essay on podos ka mahatav
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अच्छा पड़ोस भाग्यशाली व्यक्ति को ही मिलता है। पड़ोसी ही हमारा सबसे निकटतर रिश्तेदार तथा मददगार होता है। यदि आपको पड़ोस अच्छा मिल जाए, तो निश्चय ही आपकी जिंदगी सुख-चैन पूर्वक कट जाएगी। बुरा पड़ोस सिरदर्द से कम नहीं होता। अच्छा पड़ोसी हमारा सच्चा मित्र होता है।
मेरे पड़ोस में डाॅ. श्रीवास्तव रहते हैं। वे निहायत ही भले व्यक्ति हैं। यद्यपि वे मरीजों से घिरे रहते हैं, पर फिर भी वे पड़ोस का धर्म निभाने में पीछे नहीं रहते। वे जरूरतमंद की मदद करते हैं। दुःखी व्यक्ति को धैर्य बँधाते हैं। उन्हें कभी किसी पर क्रोध करते नहीं देखा गया। उनके होते हुए लोग निश्चिंत रहते हैं।
अच्छा पड़ोस सुख का खजाना होता है पर हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पड़ोस का अच्छा होना हमारे अपने ऊपर भी निर्भर करता है। स्वार्थ भावना पड़ोस के संबंधों में बिगाड़ ला देती है। हमें भी पड़ोसी के सुख-दुःख में शामिल होना चाहिए। जब हम बीमार पड़ते हैं या किसी विपत्ति में पड़ते हैं तब पड़ोसी ही हमारे काम आता है। पड़ोसी से बनाकर रखना हमारे अपने हित में है। व्यक्ति की पहचान उसके पड़ोस से ही होती है। हमें पड़ोस का सदा ध्यान रखना चाहिए। पड़ोस को बदला नहीं जा सकता।
हमें इस बात को याद रखना चाहिए कि हमारी पहचान पड़ोस से होती है। अच्छा पड़ोस हमारी अच्छी पहचान बनाता है। कई व्यक्ति इस प्रकार होते हैं जो पड़ोसी से बिगाड़ कर रखते हैं। उन्हें पड़ोसी की भावनाओं की कोई परवाह नहीं होती। ऐसी स्थिति में जब आपको पड़ोसी की आवश्यकता होती है तब आपको उसकी सहायता नहीं मिल पाती। अच्छा पड़ोस मिलना बड़े सौभाग्य की बात होती है। यह हम पर भी काफी निर्भर करता है कि हम पड़ोस को अच्छा कैसे बनाएँ।