essay on pollution in Hindi
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वाहनों से निकलने वाले धुएँ ने पर्यावरण को दूषित कर दिया है। मकानों के निर्माण के लिए मनुष्य ने वनों को काटना आरंभ कर दिया है। मनुष्य ने अपशिष्ट पदार्थों को नदियों में डालकर उनके जल को प्रदूषित कर दिया है। यहाँ तक उन्होंने फैक्टरियों से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों और कचरे से भी पृथ्वी तथा जल दोनों को प्रदूषित कर दिया है। हर तरह के प्रदूषण के लिए मनुष्य ही हर बार मुख्य दोषी पाया गया है। वातावरण में बढ़ रहे प्रदूषण ने मनुष्य में साँस संबंधी ह्दय संबंधी आदि बीमारियों को पैदा किया है। जल प्रदूषण से जहाँ मनुष्य स्वयं संकट में पड़ा है, वहीं उसने वन्य प्राणियों और जलीय जीवों के लिए भी संकट पैदा कर दिया है। अनेक प्रकार की समस्याएँ इस प्रदूषण के कारण मुँह फाड़े खड़ी हैं।
आज हमने विकास के सभी मापदंड पार कर दिए हैं। चाँद तक हम अपने कदमों की छाप छोड़ आए हैं। पानी पर सेतु बना लिया है। समुद्र का सीना चीर उसको पार करने में सफलता पा ली है। आग को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया है। परन्तु इन सबका क्या लाभ। हमने इन सबमें अपने जीवनदायी तत्वों को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है।
हमें चाहिए अधिक से अधिक वृक्षों का रोपण करें। वनों को काटने से रोकें। जनसंख्या में हो रही वृद्धि पर काबू पाएं क्योंकि जितनी तेज़ी से प्रकृति संसाधनों का दोहन किया जाएगा, उतनी तेज़ी से प्रकृति असंतुलन भी बढ़ेगा। ऐसी वस्तुओं के परहेज़ को रोकें जो हमारे वातावरण को नुकसान पहुँचा रही हैं। नदियों में अपशिष्ट पदार्थों को डालने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ। वाहनों के प्रयोग को कम करें। ऊर्जा के ऐसे स्रोतों का प्रयोग करें जो प्रदूषण रहित हों। सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दें। हमारे आने वाले भविष्य के लिए यह कदम उठाए जाने अति आवश्यक हैं, तभी हम सुंदर और प्रदूषण रहित भविष्य की कल्पना कर सकते हैं।
Answer:
प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।
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पर्यावरणीय प्रदूषण आज के टाइम की सबसे बड़ी प्राब्लम है। विज्ञान की अधिकता ने हमारे जीवन को सरल तो बनाया है, साथ ही प्रदूषण बढ़ाने में भी योगदान दिया है। मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ किया है। प्रकृति का अपना नियम होता है, सभी जीव-जंतु उसी नियम के हिसाब से अपना-अपना जीवन-चक्र चलाते हैं, किंतु हम मनुष्यों ने इससे पर्याप्त छेड़-छाड़ किया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।
आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है।
प्रदूषण के प्रकार
1.वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।
2.जल प्रदूषण
उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।
3.भूमि प्रदूषण
वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।
4.ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।
5.प्रकाश प्रदूषण
प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
6.रेडियोएक्टिव प्रदूषण
रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।
7.थर्मल प्रदूषण
कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।
8.दृश्य प्रदूषण
मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।
विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर
एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
प्रदूषण कम करने के उपाय
जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।
1.कार पूलिंग
2.पटाखों को ना कहिये
3.रीसायकल/पुनरुयोग
4.अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
5.कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
6.पेड़ लगाकर
7.काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
8.प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
9.रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
10.कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर
11.योजनापूर्ण निर्माण करके