Essay on mahanagron me badta tanav in hindi
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छोटी बस्तियाँ फैलकर गाँव , गाँव फैलकर कस्बे , कस्बे-नगर तथा नगर-महानगर में परिवर्तित हो जाया करते है , ऐसा प्रकृति का नियम है | परन्तु जब से देश के ग्रामीण उद्दोग –धन्धे नष्टप्राय: होने लगे तो नगरो तथा महानगरो का विकास प्रारम्भ होने लगा | तभी से वास्तव में महानगरीय जीवन समस्या –प्रधान बनने लगा | ग्राम- व्यवस्था के चरमराने के उपरान्त नगरो –महानगरो पर सबसे पहले तो आबादी का दबाव पड़ना प्रारम्भ हो गया | एक तो नहरों – महानगरो की जनसंख्या वृद्दि की रफ्तार पहले ही तेज थी , उस पर काम – धन्धे की खोज में देहातो पलायन कर आने वाले लोगो ने दबाव को और भी बढ़ा दिया | अंत: निरन्तर बढती जनसंख्या का दबाव महानगरो की एक विकट समस्या है दूसरी समस्या है आवास की , जो बढती जनसंख्या का परिणाम है | जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में आवास की व्यवस्था न हो पाने के कारण , महानगरो के आलिशान भवनों की बगल में झोपड-पट्टियों का निर्माण होने लगा | धीरे- धीरे इसने एक विकट समस्या का रूप धारण कर लिया है | फलस्वरूप महानगरो में गन्दगी बढती गई, जिसका निदान आज तक भी संभव न हो सका |
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