Explain first paragraph of poem ...Shakti aur kshama...by..ramdhari sing sinker...
Answers
उत्तर-
The Explanation first paragraph of the Poem "Shakti Aur Kshama" by 'Ramdhari Singh Dinkar' is...
“शक्ति और क्षमा” कविता जिसकी रचना रामधारी सिहं दिनकर ने की थी, उसका पहला पैराग्राफ उसके भावार्थ के साथ प्रस्तुत है।
क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा
पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे
कहो, कहाँ कब हारा ?
भावार्थ-
कविता के इस खण्ड में कवि के कहने का भाव यही है कि हर जगह दया या क्षमा से ही कार्य की पूर्ति नही हो पाती। क्योंकि हर कोई दया, प्रेम या क्षमा की भाषा नही समझता है और ऐसी स्थिति आगे बढ़कर शक्ति का प्रदर्शन करके अपने कार्य का संधान करना पड़ता है। इस खण्ड में उन्होंने महाभारत का उद्धृत देते हुये कहा कि पांडवों ने कौरवों को उनके कुकृत्यों के लिये अनेकों बार क्षमा किया परन्तु कौरव थे कि छल, कपट से बाज नही आये। उन्हे पांडवों द्वारा प्रदर्शित दया, त्याग, प्रेम की भाषा समझ नही आयी और वो अपना कुटिल आचरण करते ही रहे।
रामधारीसिंह दिनकर वीर रस के कवि हैं । "शक्ति और क्षमा" नामक इस कविता के प्रथम अनुच्छेद में रामधारीसिंह दिनकर ने कौरवों और पांडवों के माध्यम से यह भाव उजागर किया है कि क्षमा वीरो का आभूषण अवश्य है किंतु दया, तप, त्याग और क्षमा जैसे गुणों से दुर्योधन जैसे शिकारी वृत्ति वाले दुर्जनों को नहीं हराया जा सकता है ।
वस्तुतः वे पांडवों जैसे क्षमाशील और सह्रदय सज्जनों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि बिना भयभीत किए शत्रु के समक्ष आपकी विनम्रता का कोई मोल नहीं है । जितना आप उनके साथ सहिष्णुता का व्यवहार करेंगे वह उतना ही आपको कायर या डरपोक समझेंगे । अतः यदि आपके पास इतनी शक्ति है, सामर्थ्य हैं जो उसे पराजित कर सकता है तो उसका आवश्यकता पड़ने पर प्रदर्शन अवश्य करें।
फलत: शत्रु आपके इस पौरूष को जानकर आपसे किसी भी प्रकार का अनुचित व्यवहार करने का दुस्साहस नहीं करेगा और आप के सामने विनीत रहेगा तत्पश्चात आप उसे क्षमा करेंगे तब इस क्षमा का मोल होता है |