Essay on yadi mai sainik hota to
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Hello ...
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अगर मैं सैनिक बन गया, तो मेरी मातृभूमि की ओर मेरा पहला और सबसे बड़ा कर्तव्य उसकी ईमानदारी और संप्रभुता को बचाने और अपने जीवन की कीमत पर भी, बाहर की दुश्मन ताक़तें से उसकी रक्षा करेगा।
एक सैनिक के रूप में, मुझे चरित्र में ईमानदार और ईमानदार, साहसी और बहादुर होना चाहिए, और जीवन में अनुशासित होना चाहिए। मुझे अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन करना चाहिए और तत्काल और तत्काल।
यदि किसी भी समय, मेरे देश पर बाहरी बल से हमला किया जाता है, तो मेरा पहला कर्तव्य सीमा रेखा तक आगे बढ़ना होगा और निडरता से लड़ना होगा जब तक कि हमारे दुश्मनों को नष्ट नहीं किया जाता है, और हम अंततः लड़ाई जीतते हैं। मेरी मां और मेरी मातृभूमि स्वर्ग की तुलना में मेरे लिए अधिक पवित्र हैं। मैं दोनों को अपने दिल के मूल से समान रूप से पूजा करता हूं।
एक आदर्श सैनिक के रूप में, मेरा कर्तव्य भी मेरे देशवासियों के प्रति होगा। बाढ़, अकाल या भूकंप, या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा के समय, उन पीड़ितों के लिए भागना मेरा ईमानदार कर्तव्य होगा जो मेरे भाइयों और बहनों के अलावा नहीं हैं। मैं अपने सहयोगियों के साथ सहयोग करता हूं, और देश में अचानक दिखाई देने वाले संकट के समय सेना में अपने वरिष्ठ अधिकारियों का पालन करता हूं।
मुझे लगता है कि एक व्यक्ति अपने देश को किसी भी अन्य स्थिति में रहने के बजाय एक सैनिक के रूप में बेहतर तरीके से सेवा दे सकता है।
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Hey mate
में अपने देश के लिए कुछ करना चाहता हू । सैनिक बनना मेरे जीवन का लक्ष्य है। मैं जानता हूं कि मुझे भली प्रकार से ट्रेनिग दी जाएगी और इस अवसर पर हमें अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन मैं इसके लिए तत्पर हूं। देश की संकट की घड़ी के लिए हमारा जीवन पवित्र त्याग करने के लिए सदैव तत्पर ही होगा। मैं अब अधिकतर भगतसिंह, चन्द्रशेखर की जीवनियां पढ़ता हूँ तथा देश के स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने वाले सैनानियों के विषय में पढ़ता हूं। मैं जानता हूं कि इनके त्याग के परिणाम स्वरूप ही हमारा देश आज़ाद हुआ है। इधर चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में शहीद हुए सैनिकों का त्याग, याद कर मैं पुलकित हो जाता हूं। मुझे पुष्प’ की अभिलाषा’ नामक कविता याद है जिसमें पुष्प अन्त में कहता है
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर तुम देना फेंक।
मातृ भूमि पर शीश चढ़ाने,
जावें जिस पथ वीर अनेक ॥
लेकिन यह तो उस समय की आकांक्षा है जब कहीं शत्रु की आँख हमारे पवित्र देश की धरती की ओर उठेगी। सैनिक बनकर मैं अपने गांव में जब छुट्टियों में आऊंगा तो अपने ‘ को सैनिकों के के विषय में बताऊंगा। हमारे गांव में मैं पहला व्यक्ति बनेगा। इसलिए सभी लोग मेरे बारे में जानने की इच्छा रखेंगे। मैं गांव के लड़कों को, सैनिक जीवन में अनुशासन कितना महत्वपूर्ण होता है, यह समझाऊंगा तथा उन्हें भी अनुशाहित रूप मैं रहकर अपने अध्यन के प्रति सतर्क रहने के लिए कहूंगा। गांव मैं प्रेम, भाईचारा, त्याग, सहयोग से रहने के लिए मैं उन्हें प्रेरित करूँगा तथा उन्हें वह घटना अवश्य सुनाऊंगा जिसने मुझे सैनिक बनने के लिए प्रेरणा दी। जब वे मेरे जीवन को देखेंगे तो स्वाभाविक है, कि वे भी इस जीवन के प्रति आकर्षित होंगे। सैनिक बन कर व्यक्ति केवल गोलियां ही नहीं चलाता है, केवल मार-काट ही नहीं करता है अपितु वह प्रेम और प्यार की गोलियों से लोगों को घायल कर सकता है। इसी गोली ने मुझे भी भाव-विह्वल किया था और मैं भी इसी गोली से अपने गांव के युवकों को जीतुंगा। मैं शान्ति के समय यदि आन्तरिक सुरक्षा के लिए किसी शहर में भी तैनात हो जाऊंगा तो मैं अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों के साथ मधुर व्यवहार करूंगा और उन्हें भी अनुशासित जीवन में रहकर अपने देश की सेवा करने के लिए कहूंगा। सैनिक बनकर में आगे के कम्पटीशन में भी बैठता रहूंगा। और सैनिक आफीसर बनने का प्रयास भी करूंगा। मैं चाहे आफीसर बन भी जाऊं तब भी उन दोनों सैनिकों की प्रेरणा और सेवा-भाव को जीवन का आदर्श बनाऊंगा।में अपने देश की मरते दम तक रक्षा करुगा ।
उपसंहार- किसी कवि की पंक्ति मुझे याद आती हैं-
जिसको न निज गौरव तथा निज जाति का अभिमान है।
वह नर नहीं नर-पशु निरा है और मृतक समान है ॥
मैंने अपने जीवन का लक्ष्य भी आपको बताया है जिसे आप केवल गप्प न समझे बल्दि मैं जीवन को इसी रूप में देखता हूं। जब मैं सैनिक बन जाऊंगा तब आप मुझे इसी रूप में देखेंगे, मेरे जीवन को इसी मार्ग पर चलते देखेंगे तो आप विश्वास करेंगे।
I hope it helps you