Essay on Pinjre Ke Panchi in Hindi
Answers
पिंजरे के पंछी
आज़ादी इस संसार में सभी प्राणियों को समान रूप से प्यारी है। एक पक्षी पिंजरे की कैद से अच्छा खूला आकाश मानता है। पिंजरे का ऐशो-आराम उसे कभी नहीं सुहाता है। किसी आज़ाद पशु-पक्षी को पिंजड़े में बंद करना ठीक नहीं है। सभी अपने हिसाब से जीवन जीना चाहते हैं। तो भला पक्षी क्यों नहीं आज़ाद होना चाहेगी। पिंजड़े में बंद चिड़ियाँ अपने मालिक के हिसाब से ही कार्य करती है। उसके अनुसार खाना- पीना पड़ता है। इसके अलावा उसे पिज़ड़ें में कैद होना पड़ता है। ये उनके स्वभाव के विपरीत है। पंक्षियों का स्वभाव है उन्मुक्त होकर उड़ना ।
यदि मेरे पंख होते, तो मैं हवा में उड़ता। मैं कई बार पक्षियों को हवा में उड़ता हुआ देखकर मोहित हो जाता हूँ। आकाश में पक्षियों के समान उड़ना मेरी अभिलाषा है। पक्षी खूले आकाश में बिना किसी कठिनाई के उड़ सकते हैं। कहीं भी आ जा सकते हैं। पंख फैलाकर वह आकाश की ऊँचाई नाप सकते हैं। दूर क्षितिज तक जा सकते हैं। इंद्रधनुष के रंगों को प्रत्यक्ष रूप में समीप से देख सकते हैं। मनोवांछित पेड़ पर बैठ सकते हैं। मज़ेदार फलों का सेवन कर सकते हैं। किसी भवन, अटारी या ऊँचाई पर सरलता से पहुँच सकते हैं। यह सब उनके पंखों का ही तो जादू होता है। वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर बड़ी सुगमता से आ सकते हैं। यदि मेरे पंख होते, तो मैं विभिन्न देशों तक उड़ान भरता। समुद्र के ऊपर उड़ता, नदी के साथ-साथ उड़ता। पेड़ों पर बहुत ऊँचा उड़ता। किसी के हाथों नहीं आता बस जंगलों बागों की सैर करता। बड़े-बड़े भवनों का निरीक्षण करके आता।
पक्षियों में हमारी तरह ही प्राण होते हैं। उनमें भी संवेदनाएँ तथा भावनाएँ होती हैं। उन्हें भी गुलामी भरा जीवन पसंद नहीं है। पिंजरे में उन्हें कितनी ही प्रकार की सुख-सुविधाएँ प्राप्त हों, परन्तु उसमें आज़ादी का सुख नहीं है। परिवार से दूर रहकर और कैद का जीवन उन्हें पीड़ा पहुँचाता है। वह प्रयास करते हैं कि वह आज़ादी भरा जीवन जीए और गगन में उड़ें।
पिंजरे के पक्षी |
Explanation:
इस पृथ्वी पर सभी जीवो को प्रकृति ने आजाद पैदा किया है लेकिन मानव ने हमेशा से ही दूसरों को कैद करना सीखा है। मानव स्वयं मानव को कैद करते समय जरा नहीं हिचकिचाया तो वह पशु पक्षियों पर क्या को कैद करते समय क्या ही सोचेगा।
मनुष्य ने सदियों से पक्षियों को कैद कर के पिंजरे में रखने का एक रिवाज़ बना रखा है। प्राचीन काल में पक्षियों को इसलिए कह दिया जाता था ताकि वह बड़े-बड़े राजा महाराजाओं की राजकुमारियों और रानियों का दिल बहला सके। कुछ पक्षियों को इसलिए भी कैद किया जाता था क्योंकि उन्हें संदेशवाहक माना जाता था। यही प्रथा आधुनिक काल में भी चलती आ रही है लोग अपने मनोरंजन के लिए पक्षियों को कैद करते हैं। बेशक वे पिंजरे में कैद पक्षियों को समय पर भोजन देते हैं और बहुत प्यार और लगाव रखते हैं लेकिन फिर भी पक्षियों का अपना भी जीवन होता है। पक्षियों को पर ही इसीलिए दे गए हैं ताकि वे खुले आसमान में आजा दूर सकें बल्कि इसलिए नहीं कि उन्हें पिंजरे में बंद करके रखा जाए।
पिंजरे में बंद पक्षी कभी भी खुश नहीं होते हैं वह दूसरे पक्षियों को देख अंदर ही अंदर कैसे रहते हैं और जिस वजह से वे मुस्कुराना और अपना प्राकृतिक स्वभाव जो कि उड़ना है उसे भी भूल जाते हैं।
पिंजरे के पंछी आजाद पक्षियों को देखकर अपने लिए बहुत दुखी महसूस करते हैं क्योंकि प्रवृत्ति तो इन पक्षियों की भी उड़ने की थी लेकिन लोगों ने इन्हें कैद कर लिया और इनसे इनकी आजादी छीन ली।
पिंजरे में कैद पक्षी लोगों का मनोरंजन तो अवश्य करते हैं लेकिन वह सदैव दुखी रहते हैं और कभी भी भरपूर आजादी का स्वाद नहीं चख पाते हैं। पिंजरे में कैद पक्षी ललचाए आंखों से उड़ते पक्षियों को देख स्वयं भी उड़ने की इच्छा रखते हैं।
एक पिंजरे में कैद पक्षी का दर्द केवल एक ऐसा व्यक्ति समझ सकता है जिससे उसकी आजादी छीन ली गई हो और उसे मनोरंजन का साधन बनाया गया हो। पिंजरे में कैद पक्षियों का जीवन जीवन नहीं होता वह सदैव दुखी रहते हैं और इसी कामना में अपना दम तोड़ देते हैं कि शायद वह कभी खुले आसमान में उड़ पाते।
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