Essay on rainy ka first day with 200 hundred lines in hindi
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essay on baarish ka Pehle Di
आज सुबह से गर्मी थी| ज्यों-ज्यों सूरज आसमान में चढ़ने लगा, त्यों-त्यों बेचैनी बढ़ने लगी| हवा बन्द और धुप तेज| किसी को चैन नहीं| सब के मुँह से "ऊफ" निकालने लगे| धुप देखते ही आँखें चौधियाँ जाती| इस भीषण गर्मी और उष्णता को देखकर अनुभवी लोग कहने लगे, आज वर्षा होगी, गर्मी चरम सीमा पर पहुँच गई है| किसी काम में जी नहीं लगता, परेशानी बन गई है, नींद हराम हो गई है|
अनुभवियों की बात सच निकली| दिन ढलते ही पश्चिमी आकाश में कुछ घटाएँ दिखाई पड़ी| छिटपुट बादल आकाश घेरने लगे| वे गहराते हुए, काली घटा का रूप धारण कर ऊपर चढ़ने लगे| बिजली चमकने लगी| हवा तेज हो गई| पर शीतलता के कारण बड़ी प्यारी लगती | सूखे और मुरझाए शरीर में नवजीवन भरने लगी| मेंढ़क अपनी टर्र-टर्र ध्वनि में वर्षा रानी का स्वागत-गान गाने लगे|
कुछ ही देर में बादलों से सारा आसमान ढक गया| बूँदे पड़ने लगी| पहले तो बूँद पड़ने से कुछ धुल उड़ी पर उनके तेज होने पर हवा चलने लगी|हवा की तेजी ने बौछारों का रूप धारण कर लिया| जो लोग गर्मी से व्याकुल हो बाहर निकल कर वर्षा का दृश्य देखने चले थे, कदम बढ़ाकर घरों को लौटने लगे| किन्तु बच्चों की टोली आनंद से खुले आकाश के नीचे उछल-कूद मचाने लगे| बच्चों को बहुत दिनों के बाद पानी मिला था और वे जी भर कर नहा रहें थे| वर्षा में भीगने का आनंद ही कुछ और होता है|
कुछ ही समय में प्रकृति ने अपना रंग बदल दिया| पेड़ों के मटमैले पत्ते निखरकर हरे-भरे होकर लहराने लगे| फुल भी धुल जाने से नया रूप धारण कर उमंग से झुमने लगे| माटी की सोंधी गंद साँस के साथ खींचकर ह्रदय में जगह बनाने लगी| अहा ! इस वर्षा के पहले दिन ने संसार की काया ही पलट दी|
वर्षा के इस पहले दिन का आनंद पशु-पक्षी भी ले रहें हैं| चरागाहों से भीगी बकरियाँ और सिर नीची किए भेड़े मन में ही प्रसन्न होकर लौट रही हैं| गाय-बैल वर्षा में आनंदित हो उठे हैं| भैसे तो पानी से अलग नहीं होना चाहती उनकी झुलसी हुई मोटी खाल जब तक तर नहीं हो जाएगी, तब तक वे टस से मस नहीं होंगी|
वर्षा खूब तेज हो गई| नालियों में पानी भर गया| दिन डूबने के पहले ताल-तलैया भर गये| उनमें बच्चे कागज की नाव दौड़ाने लगें| नाव चलाने की होड़ और बच्चों की दौड़ बूढों के मन में रस का संचार करने लगी| उनका बचपन आज उभर कर सामने आ गया है, पर बढ़पन्न के बन्धन में बंधे रहने से वे ऐसा आनंद नहीं ले पा रहे हैं|
वर्षा के अभाव और गर्मी के प्रभाव से संसार में जो व्याकुलता छाई थीं, वह वर्षा के पहले दिन ही दूर हो गई| जहाँ क्षण भर के लिए चैन नहीं मिल रहा था, वहाँ अब चैन की बंसी बज रही थी|
वर्षा के पहले दिन ने जहाँ धरती को हरा-भरा कर दिया, सब का मन उल्लास और उत्साह से भर दिया, वहाँ दीन-दुखियों की मुसीबत की सुचना | उनकी टूटी-फूटी झोपड़ियाँ टप-टप कर चू कर देने लगी| बेचारे रुखा-सूखा खाकर जहाँ पेट की आग कठिनाई से बुझा पाते थे, वहाँ झोपड़ियाँ सँवारने, भीगने से बचने की नई चिन्ता सवार हो गई|
इस प्रकार वर्षा का पहला दिन आनंद और पीड़ा का सन्देश वाहक बनकर हमारे सामने उपस्थित हुआ है| यह आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि विधाता की सारी रचना रंगबिरंगी है|
Answer:
वर्ष ऋतु हमारे लिए ढेर सारी खुशियों की बौछार लेके आती है। भारत में वर्षा ऋतु एक बेहद ही महत्वपूर्ण ऋतु है। वर्षा ऋतु आषाढ़, श्रावण तथा भादो मास में मुख्य रूप से होती है। वर्षा ऋतु मुझे बहुत पसंद है। ये भारत के चार ऋतुओं में से मेरी सबसे प्रिय ऋतु है। यह गर्मी के मौसम के बाद आती है, जो साल की सबसे गर्म ऋतु होती है। भयंकर गर्मी, गर्म हवाएँ (लू), और तमाम तरह की चमड़े की दिक्कतों की वजह से मैं गर्मी के मौसम में काफी परेशान हो जाता हूँ। हालाँकि, सभी परेशानियाँ वर्षा ऋतु के आने के साथ ही दूर हो जाती है।भारत में वर्षा ऋतु जुलाई महीने में शुरु हो जाती है और सितंबर के आखिर तक रहता है। ये असहनीय गर्मी के बाद सभी के जीवन में उम्मीद और राहत की फुहार लेकर आता है। इंसानों के साथ ही पेड़, पौधे, चिड़ियाँ और जानवर सभी उत्सुकता के साथ इसका इंतजार करते है और इसके स्वागत के लिये ढेर सारी तैयारियाँ करते है। इस मौसम में सभी को राहत की साँस और सुकून मिलता है।
आकाश बहुत चमकदार, साफ और हल्के नीले रंग का दिखाई पड़ता है और कई बार तो सात रंगों वाला इन्द्रधनुष भी दिखाई देता है। पूरा वातावरण सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। सामान्यतः मैं हरे-भरे पर्यावरण और दूसरी चीजों की तस्वीर लेता हूँ जिससे ये मेरे कैमरे में यादों की तरह रहे। आकाश में सफेद, भूरा और गहरा काला बादल भ्रमण करता दिखाई देता है।