Hindi, asked by chithasingBsundala, 1 year ago

essay on sangati ka prabhav

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Answered by monu7bishnoi
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Sangati ka Prabhav

Kahte hai agar  koi kala aur gora milte hai to rang bhalehi mile na mile gun jarur mil jate hai . Isilye bujurgo ne humesh asangati ke prabhav ko bahut ache se samjhaya hai . hume humaare dost aur padosi bade hi dhyaan se chunne chahiy e. ek achhi aur sabhya sangati hi hai jo apko sahi mukaam par leja sakti hai aur ye hi agar sangati kharab ho aur avguno se bhari ho to hume pathbhrasth hote der nhi lagegi . nashaakhori , saraab ,juaa aur buri aadte sangati ka hi asar hota hai .Atah hum apne dost ko achhi sangati de aur hum achhi sangati wale hi mitra banaye . Agar koi apna dost ya  rishtedaar kisi buri sangat mai hai to bhi hum use thik samay par jaankar bhavshiya ki baurbaadi se bacha sakte hai .kehte hai ki ek sada hua fal sabhi ache falo ko kha jata hai . aur ek buri machhi pura talab gandaa kr deti hai . isslye hume sabak lekar ausashaan aur apne vivek se ache aur bure k agyaan kr ke hi dost banana chahiye . jab bhi aapko lage ki kuch thik nhi ho raha hai to ek nazar apne aas paas bhi dale ki apke kaise dost hai aur kaise sah paathi hai .yaa to khud badal dijiye yaa unko badal dijiye .Achha prabhav khud ba  khud nazar aayega !!

Answered by Chirpy
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मित्र हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब दूध से भरे हुए बर्तन में एक बूँद पानी मिलता है तो वह दूध बन जाता है। जब पानी से भरे बर्तन में एक बूँद दूध मिलता है तो वह भी पानी बन जाता है। एक पत्ता जो हवा के साथ मित्रता करता है वह उसके साथ ऊँचें उड़ता है। उसके बिना वह मिट्टी में मिल जाता है। पंचतंत्र में हमारे जीवन में मित्रों के महत्त्व के बारे में अनेक कहानियाँ बताई गयी हैं।

      कहते हैं कि जो मित्र दुःख के समय हमारा साथ देता है वह हमारा सच्चा मित्र है। जब तालाब में पानी होता है तो अनेक मेढक उसके आस पास रहते हैं। परन्तु पानी सूख जाने पर कहीं और चले जाते हैं। बनावटी मित्र भी इस प्रकार के होते हैं। जबतक हमारे पास सुख सुविधायें होती हैं वे हमारे पास रहते हैं। कष्ट के समय मदद नहीं करते और हमारी ओर से अपना मुख मोड़ लेते हैं।

      रहीम दास जी कहते हैं कि कुछ दिन का दुःख अच्छा है। उस समय हम अपने सच्चे मित्र को पहचान सकते हैं। एक अच्छा मित्र हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है और सही राह दिखाता है। दुःख के समय हमारा साथ देता है और हिम्मत देता है। अच्छे मित्र के साथ रहकर हमारे विचार भी उच्च होते हैं और हम उन्नति करते हैं। बनावटी मित्र हमें पतन की ओर ले जाते हैं। इसलिए सद्संगति आवश्यक है।





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