Hindi, asked by amankainthlia, 10 months ago

ESSAY ON WOMEN EMPOWERMENT IN HINDI
PLS I WILL MARK U BRANILIST

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Answered by krishanajagat
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निबंध ... 'सशक्तिकरण' से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो।महिला सशक्तिकरण : महिला सशक्तिकरण को बहुत ही आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है। इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती हैं जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले को खुद ले सकती हैं और अपने परिवार तथा समाज में अच्छी तरह से रह सकती हैं। समाज में महिलाओं के वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य होता है महिलाओं को शक्ति प्रदान करना जिससे वे हमारे समाज में पीछे न रह सके और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फैसलें ले सकें तथा गर्व से अपना सिर उठाकर चल सकें। महिला सशक्तिकरण का मुख्य लक्ष्य महिलाओं को उनका अधिकार दिलाना है।

महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य ऐसी सामाजिक प्रक्रिया से है जिसमें महिलाओं के लिए सर्वसम्पन्न तथा विकसित होने हेतु संभावनाओं के द्वार खुले, नए विकल्प तैयार हों, भोजन, पानी, घर, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुविधाएँ, शिशु पालन, प्राकृतिक संसाधन, बैंकिंग सुविधाएँ, कानूनी हक तथा प्रतिभाओं के विकास हेतु पर्याप्त रचनात्मक अवसर प्राप्त हों।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता : हम सभी को पता है कि हमारा देश एक पुरुष प्रभुत्व वाला देश है जहाँ पर पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक सक्षम समझा जाता है जो उचित नहीं है। आज भी बहुत से स्थानों पर महिलाओं को पुरुषों की तरह काम करने नहीं दिया जाता है और उन्हें परिवार की देखभाल और घर से न निकलने की हिदायत दी जाती है।

भारत एक पुरुषप्रधान समाज है जहाँ पर पुरुष का प्रत्येक क्षेत्र मंक दखल होता है और महिलाएँ केवल घर-परिवार की जिम्मेदारी उठाती है साथ ही उन पर कई पाबंदियाँ भी होती हैं। भारत की लगभग 50% आबादी महिलाओं की है अथार्त सारे देश के विकास के लिए इस आधी आबादी की बहुत ज्यादा जरूरत है जो आज तक सशक्त नहीं है और बहुत से सामाजिक प्रतिबंधों से बंधी हुई है।

भविष्य में इस आधी आबादी को मजबूत किये बिना हमारे देश के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। हमारे देश को विकसित करने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार, पुरुष और स्वंय महिलाओं द्वारा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जाए। महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि प्राचीनकाल में भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था।

महिलाओं को उनके परिवार और समाज के द्वारा दबाया गया, उनके साथ बहुत प्रकार से हिंसा की गई तथा परिवार और समाज में भेदभाव किया गया, ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई देता है। प्राचीनकाल से महिलाओं के साथ समाज में चल रहे गलत और पुराने चलन को नए रीती-रिवाजों और परंपराओं में ढाल दिया गया है।

भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिए माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रूप में महिला देवियों को पूजने की परंपरा है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि सिर्फ महिलाओं के पूजने से देश के विकास की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। आज के समय में आवश्यकता है कि देश की आधी आबादी यानि महिलाओं का प्रत्येक क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाये क्योंकि यही देश के विकास का आधार बनेंगी।

भारत एक सुप्रसिद्ध देश है जिसने विविधता में एकता के मुहावरे को साबित करके दिखाया है। भारत के समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। महिलाओं को प्रत्येक धर्म में एक भिन्न स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को ढके हुए पर्दे के रूप में और बहुत वर्षों से आदर्श के रूप में महिलाओं के विरुद्ध बहुत सारे गलत कामों को जारी रखने में सहायता कर रहा है।

Answered by rakeshtamilan2206200
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध

‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो।

महिला सशक्तिकरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Women Empowerment in Hindi)

निबंध 1 (300 शब्द)

पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय। लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये।

लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। चूंकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है।

महिला सशक्तिकरण

महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला आरक्षण बिल-108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी है ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है। दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है।

सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके।

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