essay on mehangai in hindi
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महंगाई का अर्थ होता है- वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। महंगाई एक ऐसा शब्द होता है जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते हैं। महंगाई मनुष्य की आजीविका को भी प्रभावित करता है। आज तक समाज में महंगाई और मुद्रा-स्फीति बहुत ही बड़ी समस्या है।
बढती हुई महंगाई भारत की एक बहुत ही गंभीर समस्या है। सरकार जब भी महंगाई को कम करने की बात करती है वैसे-वैसे ही महंगाई बढती जा रही है। जनता सरकार से बार-बार यह मांग करती है कि महंगाई को कम कर दिया जाये लेकिन सरकार महंगाई को और अधिक बढ़ा देती है।
हमारी आवश्यकता की वस्तुएँ बहुत महंगी आती हैं और कभी-कभी तो वस्तुएँ बाजार से ही लुप्त हो जाती हैं। लोग अपनी तनखा में वृद्धि की मांग करते हैं लेकिन देश के पास धन नहीं है। सिक्के की कीमत घटती जाती है और महंगाई बढती जाती है।
मुद्रा स्फीति और महंगाई :
बढती हुई महंगाई का मुद्रा-स्फीति के साथ बहुत ही गहरा संबंध है। सरकार हर साल घाटे का बजट बढ़ा देती है जिससे कीमतें भी बढ़ जाती हैं। इसका परिणाम ये निकलता है कि रुपए की कीमत घट जाती है। महंगाई तो एक तरह से प्रतिदिन की प्रक्रिया बन गई है। सरकार नोट छापकर मुद्रा का निर्माण करती है और उसे समाज में फैलाती है जो निरंतर चलता रहता है।
आजकल सभी लोग महंगाई के भत्ते की मांग करते हैं। सरकार ने कृषि की तो घोर उपेक्षा की लेकिन काले धन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया है। भ्रष्टाचार को रोकने का इंतजाम नहीं किया गया है जिस वजह से मुद्रा-स्फीति को नहीं रोका गया है। इसी वजह से महंगाई भारत देश में साल-दर-साल ऊपर चली जा रही है।
जब तक सरकार वर्तमान पर कायम रहती है तब मुद्रा स्फीति बढती है। मुद्रा स्फीति में वृद्धि पर सरकार के पास कोई जवाब नहीं है जब तक इन विसंगतियों को दूर नहीं किया जायेगा तब तक महंगाई को रोका नहीं जा सकता है।
भारत में महंगाई के कारण :
महंगाई के बढने के अनेक कारण होते हैं। महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे संसार की एक बहुत ही गंभीर समस्या है जो लगातार बढती जा रही है। आर्थिक समस्याओं की वजह से बहुत से देश महंगाई की समस्या से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। हमारा भारत एक विशाल देश है जनसंख्या की दृष्टि से यह दूसरे नंबर पर आता है।
हमारे देश में जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की पैदावार नहीं हो रही है। पिछली 2-3 सालों से फसलों की पैदावार में आशा से अधिक वृद्धि हो रही है लेकीन हर साल एक नया ऑस्ट्रेलिया भी बन रहा है। देश में अतिवृष्टि और अनावृष्टि दोनों की वजह से ही अन्न की कमी हो रही है।
इसी वजह से हमें कभी-कभी विदेशों से अनाज मंगवाना पड़ता है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है लेकिन फिर भी देश की समूची अर्थव्यवस्था की वजह से भी कृषि अच्छी वर्षा पर निर्भर करती है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। भारत सरकार ने वस्तुओं की कीमतों को घटाने के आश्वाशन दिए थे लेकिन कीमतों को घटाने की जगह पर और अधिक बढ़ा दिया।
उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है। जब सूखा पड़ने, बाढ़ आने और किसी वजह से जब उपज में कमी हो जाती है तो महंगाई का बढना तो आम बात हो जाती है। यह बहुत ही दुःख की बात है कि हमारी आजादी के इतने सालों बाद भी किसानों को खेती करने के लिए सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं।
बड़े-बड़े भवन बनाने की जगह पर कृषि की योजनाएँ बनाना और उन्हें सफल करना जरूरी है। हम लोग जानते हैं कि सरकारी कागजों में कुएँ खुदवाने के लिए व्यय तो दिया गया था पर वे कुएँ कभी नहीं खुदवाये गये थे।
महंगाई के बढने के अनेक कारण होते हैं। महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे संसार की एक बहुत ही गंभीर समस्या है जो लगातार बढती जा रही है। आर्थिक समस्याओं की वजह से बहुत से देश महंगाई की समस्या से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। हमारा भारत एक विशाल देश है जनसंख्या की दृष्टि से यह दूसरे नंबर पर आता है।
हमारे देश में जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की पैदावार नहीं हो रही है। पिछली 2-3 सालों से फसलों की पैदावार में आशा से अधिक वृद्धि हो रही है लेकीन हर साल एक नया ऑस्ट्रेलिया भी बन रहा है। देश में अतिवृष्टि और अनावृष्टि दोनों की वजह से ही अन्न की कमी हो रही है।
इसी वजह से हमें कभी-कभी विदेशों से अनाज मंगवाना पड़ता है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है लेकिन फिर भी देश की समूची अर्थव्यवस्था की वजह से भी कृषि अच्छी वर्षा पर निर्भर करती है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। भारत सरकार ने वस्तुओं की कीमतों को घटाने के आश्वाशन दिए थे लेकिन कीमतों को घटाने की जगह पर और अधिक बढ़ा दिया।
उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है। जब सूखा पड़ने, बाढ़ आने और किसी वजह से जब उपज में कमी हो जाती है तो महंगाई का बढना तो आम बात हो जाती है। यह बहुत ही दुःख की बात है कि हमारी आजादी के इतने सालों बाद भी किसानों को खेती करने के लिए सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं।
बड़े-बड़े भवन बनाने की जगह पर कृषि की योजनाएँ बनाना और उन्हें सफल करना जरूरी है। हम लोग जानते हैं कि सरकारी कागजों में कुएँ खुदवाने के लिए व्यय तो दिया गया था पर वे कुएँ कभी नहीं खुदवाये गये थे।