Hindi, asked by RekhaSingla, 1 year ago

essay on there is a wisdom of the head and wisdom of the heart about 600 words

Answers

Answered by Vidhyasha
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Hello dear I don't have much time so it's in photo ok
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RekhaSingla: u count
RekhaSingla: ohh
RekhaSingla: thnk
RekhaSingla: just a min .plzz
RekhaSingla: I m count these words and there are only 355 words
RekhaSingla: okk
Answered by mchatterjee
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दिल और दिमाग भले ही शरीर के दो अलग अलग स्थान पर रहते हो। मगर दिल और दिमाग का विवेक हमारे बहुत काम आता है। दिल और दिमाग एक दूसरे के पूरक हैं। दिल को हम दिमाग से अलग करके कुछ सोच ही नहीं सकते हैं।

दूसरे शब्दों में,दिल न केवल मस्तिष्क के अनुरूप है, बल्कि मस्तिष्क दिल से प्रतिक्रिया देता है। तनावपूर्ण या नकारात्मक भावनाओं के दौरान मस्तिष्क में दिल का इनपुट भी मस्तिष्क की भावनात्मक प्रक्रियाओं पर गहरा असर डालता है-वास्तव में तनाव के भावनात्मक अनुभव को मजबूत करने के लिए सेवा प्रदान करता है दिल।

दिल और दिमाग की जंग में दिमाग ही जीत जाता है।यदि आप मेरे जैसे हैं, तो संभवतः आपको अपने जीवन में निर्णय लेने के लिए सभी प्रकार की सलाह मिल गई है-- " आप अपने दिल को सुनो।"

अपने दिमाग का प्रयोग तर्कसंगत निर्णय लेने में करें। विवादित बयानों के लिए दिमाग की जरूरत होती है। वहां दिल के निर्णय की कोई महत्व नहीं रहती है।

इसके अलावा आपके जीवन से जुड़े किसी भी फैसले के लिए आपको अपने दिल और दिमाग दोनों से निर्णय लेना चाहिए।

याद रखें दिल के निर्णय को दिमाग पर और दिमाग के निर्णय को दिल पर हावी नहीं होने देना है। फैसले ऐसे लिजिए जिससे की आपको कोई तकलीफ़ न हो।

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