Hindi, asked by shuklapratyaksh, 1 year ago

essay on vidharthi aur fashion in hindi

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Answered by mack04vishal
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आधुनिक काल में फैशन का स्वरूप – अलंकरण की यह प्रवृत्ति आधुनिक काल में अधिक पाई जाती है। देश के प्रत्येक भाग में वेश-भूषा के भिन्न भिन्न फैशन दिखाई देते हैं, परंतु इन फैशनो का शिकार विद्यार्थी वर्ग अधिक है। जैसे-जैसे वह तथाकथिक सभ्य समाज से संपर्क स्थापित करता है, वह झट दूसरों की वेश-भूषा को अपना लेगा। धीरे धीरे जब विशेष प्रकार का प्रचलन चल पडता है, तब समाज उसे फैशन पुकारने लगता है। फैशन का संक्रामक रोग बडे बडे नगरों को जल्दी अपनी लपेट में लेता है। वहां भी सबसे पहले विद्यार्थी ही इनका शिकार बनते हैं।

फैशन के कारक तत्व – इसमें कोई शंका नहीं है कि आधुनिक फैशन की जड़ सिनेमा है। सिनेमा के अभिनेता और अभिनेत्रियां जैसी वेश-भूषा अपनाते हैं वैसे ही हम उनका अनुकरण करने लगते हैं। यहां तक की शरीर की साज सज्जा भी अभिनेताओं और अभिनेत्रियों जैसी बनाने की चेष्टा की जाती है। सकूलों और कौलेजों में तो फैशन परस्ती की हवा जल्दी फैलती है। कभी माधुरी दीक्षित जैसा केशविन्यास किया जाता है तो कभी काजोल तथा जूही चावला का अनुकरण किया जाता है। यही हाल छात्रों का है, आज कल लड़के और लड़कियां यूरोपियन लड़कों और लड़कियों की नकल कर रहे हैं। लड़कियों का बॉय कट बाल कटवाना और लड़कों का लड़कियों जैसे बाल राखना आज सामान्य बात हो गई है। आज लड़कों का लड़कियों में भेद कर पाना कठिन हो गया है।

विद्यार्थी और फैशन – अपने शरीर को सजाने और संवारने से सौंदर्य में वृद्धि होती है। इस से कुरूप व्यक्ति भी सुंदर दिखाई देता है। उसके व्यक्तित्व में चार चांद लाग जाते हैं। समाज में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ जाती है। ऐसा व्यक्ति स्वयं भी हीन भावना का शिकार नहीं होता। अंधाधुंध फैशन करने वालों को यह देख लेना चाहिए कि उनका फैशन कहीं चटकीला, भड़कीला और काम वासना पैदा करने वाला तो नहीं। विद्यार्थी को तो विशेष रूप से फैशन से बचना ही चाहिए, क्योंकि फैशन के कारण वह अपना अमूल्य समय नष्ट करता है और अपने इस फैशन के कारण कभी कभी अनुचित संबंध भी स्थापित कर लेता है। इससे उसका सारा जीवन नष्ट हो जाता है। इसलिए विद्यार्थी को सादा और पवित्र ही रहना चाहिए। फैशन तो उसके लिए घुन का कीड़ा है जो उसके जीवन को बरबाद कर देता है।

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