explain दोहे ( दोहे का आतर्थ बताये)
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8-) अर्थ : बिहारी अपने इस दोहे में कहते हैं हे कान्हा, तुम्हारें हाथ में मुरली हो, सर पर मोर मुकुट हो तुम्हारें गले में माला हो और तुम पीली धोती पहने रहो इसी रूप में तुम हमेशा मेरे मन में बसते हो ।
9-)श्री कृष्ण के अलौकिक रूप तथा उनके वस्त्रों को देखकर मंत्रमुग्ध होकर राधा जी उनके शरीर की तुलना नीलमणि पर्वत तथा उनके पीले वस्त्रों की तुलना प्रातः कालीन सूर्य की किरणों से करते हुए अपनी सखी से कहती हैं कि जिस प्रकार नीलमणि पर्वत पर प्रातः काल कि सूर्य की पीली किरणे पड़ने पर नीलमणि पर्वत सुशोभित हो उठता है, और अलौकिक प्रतीत होता है, उसी प्रकार श्री कृष्ण अपने सांवले सुंदर शरीर पर पीले वस्त्रों को धारण किये हुए अत्यंत सुशोभित लग रहे हैं।
10-)जप (मंत्र-पाठ), माला (सुमिरन), छापे या तिलक से एक भी काम नहीं सध सकता-कोई भी मनोरथ सिद्ध नहीं हो सकता। जब मन सच्चा है-मन वश में नहीं है, तो यह सारा नाच (आडम्बर) वृथा है, (क्यांेकि) राम सत्य से ही प्रसन्न होते हैं (आडंबरों से नहीं)।
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