essay on Man Vs wild in Hindi
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कैसे हो भाई आपका आंसर ये है
टीवी पर तमाम बेतुके, गैर जरूरी और नासमझी भरे तमाम कार्यक्रमों के बीच ही डिस्कवरी चैनल पर एक बहुत ही रोचक और एडवेंचर से लबरेज, इंसानी जज्बे को दिखाता एक कार्यक्रम आता है Man v/s Wild. ( इसे Born Survivor: Bear Grylls or Ultimate Survival के नाम से भी जाना जाता है) उसके किरदार हैं Bear Grylls. कभी वह रेगिस्तान में दिखते हैं, कभी बर्फ के पहाड़ चढ़ते दिखते हैं तो कभी किसी घने जंगल में किसी जानवर का शिकार कर रहे होते हैं। इतना ही नहीं, जरूरत पडने पर जंगली झाडी और पेड की छाल का काढ़ा बनाकर भी पी लेते हैं।
टीवी की तमाम उटपटांग हरकतों के बीच यह कार्यक्रम मेरा सबसे पसंदीदा कार्यक्रम है। इसकी वजह भी है। इस कार्यक्रम की वजह से मुझे कुछ अप्रत्यक्ष फायदे भी हुए हैं। जी हाँ फायदे। अब आप कहेंगे कि आज के जमाने में टीवी को देख कोई फायदा कैसे ले सकता है ? और वह भी जंगल झाडी, बर्फ, रेत, सांप, कच्चा मांस आदि देखकर फायदा ? और इन बातों का हमारे रोजमर्रा की बातों से क्या सरोकार.... इधर किसी को घर से आफिस, आफिस से घर इतने में ही फुरसत नहीं मिल पाती तो भला कोई क्योकर जायगा ऐसे जंगलों में, ऐसी जगहों पर ? और क्योंकर देखेगा इस तरह के जंगल झाडियों वाले प्रोग्राम ?
बात आपकी वाजिब हो सकती है कि ऐसे कार्यक्रम भला कोई क्योंकर देखे जिसका रोजमर्रा की जिंदगी से कोई वास्ता न हो, कोई सरोकार न हो। लेकिन यहां मेरा मानना है कि जरूरी नहीं कि हमारा वास्ता जीवन में जंगल झाडियों से ही पड़े, यह भी जरूरी नहीं कि हमे इस हद तक भुखमरी घेर ले कि जंगलों में चूहे, खरगोश, साँप आदि मारकर खाया जाय। लेकिन इतना जरूर है कि हमें हर रोज बढ़ते तनाव, बढ़ती भाग दौड और तमाम प्रतिस्पर्धा के चलते ऐसे वाकयों से दो चार होना पड़ता है जब बहुत हिम्मत की जरूरत पड़ती है, हौसला बनाए रखना पडता है, किसी प्रिय का निधन, किसी की बीमारी, किसी के कहे दुर्वचन और ऐसी तमाम बातें जो हमारे हौसलों को तोड़ती जान पड़ती हैं वह किसी भी हालत में Bear Grylls के जंगल के हालात से कम नहीं हैं।
वहां भी इंसानी हौंसलों को तोड़ती उमस रहती है, गर्मी रहती है, बियांबान भांय भांय करता माहौल रहता है, सांप, बिच्छू..... विभिन्न प्रकार के जीव जंतु रहते हैं जो हर ओर से अच्छे भले इंसान को पागल कर दे। अमूमन यही हाल आफिस गोअर की भी रहती है, समय पर काम पूरा करना है, बॉस की झिडकी है, मेल है, काँट्रैक्ट है, टेंडर है, पास न हुआ तो क्या होगा, रिसेशन है, नौकरी है तमाम खर्चे हैं, समय पर यह सब न हुआ तो क्या होगा....।
