essay on paryavaran in hindi
Answers
Answer:
hope it will hlp u and follow me

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है – परि+आवरण। परि का अर्थ “चारो और” है जबकि आवरण का अर्थ “ढ़का हुआ” है। इसका शाब्दिक अर्थ हुआ कि वह वातावरण जिससे जीव जंतु चारो और से ढके हुए है, पर्यावरण कहलाता है। इस दुनिया में सभी जैविक और अजैविक तत्व पर्यावरण में आते है। एक तरह से कहे तो प्रकृति ही पर्यावरण है। मनुष्य भी पर्यावरण का अभिन्न अंग है। पेड़ पौधे भी इसी पर्यावरण के अंतर्गत आते है।
पर्यावरण प्रदूषण प्रकृति का अभिशाप है जो मानव के कारण होता है। इंसान ने प्रकृति में असंतुलन पैदा किया है जिससे प्रदूषण के रूप में प्रकृति का प्रकोप दिखाई दे रहा है। आज के समय मे मनुष्य को ना शुद्ध खाना मिल रहा है और ना ही शुद्ध पानी और हवा मिल रही है। यहां तक कि रहने के लिए शांत वातावरण भी नही मिल रहा है। पानी, हवा में प्रदूषकों के मिलने से प्रकृति के यह तत्व प्रदूषित हो जाते है।
पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय से प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। प्रदूषण को रोकने के लिए सभी देशों को एकसाथ आना होगा। प्रदूषण रोकने के लिए कड़े नियम बनाने होंगे।
ग्लोबल वार्मिंग भी एक समस्या है जो बढ़ते प्रदूषण से और भी गम्भीर हो रही है। इससे निपटने के लिए वायु प्रदूषण को रोकना जरूरी है।
सामाजिक जागरूकता भी एक अच्छा उपाय हो सकता है। पर्यावरण प्रदूषण के गम्भीर खतरों से लोगो को अवगत कराना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी और फर्ज है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा करें।
शिक्षा से भी प्रदूषण की समस्या से निजात पाया जा सकता है। बच्चो को स्कूली सिलेबस में पर्यावरण के प्रति जागरूक करना चाहिए। प्रकृति का महत्व बच्चो की शिक्षा में अनिवार्य होना चाहिए।
फैक्टरियों से निकलने वाले धुंए और रासायनिक पदार्थ को वायु और जल में मिलने से रोकने के उपाय होने चाहिए। प्रदूषण का मानक तय होना चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना चाहिए जिससे प्रदूषण की समस्या से निजात मिल सकती है। पेड़ लगाना पूण्य कमाने के समान है।
हम स्वयं पर्यावरण को गंदा करते है और अस्वछता फैलाते है। यह हमारा दायित्व है कि हम स्वछता रखे। स्वच्छता बेहतर जीवन देती है। हर जगह कूड़ा कचरा डाल दिया जाता है। यह कूड़ा पानी मे मिलकर उसे प्रदूषित करता है। कचरे के प्रदूषक हवा में मिलकर इसे प्रदूषित करते है।
पृथ्वी की सुंदरता को बनाये रखने की जिम्मदारी हमारी है। धरती को प्रदूषण मुक्त करना हमारा कर्तव्य है। प्रकृति का संतुलन बनाये रखने का दायित्व भी हमारा है। प्रदूषण फैलाने के जिम्मेदार हम खुद है और इसको कम करना भी हमारे ऊपर ही है।