explain total 6 समास in hindi with examples.
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)तत्पुरुष समास :- जिस समास में बाद का अथवा उत्तरपद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच का कारक-चिह्न लुप्त हो जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते है।
जैसे-
तुलसीकृत= तुलसी से कृत
शराहत= शर से आहत
राहखर्च= राह के लिए खर्च
राजा का कुमार= राजकुमार
तत्पुरुष समास में अन्तिम पद प्रधान होता है। इस समास में साधारणतः प्रथम पद विशेषण और द्वितीय पद विशेष्य होता है। द्वितीय पद, अर्थात बादवाले पद के विशेष्य होने के कारण इस समास में उसकी प्रधानता रहती है।
तत्पुरुष समास के भेद
तत्पुरुष समास के छह भेद होते है-
(i)कर्म तत्पुरुष
(ii) करण तत्पुरुष
(iii)सम्प्रदान तत्पुरुष
(iv)अपादान तत्पुरुष
(v)सम्बन्ध तत्पुरुष
(vi)अधिकरण तत्पुरुष
(i)कर्म तत्पुरुष (द्वितीया तत्पुरुष)-इसमें कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग (को) प्राप्त
कष्टापत्र कष्ट (को) आपत्र (प्राप्त)
आशातीत आशा (को) अतीत
गृहागत गृह (को) आगत
सिरतोड़ सिर (को) तोड़नेवाला
चिड़ीमार चिड़ियों (को) मारनेवाला
सिरतोड़ सिर (को) तोड़नेवाला
गगनचुंबी गगन को चूमने वाला
यशप्राप्त यश को प्राप्त
ग्रामगत ग्राम को गया हुआ
रथचालक रथ को चलाने वाला
जेबकतरा जेब को कतरने वाला
(ii) करण तत्पुरुष (तृतीया तत्पुरुष)-इसमें करण कारक की विभक्ति ‘से’, ‘के द्वारा’ का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
वाग्युद्ध वाक् (से) युद्ध
आचारकुशल आचार (से) कुशल
तुलसीकृत तुलसी (से) कृत
कपड़छना कपड़े (से) छना हुआ
मुँहमाँगा मुँह (से) माँगा
रसभरा रस (से) भरा
करुणागत करुणा से पूर्ण
भयाकुल भय से आकुल
रेखांकित रेखा से अंकित
शोकग्रस्त शोक से ग्रस्त
मदांध मद से अंधा
मनचाहा मन से चाहा
सूररचित सूर द्वारा रचित
(iii)सम्प्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी तत्पुरुष)-इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’ लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
देशभक्ति देश (के लिए) भक्ति
विद्यालय विद्या (के लिए) आलय
रसोईघर रसोई (के लिए) घर
हथकड़ी हाथ (के लिए) कड़ी
राहखर्च राह (के लिए) खर्च
पुत्रशोक पुत्र (के लिए) शोक
स्नानघर स्नान के लिए घर
यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला
डाकगाड़ी डाक के लिए गाड़ी
गौशाला गौ के लिए शाला
सभाभवन सभा के लिए भवन
लोकहितकारी लोक के लिए हितकारी
देवालय देव के लिए आलय
(iv)अपादान तत्पुरुष (पंचमी तत्पुरुष)- इसमे अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ (अलग होने का भाव) लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
दूरागत दूर से आगत
जन्मान्ध जन्म से अन्ध
रणविमुख रण से विमुख
देशनिकाला देश से निकाला
कामचोर काम से जी चुरानेवाला
नेत्रहीन नेत्र (से) हीन
धनहीन धन (से) हीन
पापमुक्त पाप से मुक्त
जलहीन जल से हीन
(v)सम्बन्ध तत्पुरुष (षष्ठी तत्पुरुष)-इसमें संबंधकारक की विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’ लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
विद्याभ्यास विद्या का अभ्यास
सेनापति सेना का पति
पराधीन पर के अधीन
राजदरबार राजा का दरबार
श्रमदान श्रम (का) दान
राजभवन राजा (का) भवन
राजपुत्र राजा (का) पुत्र
देशरक्षा देश की रक्षा
शिवालय शिव का आलय
गृहस्वामी गृह का स्वामी
(vi)अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी तत्पुरुष)-इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में’, ‘पर’ लुप्त जो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
विद्याभ्यास विद्या का अभ्यास
गृहप्रवेश गृह में प्रवेश
नरोत्तम नरों (में) उत्तम
जैसे-
तुलसीकृत= तुलसी से कृत
शराहत= शर से आहत
राहखर्च= राह के लिए खर्च
राजा का कुमार= राजकुमार
तत्पुरुष समास में अन्तिम पद प्रधान होता है। इस समास में साधारणतः प्रथम पद विशेषण और द्वितीय पद विशेष्य होता है। द्वितीय पद, अर्थात बादवाले पद के विशेष्य होने के कारण इस समास में उसकी प्रधानता रहती है।
तत्पुरुष समास के भेद
तत्पुरुष समास के छह भेद होते है-
(i)कर्म तत्पुरुष
(ii) करण तत्पुरुष
(iii)सम्प्रदान तत्पुरुष
(iv)अपादान तत्पुरुष
(v)सम्बन्ध तत्पुरुष
(vi)अधिकरण तत्पुरुष
