Essay on prakiti paryavaran or vikas in hindi for
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प्रस्तावना
विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि हर विकास के अपने सकरात्मक और नकरात्मक नतीजे होते है। लेकिन जब निवासियो के लाभ के लिए विकास किया जा रहा हो, तो पर्यावरण का ख्याल रखना भी उतना ही जरुरी है। अगर बिना पर्यावरण की परवाह किये विकास किया गया तो पर्यावरण पर इसके नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होंगे, जिससे यह उस स्थान पर रहने वाले निवासियो पर भी हानिकारक प्रभाव डालेगा।
पर्यावरण बनाम विकास
पर्यावरण का अर्थ सिर्फ परिवेश नही होता है। पर्यावरण हवा, पानी और भूमि से मनुष्य के परस्पर संबंध को भी प्रदर्शित करता है। पर्यावरण और विकास एक-दूसरे के विपरीत नही जा सकते है, उन्हे एक-दूसरे का पूरक होना चाहिए। यदि पृथ्वी के तमाम संसाधनो को बिना सोचे समझे मनुष्य के विकास के लिए लगा दिया जायेग तो जल्द ही पृथ्वी मनुष्य के रहने योग्य नही रह जायेगी।
जैसा कि हम देखते है की एक देश के विकास के लिए, काफी ज्यादे मात्रा में भूमि अधिग्रहित कर ली जाती है जिसके चलते पेड़ो को काट दिया जाता है। इसी तरह विकास के नाम पर गैर नवकरणीय स्रोतों जैसे कि जीवाश्म ईंधन, पानी, और खनिजों का काफी तेजी से उपयोग किया जा रहा, जिसके कारण पृथ्वी द्वारा इन्हे फिर से प्रतिस्थापित नही किया जा पा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग और संसाधनो के रिक्तीकरण ने विश्व भर के निवासियों को प्रभावित किया है, जिससे वह इस प्रगति के लाभ का आनंद नही ले पा रहे है।
निष्कर्ष
विकास के लाभो का पूर्ण रुप से आनंद लेने के लिए, पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है। वास्तव में विकास को प्राथमिकता देने के लिए पर्यावरण को एक तरीके से नजरअंदाज कर दिया गया है। हालांकि पिछले कुछ समय में लोगो के अंदर इस विषय को लेकर जागरुकता आयी है। तो इस प्रकार यह इस बात की पुष्टि करता है कि पर्यावरण को उचित महत्व देकर हम लम्बे समय तक सही तरीके से विकास के फायदो को लाभ उठा पायेंगे।