एवरेस्ट की चढ़ाई मुश्किलोंसे क्यों भरी पड़ी है
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बीते दिनों एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान दु्र्घटनाओं के साथ-साथ शेरपा और पर्वतारोहियों के बीच झगड़े की भी खबरें आईं थीं.
पर्यटन उद्योग के पर्वतारोहण पर निगरानी रखने वाले विभाग के प्रमुख पूर्ण चंद्र भट्टराई ने कहा, ‘एवरेस्ट के बेस कैम्प पर एक स्थाई सरकारी तंत्र की जरूरत है, जो पर्वतारोहण की गतिविधियों पर नजर रख सके.’ उन्होंने कहा कि इस एकीकृत सेवा केंद्र से पर्वतारोहियों को संचार और सुरक्षा से जुड़ी सेवाएं भी दी जाएगी.
भट्टाराई ने कहा कि अगले साल बसंत से शुरू होने वाले पर्वतारोहण से लागू की जाने वाली इस व्यवस्था से बेस कैम्प तक प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहेंगे. जानकारों का कहना है कि नेपाल की राजधानी काठमांडू से पर्वतारोहण पर निगरानी रखने में परेशानी आ रही है.
उन्होंने कहा कि मौके पर अधिकारियों के मौजद होने से स्पष्ट संदेश जाएगा कि कानून का उल्लंघन दंडनीय है.
अधिकारी बनेंगे जिम्मेदारवर्तमान नियम के अनुसार हर पर्वतारोही टीम में सलाहकार अधिकारी के रूप में एक सरकारी कर्मचारी होना चाहिए. लेकिन अक्सर ये अधिकारी काठमांडू से बाहर नहीं जाते और चोटी पर पर्वतारोही टीम को सलाह देने के लिए कोई नहीं रहता.
भट्टाराई ने कहा कि ये सलाहकार अधिकारी सरकारी तंत्र नहीं बल्कि चढ़ाई पर जाने वाली टीम के प्रति जिम्मेवार होते हैं. लेकिन एकीकृत सेवा केंद्र के अधिकारी सलाहकार की जिम्मेदारी निभाने के साथ पर्वतारोहण के परमिट की जांच करने और पर्वतारोही के एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने की पुष्टि करेंगे.
रिकॉर्ड बनाने की इच्छा के बारे में बताना होगाअधिकारियों और पर्वतारोहण के जानकारों का मानना है कि इस नए नियम से एवरेस्ट की चढ़ाई में अनोखा रिकार्ड बनाने की बढ़ती प्रतियोगिता पर नियंत्रण पाया जा सकेगा. भट्टाराई कहते हैं कि अगर पर्वतारोही कोई रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं तो उन्हें इस बारे में पहले बताना होगा.
पहले भी बने हैं ऐसे नियमनेपाल पर्वतारोहण संघ के अध्यक्ष जिंगा जंग्बू शेरपा ने कहा कि पूर्व में भी ऐसे ही नियम बनाए गए थे और पर्वतारोहियों को रिकार्ड बनाने की योजना के बारे में पर्यटन मंत्रालय को बताना होता था. उन्होंने कहा कि इस नियम का खूब उल्लंघन किया गया.
उन्होंने कहा, ‘अगर पर्वतारोही इस नियम का भी उल्लंघन करते हैं तो प्रशासन उनको नहीं रोक पाएगा, क्योंकि बेस कैम्प पर मौजूद अधिकारियों से हर समय चोटी पर पहुंचने की आशा नहीं की जा सकती.’