औऱ ऐसे में ही Bear Grylls अपनी जीवटता का परिचय देते हैं। वह बिना अपना हौसला खोए कुछ न कुछ उपाय करते नजर आते हैं ताकि जहां वह फंसे हैं वहां से निकल सकें। कभी वह भूख से बचने के लिए सांप खाते हैं, कभी जंगली झाडियां, कभी पहाड पर चढते हैं तो कभी बरफीली नदी पार करते हैं। वह अपना हौसला नहीं खोते। कैमरा क्रू के साथ वह जंगल में अपने सीमित साधनों से वहां से सकुशल निकलने के लिए भिड़े रहते हैं। उनके पास भी आफिस गोअर की तरह वक्त की पाबंदी होती है....शाम होने से पहले निकल जाना है.....न निकल पाए तो जंगल में ही रात बिताने का उपाय करना है....जंगली जानवरों से बचाव करना है वही जंगली जानवर जो भेस बदल कर शहरों में तमाम हौसलों को पस्त करने में लगे रहते हैं कभी रिसेशन के रूप में, कभी कम्पटीशन के रूप में तो कभी बेतहाशा आगे बने रहने की अबूझी दौड के रूप में।
कई बार Bear Grylls को गलीज से गलीज चीज खाते देखा है, कभी वह याक की आँख निकालकर खा रहे हैं , कभी किसी जानवर के अंडकोष, तो कभी किसी कीडे को सीधे ही निगल रहे हैं। हमारे रोजमर्रा के जीवन में भी कभी न कभी किसी न किसी रूप में गलीज से गलीज इंसानों से पाला पडता होगा....जानते हैं कि यह इंसान बहूत बेहूदा है...बहुत ही गंदा है लेकिन चूँकि हमें किसी तरह सर्वाईव करना है, सो हम उसको Bear Grylls की तरह झेल जाते हैं। यदि न झेलें तो कभी वह आफिस में हमारे खिलाफ कुछ गलत सलत बातें फैला देगा या फिर पारिवारिक जीवन दुश्वार कर देगा या ऐसा ही कुछ अनाप शनाप कर देगा। ऐसे में जरूरत होती है ऐसे गलीज चीजों से बिना डरे हुए उनका अपने लिए इस्तेमाल करने की। ठंड औऱ भूख से बचना है इसलिए याक मारकर खा सकते हैं, उसके अंग अंग का इस्तेमाल अपने जीवित रहने के लिए कर सकते हैं, यदि जिवित बच गए तो वही गलीज चीज हमारे लिए अमृत के समान है...इसलिए हर एक चीज का सही समय पर उपयोग करने का संदेश यह कार्यक्रम देता है।
यहां मैंने देखा कि रेगिस्तान में दिन में जहां पारा पचास तक पहुंच जाता है. उमस और बेबसी की इंतहा होती है, ऐसे में Bear Grylls एक उंट मार देते हैं। उसके मांस को कच्चा खाते हैं, उसके भीतर के पानी को अपने पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं और जब शाम हो जाती है , रात हो जाती है...ठंड कंपकपा देती है तो उसी मरे हुए उंट के पेट में जा सोते हैं मांस, मज्जा और अंतडियों के बीच। लेकिन वह ठंड से बच जाते हैं और अगले दिन फिर अपनी यात्रा पर चल पडते हैं। हममे से कितने लोग हैं जो ऐसी विपरीत परिस्थितियों से दो चार होते हैं ? लेकिन यहा Bear Grylls का काम देखिए। उनकी नौकरी को देखिए। वह भी हम और आप जैसों की तरह ही एक इंसान हैं। उन्हें भी अपने घर को चलाने के लिए यह सब शो आदि करना पडता है। उन्हें भी परिवार की जटिलताओं को सुलझाना पडता है और ऐसे में हमारी और आपकी यह शिकायत कि हमें अपनी नौकरी मे बहुत काम करना होता है, श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता, काम का माहौल सही नहीं है वगैरह वगैरह....यह सब बातें धरी की धरी रह जाती हैं।
प्लीज मार्क कर देना ब्रैंलिएस्ट
टीवी पर तमाम बेतुके, गैर जरूरी और नासमझी भरे तमाम कार्यक्रमों के बीच ही डिस्कवरी चैनल पर एक बहुत ही रोचक और एडवेंचर से लबरेज, इंसानी जज्बे को दिखाता एक कार्यक्रम आता है Man v/s Wild. ( इसे Born Survivor: Bear Grylls or Ultimate Survival के नाम से भी जाना जाता है) उसके किरदार हैं Bear Grylls. कभी वह रेगिस्तान में दिखते हैं, कभी बर्फ के पहाड़ चढ़ते दिखते हैं तो कभी किसी घने जंगल में किसी जानवर का शिकार कर रहे होते हैं। इतना ही नहीं, जरूरत पडने पर जंगली झाडी और पेड की छाल का काढ़ा बनाकर भी पी लेते हैं।
