Hindi, asked by kmluke1577, 1 year ago

Essay writing on jawaharlal nehru in hindi

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Answered by VibhuNagayach100
5
युगदृष्टा जवाहरलाल नेहरु जी का जन्म 14 नवम्बर,1889 को इलाहाबाद के एक अतिसंपन्न परिवार में हुआ था। कानून शास्त्र के ज्ञाता मोतीलाल नेहरू उनके पिता थे जो जटिल से जटिल मामलों को भी बङी सरलता से हल कर देते थे। उनकी माँ का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।मोतीलाल जी के घर में कभी भी किसी प्रकार की घार्मिक कट्टरता और भेद-भाव नही बरता जाता था। जवाहरलाल बालसुलभ जिज्ञासा और कौतूहल से धार्मिक रस्मों और त्योहारों को देखा करते थे। नेहरु परिवार में कश्मीरी त्योहार भी बङे धूम-धाम से मनाया जाता था। जवाहर को मुस्लिम त्योहार भी बहुत अच्छे लगते थे। धार्मिक रस्मों और आकर्षण के बावजूद जवाहर के मन में धार्मिक भावनाएं विशवास न जगा सकी थीं। बचपन में जवाहर का अधिक समय उनके यहाँ के मुंशी मुबारक अली के साथ गुजरता था। मुंशी जी गदर के सूरमाओं और तात्याटोपे तथा रानी लक्ष्मीबाई की कहानियाँ सुनाया करते थे। जवाहर को वे अलिफलैला की एवं और दूसरी कहानियाँ भी सुनाते थे।

बच्चों के प्रिय चाचा नेहरु का जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है। नेहरू जी का जन्मदिन उनके पहले जन्मदिन से ही एक अलग अंदाज में मनाया जाता था। जन्म के बाद से लगातार हर वर्ष 14 नवम्बर के दिन उन्हें सुबह सवेरे तराजू में तौला जाता था। तराजू में बाट की जगह गेँहू या चावल के बोरे रखे जाते थे। तौलने की यह क्रिया कई बार होती थी। कभी मिठाई तो कभी कपङे बाट की जगह रखे जाते थे। चावल, गेँहु, मिठाई एवं कपङे गरीबों में बाँट दिये जाते थे। बढती उम्र के साथ बालक जवाहर को इससे बहुत खुशी होती थी। एक बार जवाहरलाल ने अपने पिता से पूछा कि हम एक वर्ष में एक से ज्यादा बार जन्मदिन क्यों नही मनाते ताकि अधिक से अधिक लोगों की सहायता हो सके। बालक जवाहर का ये प्रश्न उनकी उदारता को दर्शाता है।

भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनका लगाव बचपन से ही था। एक बार की बात है कि ”मोतीलाल नेहरु अपने घर में पिंजरे में तोता पाल रखे थे। एक दिन जवाहर ने तोते को पिंजरे से आज़ाद कर दिया। मोतीलाल को तोता बहुत प्रिय था। उसकी देखभाल एक नौकर करता था। नौकर ने यह बात मोतीलाल को बता दी। मोतीलाल ने जवाहर से पूछा, ‘तुमने तोता क्यों उड़ा दिया। जवाहर ने कहा-

पिताजी पूरे देश की जनता आज़ादी चाह रही है। तोता भी आज़ादी चाह रहा था, सो मैंने उसे आज़ाद कर दिया।

जवाहर लाल नेहरु अपने पिता मोतीलाल नेहरु से अत्यधिक प्रभावित थे। मोतीलाल नेहरु पर पाश्चात्य संस्कृति का अधिक असर था, अतः जवाहर को 13 मई, 1905 को लन्दन के निकट हैरो (Harrow) में शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेज दिया गया। हैरो में ही “हैरो स्कूल” नाम का एक प्राइवेट बोर्डिगं स्कूल था, जहाँ संभ्रान्त अंग्रेजों के बच्चों को शिक्षा दी जाती थी। जवाहर पढाई में शुरू से अच्छे थे किन्तु लेटिन भाषा में कुछ पिछङे हुए थे। इसका कारण ये था कि उन्हे लैटिन जैसी मृत भाषा पसन्द नही थी।
मोतीलाल नेहरु जवाहर को अच्छे काम के लिए अक्सर ईनाम में किताबें दिया करते थे। लैटिन भाषा के प्रति रुचि जगाने हेतु उन्होने जवाहर को गैरीबाल्डी के बारे में जी. एम. ट्रैविलियन की किताब इनाम में दी। गैरीबाल्डी को पढने के बाद इटली के एकीकरण की लङाई, जनवादी जनतंत्र की स्थापना की लङाई में अपनी व्यापकता, ऐतिहासिक महत्व और उदात लक्ष्यो से जवाहर अभिभूत हो गये। जवाहर लाल नेहरु जी ने कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। जब वे कैम्ब्रिज में पढाई कर रहे थे तो वहाँ उन्हे विपिन्न चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे देशभक्तो को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। जवाहर, गोपाल कृष्ण गोखले से अत्यधिक प्रभावित हुए।

