essay on national unity day hindi
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राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती है । राष्ट्रीय एकता ही वह भावना है जो विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जाति, वेश-भूषा, सभ्यता एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखती है । अनेक विभिन्नताओं के उपरांत भी सभी परस्पर मेल-जोल से रहते हैं ।
हमारा भारत देश राष्ट्रीय एकता की एक मिशाल है । जितनी विभिन्नताएँ हमारे देश में उपलब्ध हैं उतनी शायद ही विश्व के किसी अन्य देश में देखने को मिलें । यहाँ अनेक जातियों व संप्रदायों के लोग, जिनके रहन-सहन, खान-पान व वेश-भूषा पूर्णतया भिन्न हैं, एक साथ निवास करते हैं । सभी राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में पिरोए हुए हैं ।
जब तक किसी राष्ट्र की एकता सशक्त है तब तक वह राष्ट्र भी सशक्त है । बाह्य शक्तियाँ इन परिस्थितियों में उसकी अखंडता व सार्वभौमिकता पर प्रभाव नहीं डाल पाती हैं परंतु जब-जब राष्ट्रीय एकता खंडित होती है तब-तब उसे अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है । हम यदि अपने ही इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो हम यही पाते हैं कि जब-जब हमारी राष्ट्रीय एकता कमजोर पड़ी है तब-तब बाह्य शक्तियों ने उसका लाभ उठाया है और हमें उनके अधीन रहना पड़ा है ।इसके विपरीत हमारी राष्ट्रीय अवचेतना से ही हमें वर्षों की दासता से मुक्ति मिल सकी है । अत: किसी भी राष्ट्र की एकता, अखंडता व सार्वभौमिकता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना अनिवार्य है । भारत जैसे विकासशील देश के लिए जो वर्षों तक दासत्व का शिकार रहा है वहाँ राष्ट्रीय एकता की संपूर्ण कड़ी का मजबूत होना अति आवश्यक है ताकि भविष्य में उसकी पुनरावृत्ति न हो सके ।
देश में व्याप्त सांप्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रीयता आदि सभी राष्ट्रीय एकता के अवरोधक तत्व हैं । ये सभी अवरोधक तत्व राष्ट्रीय एकता की कड़ी को कमजोर बनाते हैं । इन अवरोधक तत्वों के प्रभाव से ग्रसित लोगों की मानसिकता क्षुद्र होती है जो निजी स्वार्थ के चलते स्वयं को राष्ट्र की प्रमुख धारा से अलग रखते हैं तथा अपने संपर्क में आए अन्य लोगों को भी अलगाववाद के लिए उकसाते हैं । यही आगे चलकर लोगों में विघटन का रूप लेता है जो फिर खून-खराबे, मारकाट व दंगों आदि में परिवर्तित हो जाता है ।
इन विघटनकारी तत्वों की संख्या जब और अधिक होने लगती है तब ये पूर्ण अलगाव के लिए प्रयास करते हैं । हमारे देश की भौगोलिक भिन्नता जिसमें अनेक क्षेत्रों व उनमें रहने वाली अनेक जातियों व संप्रदायों का समावेश है ये सभी परस्पर राष्ट्रीय एकता को कमजोर बनाते हैं । इस प्रकार ये विभिन्नताएँ जो हमारी संस्कृति का गौरव हैं जब उग्र रूप धारण करती हैं तब यह हमारी एकता और अखंडता की बाधक बन जाती हैं ।
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राष्ट्रीय एकता दिवस (राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी जाना जाता है) हर साल 31 अक्टूबर को भारत के माध्यम से लोगों द्वारा मनाया जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने वास्तव में देश को एकीकृत किया। 31 अक्टूबर को हर साल इस आयोजन का जश्न मनाने के उद्देश्य से 2014 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस या राष्ट्रीय एकता दिवस पेश किया गया था।
इस कार्यक्रम को शुरू करने का उद्देश्य देश के लिए अपने असाधारण कार्यों को याद करके महान व्यक्ति सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करना है। उन्होंने वास्तव में भारत को एकजुट रखने में कड़ी मेहनत की।
राष्ट्रीय एकता दिवस 2018 बुधवार को पूरे भारत में लोगों द्वारा बुधवार को मनाया जाएगा। इसे सरदार वल्लभभाई पटेल की 143 वीं जयंती के रूप में मनाया जाएगा।
राष्ट्रीय एकता दिवस (या राष्ट्रीय एकता दिवस) भारत को एकजुट करने के लिए एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मदिन (जयंती) है। राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में हर साल पटेल की जयंती का निरीक्षण करने के लिए 2014 में नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा भारत सरकार द्वारा तय और पेश किया गया था। इसका उद्देश्य भारत को एकजुट करने के लिए किए गए अपने महान प्रयासों के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करना था।
इस अवसर का उत्सव सालाना देश के युवाओं को जागरूक करने में मदद करता है और देश की अभिन्न शक्ति को बनाए रखने के लिए सभी को अवसर प्रदान करता है। यह भारतीय नागरिकों को यह महसूस करने के लिए बनाता है कि राष्ट्रीय एकता राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए वास्तविक और संभावित खतरों को हराने में कैसे मदद करती है।
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