टीवी की तमाम उटपटांग हरकतों के बीच यह कार्यक्रम मेरा सबसे पसंदीदा कार्यक्रम है। इसकी वजह भी है। इस कार्यक्रम की वजह से मुझे कुछ अप्रत्यक्ष फायदे भी हुए हैं। जी हाँ फायदे। अब आप कहेंगे कि आज के जमाने में टीवी को देख कोई फायदा कैसे ले सकता है ? और वह भी जंगल झाडी, बर्फ, रेत, सांप, कच्चा मांस आदि देखकर फायदा ? और इन बातों का हमारे रोजमर्रा की बातों से क्या सरोकार.... इधर किसी को घर से आफिस, आफिस से घर इतने में ही फुरसत नहीं मिल पाती तो भला कोई क्योकर जायगा ऐसे जंगलों में, ऐसी जगहों पर ? और क्योंकर देखेगा इस तरह के जंगल झाडियों वाले प्रोग्राम ?
बात आपकी वाजिब हो सकती है कि ऐसे कार्यक्रम भला कोई क्योंकर देखे जिसका रोजमर्रा की जिंदगी से कोई वास्ता न हो, कोई सरोकार न हो। लेकिन यहां मेरा मानना है कि जरूरी नहीं कि हमारा वास्ता जीवन में जंगल झाडियों से ही पड़े, यह भी जरूरी नहीं कि हमे इस हद तक भुखमरी घेर ले कि जंगलों में चूहे, खरगोश, साँप आदि मारकर खाया जाय। लेकिन इतना जरूर है कि हमें हर रोज बढ़ते तनाव, बढ़ती भाग दौड और तमाम प्रतिस्पर्धा के चलते ऐसे वाकयों से दो चार होना पड़ता है जब बहुत हिम्मत की जरूरत पड़ती है, हौसला बनाए रखना पडता है, किसी प्रिय का निधन, किसी की बीमारी, किसी के कहे दुर्वचन और ऐसी तमाम बातें जो हमारे हौसलों को तोड़ती जान पड़ती हैं वह किसी भी हालत में Bear Grylls के जंगल के हालात से कम नहीं हैं।
वहां भी इंसानी हौंसलों को तोड़ती उमस रहती है, गर्मी रहती है, बियांबान भांय भांय करता माहौल रहता है, सांप, बिच्छू..... विभिन्न प्रकार के जीव जंतु रहते हैं जो हर ओर से अच्छे भले इंसान को पागल कर दे। अमूमन यही हाल आफिस गोअर की भी रहती है, समय पर काम पूरा करना है, बॉस की झिडकी है, मेल है, काँट्रैक्ट है, टेंडर है, पास न हुआ तो क्या होगा, रिसेशन है, नौकरी है तमाम खर्चे हैं, समय पर यह सब न हुआ तो क्या होगा....।
औऱ ऐसे में ही Bear Grylls अपनी जीवटता का परिचय देते हैं। वह बिना अपना हौसला खोए कुछ न कुछ उपाय करते नजर आते हैं ताकि जहां वह फंसे हैं वहां से निकल सकें। कभी वह भूख से बचने के लिए सांप खाते हैं, कभी जंगली झाडियां, कभी पहाड पर चढते हैं तो कभी बरफीली नदी पार करते हैं। वह अपना हौसला नहीं खोते। कैमरा क्रू के साथ वह जंगल में अपने सीमित साधनों से वहां से सकुशल निकलने के लिए भिड़े रहते हैं। उनके पास भी आफिस गोअर की तरह वक्त की पाबंदी होती है....शाम होने से पहले निकल जाना है.....न निकल पाए तो जंगल में ही रात बिताने का उपाय करना है....जंगली जानवरों से बचाव करना है वही जंगली जानवर जो भेस बदल कर शहरों में तमाम हौसलों को पस्त करने में लगे रहते हैं कभी रिसेशन के रूप में, कभी कम्पटीशन के रूप में तो कभी बेतहाशा आगे बने रहने की अबूझी दौड के रूप में।
