essay on vigyan aur samaj in hindi??
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आज का युग विज्ञान का युग है । हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है । प्राचीन काल में असंभव समझे जाने वाले तथ्यों को विज्ञान ने संभव कर दिखाया है । छोटी-सी सुई से लेकर आकाश की दूरी नापते हवाई जहाज तक सभी विज्ञान की देन हैं ।विज्ञान ने एक ओर मनुष्य को जहाँ अपार सुविधाएँ प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि नाभिकीय यंत्रों आदि के विध्वंशकारी आविष्कारों ने संपूर्ण मानवजाति को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है । अत: एक ओर तो यह मनुष्य के लिए वरदान है वहीं दूसरी ओर यह समस्त मानव सभ्यता के लिए अभिशाप भी है ।भारतवर्ष की वर्तमान परिस्थितियों में भावात्मक एकता का विषय बहुत महत्त्व रखता है । यह विषय एक राष्ट्रीय समस्या के रूप में देश के शुभचिंतकों और देशभक्तों का ध्यान प्रबल रूप में आकर्षित कर रहा है ।प्रत्यक्ष में यह बात कही जा रही है कि देश का भविष्य, उसकी सभी योजनाओं की सफलता और भावी पीढ़ी की सुख-समृद्धि उसके नागरिकों की भावात्मक एकता पर निर्भर है ।भावात्मक एकता का तात्पर्य है- प्रत्येक भारतीय यह अनुभव करे कि भारतभूमि उसकी मातृभूमि है । यहाँ के प्रत्येक नागरिक का हित उसका अपना हित है । भारतभूमि, इसकी नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और निवासियों के प्रति, यहाँ के इतिहास, परंपरा, संस्कृति तथा सभ्यता के प्रति प्रत्येक भारतवासी का पूज्य भाव हो-यही भावात्मक एकता है ।
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