भारत गवर्नर-जनरल लार्ड कर्जन की दमनात्मक नीति के भीषण दौर से गुजर रहा था। कर्जन ने बंगाल में हिन्दु और मुसलमान को दो भागों में विभाजित कर दिया था। सारे देश में क्षोभ का ज्वार उमङ पङा था। इंग्लैंण्ड में जब जवाहर को ये खबर पता चली तो उनका खून खौल उठा। धन-धान्य से संपन्न परिवार में जन्में जवाहरलाल को सर्वसुविधा प्राप्त थी। इसके बावजूद ऐश्वर्य के माया जाल से नेहरु जी मोहित नही हुए उनमें देश प्रेम की भावना हिलोरे लेने लगी।

जवाहरलाल गरमदल वालों की कारवाइयों का पक्ष लेते और भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के पैमाने पर खुशी जताते थे। फिक्र सिर्फ इस बात की थी कि उनकी राय पिता की राय से मेल नही खाती थी इसके बावजूद परस्परविरोधी मत व्यक्त करने में कोई बाधा उत्पन्न नही होती थी क्योंकि वार्तालाप में पुत्र की आज्ञाकारिता और पिता का स्नेह झलकता था। उन दिनों टाइम्स में खबर छपी कि कश्मीर में स्वदेशी आंदोलन फैल गया है वहाँ लोगों ने चन्दा करके अंग्रजी चीनी खरीद ली और उसे जला दिया। ये घटनाएं देशप्रेम की भावनाओं को और मजबूत करती रहीं।
भारत लौटने के चार वर्ष बाद मार्च 1916 में नेहरू का विवाह कमला कौल के साथ हुआ। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग‎ में शामिल हुए। 1919 में  जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए तब से सही मायने में राजनीति में प्रवेश किये। उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। नेहरू, महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति बहुत आकर्षित हुए थे।
जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में दो वर्ष तक सेवा की। मातृ-भूमि की स्वतंत्रता हेतु अक्सर अंग्रेजों द्वारा जेल भेज दिये जाते थे ऐसे ही एक अवसर पर 1942 से 1946 के दौरान जब वे अहमदनगर की जेल में थे वहाँ उन्होने ‘भारत एक खोज’ पुस्तक लिखी थी। जिसमें उन्होने भारत के गौरव पूर्ण इतिहास का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है।

Answered by BrainlyQueen01
8
नमस्ते!

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निबंध: जवाहर लाल नेहरु

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पंडित मोतीलाल नेहरू के एकमात्र पुत्र थे। वह एक योग्य पिता के योग्य पुत्र थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। वह एक अभिजात वर्ग के परिवार से आए थे। उन्होंने घर पर गोवरनेस और निजी शिक्षक के माध्यम से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।

जब उनका परिवार यूरोप दौरे पर गया, तो उन्हें इंग्लैंड में हैरो पब्लिक स्कूल में भर्ती कराया गया। उन्हें हैरो और कैम्ब्रिज में शिक्षा मिली। वह 1912 में वे 'बार- एट-ला' बन गये। वह भारत लौट आे और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बार में शामिल हो गये।

वह जल्द ही भारत में एक प्रमुख व्यक्ति बन गये, वह 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। वह कई बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे।

पंडित नेहरू सत्यनिष्ठ ईमानदार,सम्मानित थे। आत्मनिर्भरता और समझौता के लिए उनके पास अद्भुत क्षमता थी। वह आत्म बलिदान का एक अनोखा उदाहरण थे, उसके पास अद्भुत ऊर्जा और क्षमता थी।

वह एक महान विद्वान थे और उन्होंने कई अच्छी किताबें लिखीं। यह वही थे जिसने आजाफ्ट इंडिया के स्वतंत्रता के बैनर आयोजित किए और भारत को गौरव के लिए नेतृत्व किया।

अंत में 27 मई 1964 को दिल के दौरे के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी।

उनकी आत्मा को शांति मिले _/\_

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सवाल के लिए धन्यवाद!


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