Explanation of dharti ka aangan mahake poem in hindi of
standard 8th
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Aangan Mehake
Dharti ka aagan mehake kavita main Kavi humein prakriti ko ek ghar ki tarah btaya hai.Pashu pakshiyon ko chote chote bacçho ka roop diya hai.Jis tarah chote bacchon ke ghar aane se ghar main raunak aa jaati hai.Usi tarah ped paudhe,jaanwer,panchi aur insaan dharti ke bacche hain.Hum Sab dharti
maa ke bacche hain.Hamare chehekne aur pashu pakshiyon
ke gaane aur uchal kood machine se Dharti maa ka aangan mehak jaata hai.Dharti maa ek maa ke saman humein khaana aur jal deti hain.
"धरती का आंगन" कविता का सार
कभी कहता है कि धरती का आंगन अर्थात हरी भरी धरती जिसके खेत फसलों से लहराते हो इस तरह इस तरह का आंगन मन को बड़ा सुहावना लगता | जिस धरती की जर्नी नदियां बहती हैं बड़ी-बड़ी जिले हैं और विशाल पर्वत हैं जिन जंगलों में लगे पेड़ों पर नई कलियां निकली हुई हैं।
जिसके के खेतों में अमृत के समान मिठास वाले गन्ने उग रहे हैं तथा खेतों से निकले गेहूं करोड़ों भूखे पेटों का भर रहा है। जिस धरती पर बहुत से पेड़ उगे हुए हैं यह धरती बहुत ही दयालु है और हम हम पर उपकार करती है जिसकी मिट्टी में कई तरह के पेड़ पौधे होते हैं जो हमारे लिए बहुत ही लाभकारी हैं | यही धरती है जहां पर सारी दातों मिलती हैं सोना चांदी पीतल इत्यादि सब कुछ इस धरती के गर्भ से ही निकलता है |
इस धरती पर अनेकों नदियां बहती हैं जिन के जल से करोड़ों की प्यास बुझती हैं जो नदियां बहुत से जीवों का बसेरा है। कवि के कहने का भाव यह है कि हम जो कुछ भी प्राप्त करते हैं इस पृथ्वी से निकली ही वस्तु है अरे हमें पृथ्वी का धन्यवाद करना चाहिए और इसे साफ सुथरा बनाए रखना चाहिए।