essay on shravan kaushal marathi essay
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बच्चा जन्मोपरान्त ही सुनने लग जाता है। ये ध्वनियाँ उसके मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती हैं। ये अंकित ध्वनियाँ ही बच्चे के भाषा ज्ञान का आधार बनती हैं। अच्छी प्रकार से सुनने के कारण ही बालक ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को समझ पाता है।
बच्चा जन्मोपरान्त ही सुनने लग जाता है। ये ध्वनियाँ उसके मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती हैं। ये अंकित ध्वनियाँ ही बच्चे के भाषा ज्ञान का आधार बनती हैं। अच्छी प्रकार से सुनने के कारण ही बालक ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को समझ पाता है।श्रवण कौशल ही अन्य भाषायी कौशलों को विकसित करने का प्रमुख आधार बनता है।
बच्चा जन्मोपरान्त ही सुनने लग जाता है। ये ध्वनियाँ उसके मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती हैं। ये अंकित ध्वनियाँ ही बच्चे के भाषा ज्ञान का आधार बनती हैं। अच्छी प्रकार से सुनने के कारण ही बालक ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को समझ पाता है।श्रवण कौशल ही अन्य भाषायी कौशलों को विकसित करने का प्रमुख आधार बनता है।इससे ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को पहचानने की क्षमता विकसित होती है।
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बच्चा जन्मोपरान्त ही सुनने लग जाता है। ये ध्वनियाँ उसके मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती हैं। ये अंकित ध्वनियाँ ही बच्चे के भाषा ज्ञान का आधार बनती हैं। अच्छी प्रकार से सुनने के कारण ही बालक ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को समझ पाता है।श्रवण कौशल ही अन्य भाषायी कौशलों को विकसित करने का प्रमुख आधार बनता है।इससे ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को पहचानने की क्षमता विकसित होती है।इसे अध्ययन की आधारशिला भी कहा जाता है।इससे वाचन कौशल का विकास होता है।इससे लेखन कौशल के विकास में भी सहायता मिलती है।सुनकर अर्थ ग्रहण करने की योग्यता का विकास करना।छात्रों में भाषा व साहित्य के प्रति रूचि पैदा करना।छात्रों को साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेने व सुनने के लिए प्रेरित करना।
बच्चा जन्मोपरान्त ही सुनने लग जाता है। ये ध्वनियाँ उसके मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती हैं। ये अंकित ध्वनियाँ ही बच्चे के भाषा ज्ञान का आधार बनती हैं। अच्छी प्रकार से सुनने के कारण ही बालक ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को समझ पाता है।श्रवण कौशल ही अन्य भाषायी कौशलों को विकसित करने का प्रमुख आधार बनता है।इससे ध्वनियों के सूक्ष्म अन्तर को पहचानने की क्षमता विकसित होती है।इसे अध्ययन की आधारशिला भी कहा जाता है।इससे वाचन कौशल का विकास होता है।इससे लेखन कौशल के विकास में भी सहायता मिलती है।सुनकर अर्थ ग्रहण करने की योग्यता का विकास करना।छात्रों में भाषा व साहित्य के प्रति रूचि पैदा करना।छात्रों को साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेने व सुनने के लिए प्रेरित करना।श्रुत सामग्री का सारांश ग्रहण करने की योग्यता विकसित करना।