Essay on mere desh ke naam khat in 1000 words in hindi
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डाक विभाग की अनोखी प्रतियोगिता
राजस्थान भारती
भारतीय डाक विभाग ने लोगो में पत्र लेखन को बढावा देने को लेकर देश भर में ढाई आखर अभियान के तहत मेरे देश के नाम खत नाम से पत्र लेखन प्रतियोगिता 15 जून से शुरू की है जो 30 सितम्बर तक चलेगी। प्रतियोतगिता दो वर्गो में आयोजित होगी।
जिसके तहत विजेता को 10 से 50 हजार रूपए तक का इनाम दिया जाएगा। देश के नाम अंतर्देशीय पत्र या पन्ने पर लिखकर लिफाफे में डाकलर डाक विभाग के चीफ पोस्ट मास्टर जयपुर के नाम भेजना है। वहीं प्रतियोगिता के लिए डाक विभाग ने आयु सीमा निर्धारित की है। इसमें सीनियर वर्ग में 18 वर्ष से अधिक तथा जूनियर वर्ग में 18 वर्ष तक का व्यक्ति भाग ले सकता है।
जानकारी के अनुसार पत्रो के लिए पोस्ट आफिस में विशेष लेटर बॉक्स लगाए जाएंगे। इसके अलावा पत्र मुख्य डाकघर में भी स्वीकार किए जाएंगे।
मेरे देश के नाम ख़त
क्या ! ये यही भारत है जिसकी गाथा से हर देश शीश झुकाता था I हे भारत माता ! तुम्हारी आँचल की छाया में कैसा प्रतीत हो रहा है इसके लिए मैं तुम्हारे नाम ही पत्र लिख रहा हूँ I
तुम्हारी चौहद्दी देखो "
"उत्तर में रखवाली करता पर्वत राज वीराट हैI,
दक्षिण में चरणों को धोता ,सागर का सम्राट है II
गंगा जी के तात को देखो ,यमुना का ये घाट है I
घाट- घाट पे बाट -बाट पेपे यहाँ निराला ठाट है II
यह ठाट बहुत उदास होते जा रहा है माँ कभी तुम्हारे हाथों की गुलामी की जंजीर से मुक्ति दिल्वाने तुम्हारे एक से एक पुत्रों ने जैसे :चंद्रशेखर आज़ाद ,भगत सिंह,राजगुरु राम प्रसाद बिस्मिल सुखदेव नेता जी सुभाष कितने वीरों ने जान गवाई Iइधर नरम दल वाले -जैसे गांधी नेहरु पटेल इत्यादि ने कोई भी पल तुम्हारे बिना कुछ नहीं सोचा I अच्छी अच्छी नौकरियों को लात मारकर वे भारत माँ की रक्षा में लग गए Iउनलोगों के लिए ना तो होली ना दिवाली न प्रेम था न कोई आवश्यकता I बस एक ही धुन थी जल्दी से तुम्हारा तिरंगा फहराऊं
इसके लिए तुम्हारे कितने भी पुत्र को शहीद क्यूँ न होना पड़ा
"जब देश में दिवाली ,वे खेल रहे थे होली I
जब हम बैठे थे घरों में वो झेल रहे थे गोली II
संगीन पर धर कर माथा सो गए अमर बलिदानी I
कोई सिख कोई जाट मराठा ,कोई गोरखा कोई मद्रासी II
सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारत वासी I
और आखिर माता को आजाद तो करा दिया उन्होंने , भारत माँ ! वो कठिनाई अधिक थी कि आज स्वतंत्र भारत में ज्यादा कठिनाईयां उभर गयी हैं I भाई पे भाई टूट रहे हैं गांधी जी के राम राज्य का सपना कहाँ खो गया I हर घर में दुशासनहै I जाने कितनी द्रौपदियों की लाज लूटती जा रही है I कौन कृष्णा बनेगा माँ ?
तुम्हारा फैला हरा आँचल कालिमा में बदल गया है गंगा की धरा सुख रही है I
तू ही बता ,अब किससे तुझे बचाएं
मानव को मानवता का पाठ पढ़ायें ?