Hindi, asked by AliAsghar110, 1 year ago

Essay or speech on अंध श्रध्दा और हम

Answers

Answered by Angelshilpa
0
this answer you can search in Google...

AliAsghar110: what a great answer u gave I've tried before u said
Angelshilpa: ok u can search in essay book..
Answered by iamsksofficial
2
संसार के कोने-कोने में-चाहे वह मध्य हो या असभ्य अथवा    पिछड़ा हुआ हो- समान या आंशिक रूप     से अंधविश्वास प्रचलित हैं, क्योंकि मनुष्य अपने भाग्य पर अपने सारे झंझटों को छोड़कर मुक्त हो जाना चाहता है ।

जिन कार्यों को भाग्य, अवसर, तंत्र-मंत्र, टोने-टोटके के ऊपर निर्भर रहकर किया जाता है, वे सब अंधविश्वास की सीमा में आते हैं । जब मानव अपनी सीमित बुद्धि से परे कोई काम देखता है तब तुरंत वह किसी अज्ञात दैवी शक्ति पर विश्वास करने लगता है और अपनी सहायता के लिए उसका आवाहन करता है, भले ही वह अज्ञात दैवी-शक्ति उसके अंतर की ज्योति हो, फिर भी इसको सोचने-विचारने का उनके पास समय या बुद्धि है ही कहाँ ? सफलता प्राप्त होने पर संपूर्ण श्रेय उसके परिश्रम को न मिलकर उसी अज्ञात शक्ति या भाग्य को दिया जाता है ।

इस प्रकार विवेकशून्यता और भाग्यवादिता द्वारा पोषण पाकर अंधविश्वास मजबूत होते जाते हैं । जहाँ मूर्खता का साम्राज्य होता है वहाँ अंधविश्वास की तानाशाही खूब चलती हें । प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकाश से आलोकित देशों में भी किसी-न-किसी तरह के अंधविश्वास प्रचलित हैं ।

Similar questions