Essay on science boon or blight in hindi
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धूप-छाँव, रात-दिन की तरह जीवन के हर कार्य के दो पहलू हैं । इसी ज्ञान-विज्ञान के भी दो पहलू स्पष्ट देखे और माने जा सकते हैं । आज हम जिस प्रकार का जीवन जी रहे हैं, उसमें कदम – कदम पर विज्ञान के अच्छे बुरे वरदान या अभिशाप वाले दोनों पहलुओं को दर्शन होते रहते हैं ।
हम जिस बस पर यात्रा करते हैं, वह ठीक-ठाक समय पर हमें, हमारे लक्ष्य तक पहूँचा देती है, यह विज्ञान का वरदान नहीं तो और क्या है ? लेकिन बस से निकलने वाला धुआँ पर्यावरण को दूषित कर वायुमण्डल को घोर प्रदूषित बना रहा है । क्या कहेंगे इसे ? विज्ञान का अभिशाप ही न ।
वरदान के रूप में अन्धेरी रात को दिन के उजाले में बदल देने वाली बिजली जब अचानक किसी बेचारे को छूकर उसके तन का रक्त चूस कर उसे निर्जीव कर देती है, तब वह डायन सरीखी एक भयानक अभिशाप हो तो लगाने लगती है । स्पष्ट है कि अच्छाई के साथ लगे बुराइ के पुँछल्लों की तरह विज्ञान के वरदान के साथ अभिशाप का पुछल्ला भी अवश्य लगा हुआ है ।