कई बार Bear Grylls को गलीज से गलीज चीज खाते देखा है, कभी वह याक की आँख निकालकर खा रहे हैं , कभी किसी जानवर के अंडकोष, तो कभी किसी कीडे को सीधे ही निगल रहे हैं। हमारे रोजमर्रा के जीवन में भी कभी न कभी किसी न किसी रूप में गलीज से गलीज इंसानों से पाला पडता होगा....जानते हैं कि यह इंसान बहूत बेहूदा है...बहुत ही गंदा है लेकिन चूँकि हमें किसी तरह सर्वाईव करना है, सो हम उसको Bear Grylls की तरह झेल जाते हैं। यदि न झेलें तो कभी वह आफिस में हमारे खिलाफ कुछ गलत सलत बातें फैला देगा या फिर पारिवारिक जीवन दुश्वार कर देगा या ऐसा ही कुछ अनाप शनाप कर देगा। ऐसे में जरूरत होती है ऐसे गलीज चीजों से बिना डरे हुए उनका अपने लिए इस्तेमाल करने की। ठंड औऱ भूख से बचना है इसलिए याक मारकर खा सकते हैं, उसके अंग अंग का इस्तेमाल अपने जीवित रहने के लिए कर सकते हैं, यदि जिवित बच गए तो वही गलीज चीज हमारे लिए अमृत के समान है...इसलिए हर एक चीज का सही समय पर उपयोग करने का संदेश यह कार्यक्रम देता है।
यहां मैंने देखा कि रेगिस्तान में दिन में जहां पारा पचास तक पहुंच जाता है. उमस और बेबसी की इंतहा होती है, ऐसे में Bear Grylls एक उंट मार देते हैं। उसके मांस को कच्चा खाते हैं, उसके भीतर के पानी को अपने पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं और जब शाम हो जाती है , रात हो जाती है...ठंड कंपकपा देती है तो उसी मरे हुए उंट के पेट में जा सोते हैं मांस, मज्जा और अंतडियों के बीच। लेकिन वह ठंड से बच जाते हैं और अगले दिन फिर अपनी यात्रा पर चल पडते हैं। हममे से कितने लोग हैं जो ऐसी विपरीत परिस्थितियों से दो चार होते हैं ? लेकिन यहा Bear Grylls का काम देखिए। उनकी नौकरी को देखिए। वह भी हम और आप जैसों की तरह ही एक इंसान हैं। उन्हें भी अपने घर को चलाने के लिए यह सब शो आदि करना पडता है। उन्हें भी परिवार की जटिलताओं को सुलझाना पडता है और ऐसे में हमारी और आपकी यह शिकायत कि हमें अपनी नौकरी मे बहुत काम करना होता है, श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता, काम का माहौल सही नहीं है वगैरह वगैरह....यह सब बातें धरी की धरी रह जाती हैं।
प्लीज मार्क कर देना ब्रैंलिएस्ट
pulkitpathariya:
Thanks for the answer
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टेलीविज़न दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय जन संचार उपकरणों में से एक है। विभिन्न चैनलों ने विभिन्न शैक्षिक टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण किया है जो आजकल बहुत लोकप्रिय हैं।
सबसे लोकप्रिय शो में से एक "मैन वर्सेस वाइल्ड" है, जिसे प्रसिद्ध साहसी बेयर ग्रिल्स ने होस्ट किया था।
यह 2006 से 2011 के बीच प्रसारित किया गया था।
इस शो में, होस्ट बेयर ग्रिल्स विभिन्न प्राकृतिक स्थानों (पहाड़ों, जंगलों आदि) में यात्रा करते हैं और मैन्युअल रूप से बिना किसी आधुनिक उपकरणों या सुविधाओं के विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते हैं।
यह शो टेलीविज़न में प्रसारित किए गए सबसे अच्छे साहसिक कार्यक्रमों में से एक है।
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