Essay on Tabla in Hindi
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कहा जाता है कि तबला हज़ारों साल पुराना वाद्ययंत्र है किन्तु नवीनतम ऐतिहासिक वर्णन में बताया जाता है कि 13वीं शताब्दी में भारतीय कवि तथा संगीतज्ञ अमीर ख़ुसरो ने पखावज के दो टुकड़े करके तबले का आविष्कार किया। तबले दो भागों को क्रमशः तबला तथा डग्गा या डुग्गी कहा जाता है। तबला शीशम की लकड़ी से बनाया जाता है।
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कहा जाता है कि तबला हज़ारों साल पुराना वाद्ययंत्र है किन्तु नवीनतम ऐतिहासिक वर्णन में बताया जाता है कि 13वीं शताब्दी में भारतीय कवि तथा संगीतज्ञ अमीर ख़ुसरो ने पखावज के दो टुकड़े करके तबले का आविष्कार किया। तबले दो भागों को क्रमशः तबला तथा डग्गा या डुग्गी कहा जाता है।तबला भारतीय उपमहाद्वीप से उत्पन्न एक अवनद्ध (चमड़े से मढ़े) वाद्य यंत्रों में से इकलौता है, जिसका मुंह चमड़े से मढ़ा होता है। ये सभी पारंपरिक, शास्त्रीय, लोकप्रिय और लोक संगीत में इस्तेमाल किया जाता है और ये सभी वाद्य यंत्रों जैसे सितार, सरोद, बांसुरी में संगत देने वाला इकलौता साज तबला है। यह 18वीं शताब्दी के बाद से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र के रूप में उभरा है, और भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश तथा श्रीलंका में उपयोग में लाया जाता है। तबला एकल वादन के लिए संपूर्ण वाद्य यंत्र है।
माना जाता है कि तबला नाम संभवतः फारसी और अरबी शब्द ‘तब्ल’ से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ ड्रम (Drum) (ताल वाद्य) होता है। तथा कुछ विद्वानों का मत यह भी है कि तब्ल शब्द अरबी शब्द नहीं है, बल्कि इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘तबुला’ से हुई है। हालांकि, इस वाद्य की वास्तविक उत्पत्ति विवादित है। जहाँ बहुत से लोगों की यह धारणा है कि इसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में मुगलों के आने के बाद में पखावज (एक वाद्ययंत्र) से हुई है तो वहीं कुछ विद्वान् इसे एक प्राचीन भारतीय परम्परा में उपयोग किये जाने वाले अवनद्ध वाद्यों का विकसित रूप मानते हैं, और कुछ लोग इसकी उत्पत्ति का स्थान पश्चिमी एशिया भी बताते हैं। परंतु भाजे (Bhaje) की गुफाओं में की गई नक्काशी, तबले की भारतीय उत्पत्ति का एक ठोस प्रमाण प्रस्तुत करती है। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में वर्णित विचारों को दो समूहों में बाँटा जा सकता है: