Essay on NAARI SHAKTI in hindi
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-स्त्री समाज का आधार होती है। एक समाज के निर्माण में स्त्री की मुख्य भूमिका होती है। हमारे ग्रंथों में स्त्री को संसार की जननी कहा गया है। उसे देवी की तरह पूजा जाता है व आदर दिया जाता है। धर्म ग्रंथों में स्त्री को पुरूष की सहधर्मचारिणी कहा गया है, जो उसके धर्म आदि कार्यों में उसका बराबर का सहयोग करती है। उसे पुरूषों के समान ही जीवन का मजबूत आधार स्तंभ माना गया है। शिक्षा ने स्त्री की परिभाषा बदलकर रख दी है। पहले स्त्री को अबला माना जाता था। परन्तु आज की नारी अबला नहीं। हर क्षेत्र में उसने अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। वह आज नौकरी करने लगी है। हर क्षेत्र में उसकी योग्यता को सराहा जाता है। नौकरी के साथ आज वह अपना परिवार भी बहुत अच्छी तरह से संभाल रही है। बीते समय में स्त्री का घर से निकलकर नौकरी करना बहुत बुरा माना जाता था। उसे घर में रखी वस्तु के समान ही समझा जाता है। लेकिन जबसे वह शिक्षित हुई है, उसने इस धारणा के खण्ड-खण्ड कर दिए हैं। आज बेटों के स्थान पर वह पूरी निपूणता के साथ घर की ज़िम्मेदारियाँ संभाल रही है। नौकरी ने उसके अस्तित्व को सम्मान और गौरव दिया है। आज वह किसी पर आश्रित नहीं है। नौकरी को वह उतनी ज़िम्मेदारी के साथ निभा रही है जितनी ज़िम्मेदारी के साथ घर-परिवार संभाला करती थी।
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