essay on mother teresa in hindi
Answers
फिर वे भारत आकर ईसाई ननों की तरह अध्यापन से जुड़ गई। कोलकाता के सेंट मैरीज हाईस्कूल में पढ़ाने के दौरान एक दिन कॉवेंट की दीवारों के बाहर फैली दरिद्रता देख वे विचलित हो गई। वह पीड़ा उनसे बर्दाश्त नहीं हुई और कच्ची बस्तियों में जाकर सेवा कार्य करने लगीं। इस दौरान 1948 में उन्होंने वहां के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल खोला और तत्पश्चात 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की स्थापना की।
सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी निष्फल नहीं होता, यह कहावत मदर टेरेसा के साथ सच साबित हुई। काम इतना बढ़ता गया कि सन् उन्नीसौं छियानवें तक उनकी संस्था ने करीब 125 देशों में 755 निराश्रित गृह खोलें जिससे करीबन पांच लाख लोगों की भूख मिटाने लगी
हमेशा नीली किनारी की सफेद धोती पहनने वाली मदर टेरेसा का कहना था कि दुखी मानवता की सेवा ही जीवन का व्रत होना चाहिए। हर कोई किसी न किसी रूप में भगवान है या फिर प्रेम का सबसे महान रूप है सेवा। यह उनके द्वारा कहे गए सिर्फ अनमोल वचन नहीं है बल्कि यह उस महान आत्मा के विचार हैं जिसने कुष्ठ और तपेदिक जैसे रोगियों की सेवा कर संपूर्ण विश्व में शांति और मानवता का संदेश दिया।
लाखों लोगों के इलाज में वे स्वयं जुट गई और शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजी गईं थीं मदर टेरेसा।
मदर टेरेसा आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके विचारों को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सिस्टर्स आज भी जीवित रखे हुए हैं। उन्हीं में से कुछ सिस्टर्स आज भी सेवा कार्य में जुटी हुई हैं।
मिशनरीज ऑफ चैरिटी में रह रही सिस्टर्स तन-मन- धन से अनाथों की सेवा में लगी हुई हैं। सिस्टर्स मानती हैं कि हम लोग जो भी कार्य कर रहे हैं उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद देते हैं, कि उसने हमें इस काम के योग्य समझा। उनकी यह सेवा पूरी तरह निस्वार्थ सेवा है।
सिस्टर्स के साथ दूसरे सहयोगी भी हैं जो सिक होम में रह रहे मरीजों की सेवा करते हैं। उनकी साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं, उन्हें अच्छा खाना देते है। उनके लिए धर्म, जाति और वर्ग का कोई मतलब नहीं है। यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं और एक साथ रहते हैं। उनका कार्य बस उनकी सेवा करना है। अगर किसी की मृत्यु होती है, तो उसका अंतिम संस्कार भी उसी के धर्मानुसार ही किया जाता है।
कहा जाता है कि मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं असहाय और अनाथों का घर है। 5 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का देहावसान हो गया था।
विज्ञापन
Answer:
मदर टेरेसा का असली नाम अंजेज़े गोंक्से बोजाक्सीहु है।
उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को उत्तरी मैसेडोनिया के स्कोप्जे में हुआ था।
आठ साल की उम्र में उसके पिता की मृत्यु हो गई।
बारह साल की उम्र में, उसने दृढ़ता से भगवान की पुकार महसूस की।
अठारह साल की उम्र में उसने अपने माता-पिता को घर छोड़ दिया और लोरेटो की बहनों के पास काम करने चली गई।
1931 से 1948 तक मदर टेरेसा ने कलकत्ता के सेंट मैरी हाई स्कूल में पढ़ाया।
कुछ सालों के बाद, वह उस स्कूल की प्रिंसिपल बन गई।
फिर, जब वह स्कूल जा रही थी, तो उसने गरीब लोगों को देखा।
उसे बहुत बुरा लगा।
गरीबों को देखने के बाद, उन्होंने स्कूल छोड़ने और अपना काम गरीबों को समर्पित करने का फैसला किया।
उस दिन के बाद से, उसने अपना काम गरीबों को झुग्गी में समर्पित कर दिया।
हालाँकि उसके पास कोई धन नहीं था, वह दिव्य भविष्यवाणियों पर निर्भर थी, और उसने गरीब बच्चों के लिए एक ओपन-एयर स्कूल शुरू किया।
7 अक्टूबर 1950 को, मदर टेरेसा को अपना स्वयं का आदेश, "द मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी" शुरू करने के लिए पवित्र दृश्य से अनुमति मिली।
गरीबों के प्रति उनके अथक परिश्रम के लिए, उन्हें कई पुरस्कार मिले, जैसे, द नोबेल शांति पुरस्कार, भारत रत्न, और बहुत सारे।
5 सितंबर, 1997 को कोलकाता में उनका निधन हो गया।
Explanation: