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नेल्सन मंडेला पर निबंध | Essay on Nelson Mandela | Hindi
नेल्सन मण्डेला पर निबंध! Here is an essay on ‘Nalson Mandela’ in Hindi language.
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति का खात्मा करने वाले नेल्सन मण्डेला का अपने देश में वही स्थान है, जो भारत में महात्मा गाँधी का है । उन्होंने एक रक्तहीन क्रान्ति कर अफ्रीकी लोगों को उनका हक दिलाया और इस परिवर्तन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई, क्योंकि वे समस्याओं का निराकरण बातचीत के द्वारा करने में आस्था रखते थे ।
अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग के विचारों को मानने वाले दक्षिण अफ्रीका के गाँधी, नेल्सन मण्डेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को बासा नदी के किनारे (केप प्रान्त) मबेजो गाँव में हुआ था । उनकी माता का नाम नोमजामो विनी मेडीकिलाजा था और वह एक मैथडिस्ट थीं । पिता का नाम गेडला हेनरी था, जो अपने गाँव के प्रधान थे । वहाँ गाँव के प्रधान के पुत्र को ‘मण्डेला’ कहा जाता था ।
अत: मण्डेला नाम उन्हें विरासत में ही मिला । उनके माता-पिता ने उनका नाम ‘रोहिल्हाला’ रखा था । दुनिया उन्हें नेल्सन मण्डेला के नाम से जानती है, किन्तु वे और नामों से भी जाने जाते थे । उनका नाम नेल्सन प्राथमिक विद्यालय के एक अध्यापक द्वारा रखा गया था ।
मण्डेला को दक्षिण अफीका में प्रायः मदीबा के नाम से जाना जाता है, जो बुजुर्गों के लिए आदरसूचक शब्द है । कई लोग उन्हें टाटा और खुलू भी कहते थे, जिसका अफ्रीकी भाषा में अर्थ क्रमशः पिता और दादा है । किशोरावस्था में उन्हें ‘डाली भुंगा’ के नाम से पुकारा जाता था ।
मण्डेला की प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में तथा स्नातक की शिक्षा हेल्डटाउन में हुई थी, जहाँ अश्वेतों के लिए एक विशेष कॉलेज था । इसी कॉलेज में मण्डेला की मुलाकात ‘ऑलिवर टाम्बो’ से हुई, जो जीवनभर उनके दोस्त और सहयोगी रहे ।
वर्ष 1940 तक मण्डेला ने कॉलेज कैम्पस में अपने राजनीतिक विचारों और क्रियाकलापों से लोकप्रियता अर्जित कर ली थी, जिसके कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया । कॉलेज से निष्कासित होने के बाद वे घर से भागकर जोहांसबर्ग चले आए, जहाँ उन्होंने सोने की खदान में चौकीदार की नौकरी की तथा वहीं अलेक्जेण्डरा नामक बस्ती में रहने लगे ।
इसके बाद उन्होंने एक कानूनी फर्म में लिपिक की नौकरी की । मण्डेला ने वाटर सिसलु, वाटर एल्बरटाइन तथा कुछ अन्य दोस्तों के साथ मिलकर ‘अफ्रीकन कांग्रेस यूथ लीग’ का गठन किया तथा वर्ष 1947 में मण्डेला इस संगठन के सचिव चुने गए ।