(i)कर्म तत्पुरुष (द्वितीया तत्पुरुष)-इसमें कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग (को) प्राप्त
कष्टापत्र कष्ट (को) आपत्र (प्राप्त)
आशातीत आशा (को) अतीत
गृहागत गृह (को) आगत
सिरतोड़ सिर (को) तोड़नेवाला
चिड़ीमार चिड़ियों (को) मारनेवाला
सिरतोड़ सिर (को) तोड़नेवाला
गगनचुंबी गगन को चूमने वाला
यशप्राप्त यश को प्राप्त
ग्रामगत ग्राम को गया हुआ
रथचालक रथ को चलाने वाला
जेबकतरा जेब को कतरने वाला
(ii) करण तत्पुरुष (तृतीया तत्पुरुष)-इसमें करण कारक की विभक्ति ‘से’, ‘के द्वारा’ का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
वाग्युद्ध वाक् (से) युद्ध
आचारकुशल आचार (से) कुशल
तुलसीकृत तुलसी (से) कृत
कपड़छना कपड़े (से) छना हुआ
मुँहमाँगा मुँह (से) माँगा
रसभरा रस (से) भरा
करुणागत करुणा से पूर्ण
भयाकुल भय से आकुल
रेखांकित रेखा से अंकित
शोकग्रस्त शोक से ग्रस्त
मदांध मद से अंधा
मनचाहा मन से चाहा
सूररचित सूर द्वारा रचित
(iii)सम्प्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी तत्पुरुष)-इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’ लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
देशभक्ति देश (के लिए) भक्ति
विद्यालय विद्या (के लिए) आलय
रसोईघर रसोई (के लिए) घर
हथकड़ी हाथ (के लिए) कड़ी
राहखर्च राह (के लिए) खर्च
पुत्रशोक पुत्र (के लिए) शोक
स्नानघर स्नान के लिए घर
यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला
डाकगाड़ी डाक के लिए गाड़ी
गौशाला गौ के लिए शाला
सभाभवन सभा के लिए भवन
लोकहितकारी लोक के लिए हितकारी
देवालय देव के लिए आलय
(iv)अपादान तत्पुरुष (पंचमी तत्पुरुष)- इसमे अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ (अलग होने का भाव) लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
दूरागत दूर से आगत
जन्मान्ध जन्म से अन्ध
रणविमुख रण से विमुख
देशनिकाला देश से निकाला
कामचोर काम से जी चुरानेवाला
नेत्रहीन नेत्र (से) हीन
धनहीन धन (से) हीन
पापमुक्त पाप से मुक्त
जलहीन जल से हीन
(v)सम्बन्ध तत्पुरुष (षष्ठी तत्पुरुष)-इसमें संबंधकारक की विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’ लुप्त हो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
विद्याभ्यास विद्या का अभ्यास
सेनापति सेना का पति
पराधीन पर के अधीन
राजदरबार राजा का दरबार
श्रमदान श्रम (का) दान
राजभवन राजा (का) भवन
राजपुत्र राजा (का) पुत्र
देशरक्षा देश की रक्षा
शिवालय शिव का आलय
गृहस्वामी गृह का स्वामी
(vi)अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी तत्पुरुष)-इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में’, ‘पर’ लुप्त जो जाती है। जैसे-
समस्त-पद विग्रह
विद्याभ्यास विद्या का अभ्यास
गृहप्रवेश गृह में प्रवेश
नरोत्तम नरों (में) उत्तम
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समास - दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जब एक नया शब्द बनता है , उसे समास कहते है ।
समास के भेद -
★ तत्पुरुष समास - जिस समास में पहला पद प्रधान हो ।
उदहारण - रसोईघर - रसोई के लिए घर ।
★ कर्मधारय समास - जिस समास में उपमेय उपमान या विशेषण विशेष्य में तुलना की जाए ।
उदहारण - चंद्रमुखी - चंद्र के समान मुख ।
★ अव्ययीभाव समास - जिस समास में पहला पद अव्यय हो । उदहारण -घरोघर - हर घर ।
★ द्विगु समास - जिस समास में पहला पद संख्यावाची हो ।
उदहारण - त्रिलोचन - तीन आखों का समाहार।
★ बहुव्रीहि समास -जहाँ कोई अन्य पद प्रधान हो। उदहारण - दामोदर - चोड़ा उदर है जिसका (गणेश) ।
★ द्वंद्व समास -जिस समास में दोनों ही पद प्रधान हो । उदहारण - माता पिता ।
समास के भेद -
★ तत्पुरुष समास - जिस समास में पहला पद प्रधान हो ।
उदहारण - रसोईघर - रसोई के लिए घर ।
★ कर्मधारय समास - जिस समास में उपमेय उपमान या विशेषण विशेष्य में तुलना की जाए ।
उदहारण - चंद्रमुखी - चंद्र के समान मुख ।
★ अव्ययीभाव समास - जिस समास में पहला पद अव्यय हो । उदहारण -घरोघर - हर घर ।
★ द्विगु समास - जिस समास में पहला पद संख्यावाची हो ।
उदहारण - त्रिलोचन - तीन आखों का समाहार।
★ बहुव्रीहि समास -जहाँ कोई अन्य पद प्रधान हो। उदहारण - दामोदर - चोड़ा उदर है जिसका (गणेश) ।
★ द्वंद्व समास -जिस समास में दोनों ही पद प्रधान हो । उदहारण - माता पिता ।
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