगों के साथ ही नहीं है जो हमेशा एक साथ रहें हो बल्कि उन लोगों के साथ भी है जिन्हें शायद ही एक-दूसरे से मिलने का मौका मिल पाता हो। इसका कारण यह है कि बच्चे अपने दादा-दादी के कुछ गुणों को जन्म से अपनी पैतृक सम्पत्ति के रूप में प्राप्त करते हैं।

दुर्भाग्य से अलग-अलग परिवारों को बसाने की बढ़ती प्रवृत्ति ने पोता-पोती और दादा-दादी के बीच संपर्क को सीमित कर दिया है इस वजह से दोनों ही इस रिश्ते का भरपूर लुत्फ़ नहीं उठा पाते। इस समस्या को दूर करने के लिए माता-पिता को ही समय निकालकर अपने बच्चों को अपने दादा-दादी के स्थान पर ले जाना होगा या अपने पास रहने के लिए उन्हें बुलाना होगा ताकि इस बंधन की खूबसूरती को बचाया जा सके। अगर किसी कारणवश मिलना संभव नहीं हो पाता है तो फोन या अन्य तरीकों से एक-दूसरे के संपर्क में रहने की कोशिश की जा सकती है।

Answered by smartyprince
2
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