essay on " status of farmers in India " in Hindi. PLS answer ASAP
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किसान का जीवन बहुत कठिन है। वहअपने खेतों में लम्बे समय तक कार्य करता है। वह कठोर मौसम की परवाह किये बिना कार्य करता है। चाहे सर्दी हो या गर्मी या फिर चाहे बारिश ही हो रही हो, उसका ध्यान अपनी फसल में ही लगा रहता है। किसान बहुत गरीब व निर्धन होते हैं तथा अपनी मेहनत के बल पर वे केवल अपना जीवन ही व्यतीत कर पाते हैं। हालांकि कृषि की नवीव तकनीकों ने किसान की बहुत मदद की है, पर इस उपलब्धि का लाभ एक छोटा और निर्धन किसान नहीं उठा पाता है। क्योंकि वह अपने खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए पर्याप्त औजार भी नहीं खरीद पाता।
सरकार को आगे बढ़कर कमजोर किसानों की मदद करनी चाहिए। उन्हें काम ब्याज पर ऋण की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। उन्हें डेयरी उद्योग व खेती करने की नयी-नयी तकनीकों का विशेष ज्ञान दिया जाना चाहिए। उन्हें काम दामों पर उपयुक्त बीज उपलब्ध कराने चाहिए। किसान का काम बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वह हमारे लिए अनाज, फसल व सब्जियां उगाता है। हमारी बहुत सी औद्यौगिक संस्थाएं किसानों पर ही निर्भर करती हैं। भारत गाँवों और किसानों का देश है यहाँ की 65 पप्रतिशत जनसंख्या आज भी कृषि कार्य में ही लगी है। इसलिए किसानों की सही देखभाल की जानी आवश्यक है। देश की सुख-शान्ति और धन-सम्पदा किसानों पर ही निर्भर है। अगर किसान ही भूखा और गरीब है तो देश कभी भी सुखी और समृद्ध नहीं हो सकता। उनके बच्चों का भली-भाँती ध्यान रखना चाहिए। गाँवों में अच्छे से अच्छे स्कूलों का निर्माण करवाना चाहिए। शिक्षा को छोटे स्तर पर मुक्त व सभी के लिए अनिवार्य बनाना चाहिए। उनको खुले दिल से छात्रवृत्ति प्रदान करनी चाहिए।
हम किसान के बारे में तभी सोचते हैं जब सूखा पड़ता है या अनाज की कमी होती है। वास्तव में भोजन हर व्यक्ति की जरुरत है। कोई भी बिना अन्न के जीवित नहीं रह सकता है। इस प्रकार किसान हमारा अन्नदाता है। इसलिए हम सभी को किसानों का सम्मान करना चाहिए व उसके कार्य को महत्त्व देना चाहिए। वह कठिन परिश्रम, सादगी और सत्यता का उदाहरण है। हमें उसके जीवन से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।
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भारत की अधिकांश जनता गाँवों में रहती है। गाँववालों का मुख्य धंधा खेती है। इसलिए भारत की जनसंख्या में किसान अधिक हैं। किसानों की दशा बहुत अधिक विपत्तिग्रस्त है।
किसान चुपचाप दुःख उठाते हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जो सारे राष्ट्र को खिलाते हैं वे स्वयं भूखों मरते हैं।
पहले किसान धनी जमींदारों का खेत जोतते थे। जमींदार किसानों से ज्यादा मालगुजारी वसूल करते थे। जमीन की तरक्की के लिए वे रुपए खर्च नहीं करते थे।
किसानों को उपज के लिए वर्षा पर निर्भर करना पड़ता था। सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं था। बाढ़ और सूखा बार-बार आते थे। इससे उन्हें बड़ा दुःख होता था। इस के अलावा किसान साल में छः महीने बेकार रहते थे। पर, बेकार समय के लिए कोई धंधा नहीं था। इन सबके फलस्वरूप भारतीय किसानों की दशा अधिक दुर्दशाग्रस्त थी।
भारतीय किसान युगों से गरीब हैं। इसलिए वे भाग्यवादी हो गए हैं। अब वे स्वयं सोचते हैं कि अपना भाग्य कैसे सुधारें।
भारतीय किसानों की एक विशेषता है, जिसका उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। वे बहुत सीधे हैं। वे ईमानदार, अतिथि-सत्कार करनेवाले और उदार हैं।
किसान चुपचाप दुःख उठाते हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जो सारे राष्ट्र को खिलाते हैं वे स्वयं भूखों मरते हैं।
पहले किसान धनी जमींदारों का खेत जोतते थे। जमींदार किसानों से ज्यादा मालगुजारी वसूल करते थे। जमीन की तरक्की के लिए वे रुपए खर्च नहीं करते थे।
किसानों को उपज के लिए वर्षा पर निर्भर करना पड़ता था। सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं था। बाढ़ और सूखा बार-बार आते थे। इससे उन्हें बड़ा दुःख होता था। इस के अलावा किसान साल में छः महीने बेकार रहते थे। पर, बेकार समय के लिए कोई धंधा नहीं था। इन सबके फलस्वरूप भारतीय किसानों की दशा अधिक दुर्दशाग्रस्त थी।
भारतीय किसान युगों से गरीब हैं। इसलिए वे भाग्यवादी हो गए हैं। अब वे स्वयं सोचते हैं कि अपना भाग्य कैसे सुधारें।
भारतीय किसानों की एक विशेषता है, जिसका उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। वे बहुत सीधे हैं। वे ईमानदार, अतिथि-सत्कार करनेवाले और उदार हैं।
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